पंजाबियों के हौसले और जज्बे को सलाम, हाथों के सहारे रोके बैठे हैं बांध को

punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 05:15 PM (IST)

नारी डेस्क:  फिरोजपुर के हबीब गांव में 2,000 से अधिक स्वयंसेवी रेत के बोरों, रस्सियों और यहां तक कि हाथों से ही सतलुज नदी के पानी के लगातार बढ़ते दबाव से बांध को टूटने से बचाने के लिए दिन-रात जूझ रहे हैं। चार दिन बीत गए हैं और यह जद्दोजहद थमी नहीं है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से आए ग्रामीण सेना के इंजीनियरों और जल निकासी अधिकारियों के साथ मिलकर बांध को टूटने से बचाने में लगे हुए हैं। ठेकेदार रतन सिंह सैनी ने कहा- ‘‘असली नायक वे लोग हैं जो बोरे और खाना लेकर आते हैं। उनकी हिम्मत ही बांध को बचाए रखे हुए है। संकट उस समय और गहरा गया जब हरिके हेडवर्क्स बैराज से 3.30 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

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सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद

 यह 2023 की बाढ़ के मुकाबले 40,000 क्यूसेक ज़्यादा था। भारी बारिश, बादल फटने और भाखड़ा व पोंग बांध से पानी छोड़े जाने के बाद उफनती सतलुज नदी ने ज़ीरा के माखू उप मंडल के मनु माछी गांव के पास आरजी तटबंध तोड़ दिया, जिससे चक मनु माछी, जमालीवाला, गट्टा डाल्लर और तीबी गांव जलमग्न हो गए। हालांकि, समय रहते लोगों को निकालने से जानें बच गयीं, लेकिन सैकड़ों एकड़ जमीन में लहलहाती फसलें बह गईं। अधिकारियों के मुताबिक, फिरोजपुर के 111 और फाजिल्का के 77 गांव डूब चुके हैं, जिनमें क्रमशः 39,076 और 21,562 लोग प्रभावित हैं। इनमें से 3,495 लोग फिरोजपुर में और 2,422 लोग फाजिल्का में पहले ही विस्थापित हो चुके हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान अब भी खेतों में बाढ़ आने के बावजूद बाड़ के किनारे गश्त कर रहे हैं, लेकिन आम परिवारों पर इसका भारी असर पड़ा है। 

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ग्रामीण चौबीसों घंटे रख रहे हैं नजर

हामद चक गांव में 58 वर्षीय दिहाड़ी मज़दूर हरमीश सिंह अपने ढह चुके घर के मलबे के पास निराशा में खड़े थे। उन्होंने कहा- ‘‘मैंने इसे सालों की कड़ी मेहनत से बनाया था। अब यह ढह गया है।'' रुकने वाला, पचाड़िया और गट्टा बादशाह से भी ऐसी ही कहानियां सामने आईं, जहां ग्रामीण बढ़ते जलस्तर पर चौबीसों घंटे नजर रख रहे हैं। पंजाब 1988 के बाद की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। ज़मीन का बड़ा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। बुधवार तक मरने वालों की संख्या 37 हो गई। राज्य के सभी 23 ज़िलों में 1.75 लाख हेक्टेयर ज़मीन की फसल बर्बाद हो चुकी है।

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सेना और नागरिक कर रहे मदद

 अधिकारियों ने बताया कि सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), बीएसएफ, पंजाब पुलिस और ज़िला प्रशासन प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य कर रहे हैं। फाजिल्का की उपायुक्त अमरप्रीत कौर संधू ने तुरंत निकासी की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि हरिके से छोड़े गए 3.11 लाख क्यूसेक पानी से गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि 12 राहत शिविर चालू हैं, जिनमें 1,498 लोग पहले ही रह रहे हैं और 2,422 से अधिक लोगों को सेना, एनडीआरएफ और नागरिक दलों की मदद से निकाला जा चुका है। फिरोजपुर की उपायुक्त दीप्तिशिखा शर्मा ने बताया कि अब तक 3,400 से अधिक लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। ज़िले में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं जहां प्रभावित परिवारों को भोजन और सभी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने फिरोजपुर में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए अपनी सांसद निधि से पांच करोड़ रुपये देने की घोषणा की। 


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Content Writer

vasudha

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