इन लोगों के लिए वरदान बन रहे सांप, दे रहे नई जिंदगी

punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 07:09 PM (IST)

नारी डेस्क : सांप का नाम सुनते ही अक्सर लोग डर जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही सांप का ज़हर (Venom) इंसानों की जान बचाने में भी मददगार साबित हो रहा है? जिस जहर की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है, आज वही जहर आधुनिक विज्ञान के जरिए दवाइयों और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का अहम हिस्सा बन चुका है।

हर साल लाखों मौतें, फिर भी ज़हर से ही मिल रही राहत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में करीब 1 लाख 25 हजार लोग सांप के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं। भारत भी इस समस्या से बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल है। हालांकि वैज्ञानिकों ने अब इसी जहर को जीवनदायी बना दिया है।

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दवा निर्माण में सांप का जहर

पिछले 24 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञ बताते हैं कि सांप का जहर प्रोटीन से बना होता है। यह अलग-अलग प्रकार का हो सकता है।

हीमोटॉक्सिक (Hemotoxic) 

हीमोटॉक्सिक जहर सीधे खून को प्रभावित करता है। यह खून के थक्के जमने की प्रक्रिया (Blood Clotting) को बदल देता है और ब्लड प्रेशर पर भी असर डाल सकता है। इसी कारण रसल वाइपर जैसे सांप का जहर दवाइयों के रिसर्च में सबसे ज़्यादा उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक इस जहर का इस्तेमाल हार्ट अटैक और खून से जुड़ी बीमारियों की दवाइयां बनाने के लिए कर रहे हैं।

न्यूरोटॉक्सिक (Neurotoxic) 

न्यूरोटॉक्सिक जहर हमारे तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर असर डालता है। यह दिमाग और नसों के बीच संदेश पहुंचाने की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। इसके असर से शरीर सुन्न होना, लकवा पड़ना या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वैज्ञानिक इसी जहर से दवाइयां बनाकर अल्ज़ाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों का इलाज खोज रहे हैं।

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मायोटॉक्सिक (Myotoxic)

मायोटॉक्सिक जहर सीधा हमारी मांसपेशियों पर असर करता है। यह मांसपेशियों को कमजोर कर देता है और कई बार मांसपेशियों को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकता है। दवा निर्माण में इसका उपयोग उन बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है, जिनमें मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं।

साइटोटॉक्सिक (Cytotoxic) 

साइटोटॉक्सिक जहर शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह ज़हर ऊतकों (Tissues) को तोड़ने और घाव बनाने का कारण बन सकता है। हालांकि, वैज्ञानिक इसी जहर का उपयोग कैंसर और ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कर रहे हैं, क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मददगार साबित हो सकता है।

रसल वाइपर का जहर सबसे कीमती

विशेषज्ञों के मुताबिक, रसल वाइपर (Russell’s Viper) का जहर सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हीमोटॉक्सिक होता है और सीधे खून के थक्के (Blood Clotting) और ब्लड प्रेशर पर असर डालता है। वैज्ञानिक इसके जरिए हार्ट अटैक से बचाने वाली नई दवाइयां बनाने पर काम कर रहे हैं।

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बिच्छू और मकड़ी का जहर भी काम आता है

सिर्फ सांप ही नहीं, बल्कि बिच्छू और मकड़ी जैसे दूसरे ज़हरीले जीवों का जहर भी दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। इनसे बनी कुछ दवाइयां पहले से ही बाजार में उपलब्ध हैं।

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भी जहर का इस्तेमाल

सांप का जहर सिर्फ दवाइयों तक सीमित नहीं है। आजकल कई महंगे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। खासकर एंटी-एजिंग (Anti-Aging) क्रीम और स्किन केयर प्रोडक्ट्स में स्नेक वेनम (Snake Venom) के कंपोनेंट मिलाए जा रहे हैं।

कैंसर और ब्रेन डिजीज पर रिसर्च

फिलहाल वैज्ञानिक सांप के जहर पर और गहन रिसर्च कर रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह जहर कैंसर, ट्यूमर और ब्रेन हेमरेज जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में भी कारगर साबित होगा।


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Content Editor

Monika

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