औरत हो या पुरुष, 40 के बाद ये Blood Test जरूर करवा लें, आगे चलकर नहीं होगी परेशानी

punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 09:13 PM (IST)

नारी डेस्कः हमारी सेहत कैसी है और इससे जुड़ी हमारे शरीर को कैसी दिक्कतें आ रही हैं, इसका पता लगाने का आसान तरीका  ब्लड टेस्ट है। वैसे तो हर साल कुछ ब्लड टेस्ट करवाने जरूरी है ताकि अगर कोई हैल्थ प्रॉब्लम है भी तो समय चलते उसका पता चल जाए लेकिन 40 के बाद कुछ ब्लड टेस्ट करवाने अति अनिवार्य हो जाते हैं हालांकि जागरुकता की कमी और लापरवाही के चलते लोग टेस्ट नहीं करवाते नतीजा कोई बड़ी बीमारी आने वाले सालों में उन्हें घेर लेती है। चलिए आज उन्हीं टेस्ट के बारे में बताते हैं जो 40 के बाद करवाने चाहिए हालांकि ये टेस्ट पुरुष और महिला में अलग-अलग हो सकते हैं।

PSA टेस्ट: 40 की उम्र के बाद पुरुषों के लिए जरूरी जांच

अगर पुरुषों की बात करें तो 40 के बाद पुरुषों को पीएसए टेस्ट करवाना चाहिए,  खासकर यदि परिवार में प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं का इतिहास हो। लेकिन ये टेस्ट करवाना क्यों है इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। PSA टेस्ट में पुरुषों के लिए, प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं को समय रहते पहचानने में मदद मिलती है। अगर 40 के बाद इस टेस्ट को नियमित रूप से करवाया जाए तो प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
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PSA टेस्ट है क्या?

PSA की फुल फॉर्म – Prostate-Specific Antigen (प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन) है। इस ब्लड टेस्ट में खून में मौजूद PSA प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है। PSA एक ऐसा प्रोटीन है जो प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। अगर खून में PSA का स्तर सामान्य से अधिक है तो यह प्रोस्टेट कैंसर, सूजन (प्रोस्टेटाइटिस), या बढ़े हुए प्रोस्टेट (BPH) का संकेत हो सकता है।

PSA टेस्ट क्यों जरूरी है?

प्रोस्टेट कैंसर की पहचान में मदद करता है।
बढ़े हुए प्रोस्टेट (BPH) की जांच के लिए किया जाता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन (प्रोस्टेटाइटिस) का पता लगाने में सहायक है।
कैंसर के इलाज के बाद सुधार की निगरानी के लिए किया जाता है।

PSA टेस्ट कब करवाना चाहिए?

40 से 50 की उम्र के पुरुषों को नियमित रूप से यह टेस्ट कराना चाहिए।
अगर परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ है तो डॉक्टर से सलाह लेकर 40 से पहले भी यह टेस्ट करवाया जा सकता है।
यूरिन पास करने में परेशानी, बार-बार पेशाब आना या कमर और हड्डियों में दर्द जैसी लक्षण महसूस होने पर तुरंत टेस्ट कराएं।

PSA लेवल सामान्य कितना होना चाहिए?

40-50 साल की उम्र में – 0 से 2.5 ng/mL
50-60 साल की उम्र में – 0 से 4.0 ng/mL
60 साल के बाद – 0 से 6.5 ng/mL
अगर PSA स्तर 4 ng/mL से अधिक हो तो डॉक्टर से सलाह लें।

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PSA टेस्ट से जुड़े कुछ जरूरी तथ्य

जरूरी नहीं की PSA का स्तर बढ़ा हो तो कैंसर ही होगा।
प्रोस्टेट संक्रमण या बढ़े हुए प्रोस्टेट की वजह से भी PSA बढ़ सकता है।
टेस्ट से पहले अधिक शारीरिक गतिविधि या साइकिलिंग करने से भी PSA लेवल प्रभावित हो सकता है।

40 के बाद हर महिला को करवाने जरूरी है ये ब्लड टेस्ट

40 के बाद हर महिला को कुछ ब्लड टेस्ट करवाने जरूरी हो जाते हैं जिसमें CBC (Complete Blood Count), LFT (Liver Function Test) ,KFT (Kidney Function Test ), CA 15-3 , CEA और CA 125 ये ब्लड टेस्ट करवाने जरूरी है हालांकि  CBC,  LFT और  KFT ये टेस्ट पुरुषों को भी करवाते रहना चाहिए। 

CBC (Complete Blood Count) ब्लड टेस्ट

CBC (Complete Blood Count) ब्लड टेस्ट में खून की कोशिकाओं की संख्या और स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी पता लगाई जाती है, जिसे डॉक्टर कई बीमारियों की पहचान के लिए करवाने की सलाह देते हैं।

RBC (लाल रक्त कोशिकाएं) – शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं।
WBC (सफेद रक्त कोशिकाएं) – इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं और संक्रमण से बचाती हैं।
Platelets (प्लेटलेट्स) – खून के थक्के बनाने में मदद करती हैं, जिससे चोट लगने पर ज्यादा खून नहीं बहता।
हीमोग्लोबिन (Hb) – खून में ऑक्सीजन ले जाने वाला प्रोटीन, जिसकी कमी से एनीमिया हो सकता है।
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CBC टेस्ट क्यों करवाया जाता है?

एनीमिया (खून की कमी) का पता लगाने के लिए
इन्फेक्शन और इम्यून सिस्टम की जांच के लिए
खून का गाढ़ापन और प्लेटलेट्स की संख्या जानने के लिए
किसी बीमारी या दवा के असर को समझने के लिए

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LFT (Liver Function Test) ब्लड टेस्ट

LFT (Liver Function Test)  ब्लड टेस्ट लिवर हैल्थ से जुड़ा होता है। अगर पेट में दर्द, कमजोरी, भूख न लगना, या पीलिया के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से सलाह लेकर LFT करवाना जरूरी हो सकता है। इस टेस्ट के जरिए लिवर की क्षति का संकेत, लिवर कितना हैल्दी और कितना काम कर रहा है, लिवर द्वारा प्रोटीन बनाने की क्या क्षमता है और पीलिया (Jaundice)  का पता चलता है।

LFT टेस्ट क्यों करवाया जाता है?

लिवर से जुड़ी बीमारियों (जैसे हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, सिरोसिस) की जांच के लिए।
पीलिया (Jaundice) का पता लगाने के लिए।
 शराब, दवाओं या संक्रमण से लिवर को हुए नुकसान की पहचान के लिए।
लिवर ट्रांसप्लांट या किसी अन्य बीमारी के इलाज की निगरानी के लिए।

KFT (Kidney Function Test ) ब्लड टेस्ट

यह टेस्ट किडनियों से जुड़ा है। इसमें खून और यूरिन की जांच की जाती है, जिससे गुर्दों (किडनी) की सेहत और काम करने की क्षमता का पता लगाया जाता है। अगर डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह देते हैं, तो इसे समय पर करवाना चाहिए, खासकर अगर आपको डायबिटीज, हाई BP या किडनी की समस्या का खतरा है।
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KFT टेस्ट में क्या-क्या जांच होती हैं?

किडनी सही से काम कर रही है या नहीं, यह बताने वाला मुख्य पैरामीटर।
शरीर में यूरिया की मात्रा को मापता है, जो किडनी द्वारा फिल्टर की जाती है।
किडनी की फिल्टर करने की क्षमता को दर्शाता है।
यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से किडनी स्टोन और गठिया का खतरा हो सकता है।
शरीर में मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखने के लिए।

KFT टेस्ट क्यों किया जाता है?

 किडनी से जुड़ी बीमारियों (किडनी फेलियर, क्रोनिक किडनी डिजीज) का पता लगाने के लिए।
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से किडनी पर असर हो रहा है या नहीं, यह जांचने के लिए।
बार-बार पेशाब में झाग आना, सूजन (पैरों या चेहरे पर), या कम पेशाब आना जैसी समस्याओं की वजह जानने के लिए।
डिहाइड्रेशन, इंफेक्शन, या दवाओं का किडनी पर असर देखने के लिए।

CA 15-3 ब्लड टेस्ट - ब्रेस्ट कैंसर का मार्कर टेस्ट

CA 15-3 (Cancer Antigen 15-3) ब्लड टेस्ट के द्वारा शरीर में CA 15-3 प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है। यह प्रोटीन ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के मरीजों में बढ़ा हुआ पाया जा सकता है, खासकर तब जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गया हो हालांकि यह टेस्ट केवल कैंसर की निगरानी और ट्रीटमेंट ट्रैक करने के लिए किया जाता है, डायग्नोसिस के लिए बायोप्सी, मैमोग्राफी और अन्य जांचें जरूरी होती हैं। अगर डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह देते हैं, तो इसे करवाना चाहिए ताकि कैंसर के इलाज की स्थिति का सही आकलन किया जा सके।

CA 15-3 टेस्ट क्यों किया जाता है?

अगर पहले से कैंसर डायग्नोज हो चुका है, तो यह टेस्ट उसकी स्टेज और ग्रोथ को ट्रैक करता है।
इस टेस्ट से पता चलता है कि कीमोथेरेपी, रेडिएशन या अन्य इलाज कितना असर कर रहा है।
कैंसर के दोबारा होने (Recurrence) की संभावना पता लगाने के लिए।
अगर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों (लिवर, हड्डियों, फेफड़ों) में फैल रहा हो तो इसका संकेत देने के लिए।

CA 15-3 का सामान्य स्तर कितना होना चाहिए?

सामान्य स्तर: 30 U/mL से कम
30 U/mL से अधिक होने पर आगे की जांच जरूरी हो सकती है। 60-100 U/mL से अधिक होने पर यह कैंसर के फैलने का संकेत दे सकता है।
 

CA 125 टेस्ट (Cancer Antigen 125)-ओवेरियन कैंसर का मार्कर टेस्ट

CA 125 ब्लड टेस्ट  जो CA 125 (Cancer Antigen 125) नामक प्रोटीन के स्तर को मापता है। यह प्रोटीन आमतौर पर ओवेरियन (अंडाशय) कैंसर से जुड़ा होता है। मुख्य रूप से इस टेस्ट को ओवेरियन कैंसर और अन्य महिला स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और निगरानी के लिए किया जाता है। अगर डॉक्टर सलाह दें, तो समय पर यह टेस्ट करवाना जरूरी हो सकता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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CA 125 टेस्ट क्यों किया जाता है?

ओवेरियन कैंसर (अंडाशय कैंसर) की जांच और निगरानी के लिए।
कैंसर के इलाज की प्रभावशीलता जांचने के लिए।
एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉइड, पेल्विक इंफेक्शन और प्रेग्नेंसी में भी CA 125 बढ़ सकता है।
अगर परिवार में ओवेरियन कैंसर का इतिहास हो, तो डॉक्टर समय-समय पर यह टेस्ट करने की सलाह देते हैं।

CA 125 का सामान्य स्तर कितना होना चाहिए?

सामान्य स्तर: 0 से 35 U/mL तक
 35 U/mL से अधिक होने पर डॉक्टर आगे की जांच की सलाह दे सकते हैं।

CEA ब्लड टेस्ट (Carcinoembryonic Antigen test)

CEA ब्लड टेस्ट (Carcinoembryonic Antigen test) में कैंसर व कुछ अन्य बीमारियों (जैसे लिवर सिरोसिस, इंफेक्शन, इंफ्लेमेटरी डिजीज (IBD) आदि) का पता लगाया जाता है। इसमें खासकर  कोलन (आंत), लंग्स, ब्रेस्ट, पैंक्रियास और थायरॉइड कैंसर का पता चलता है। कैंसर के इलाज जैसे कीमोथेरेपी या अन्य ट्रीटमेंट असर कर रहा है या नहीं, ये देखने के लिए ये टेस्ट किया जाता है। कैंसर के दोबारा होने (Recurrence) की संभावना जानने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है।

CEA लेवल कितना होना चाहिए?

सामान्य CEA लेवल: 3 ng/mL से कम
धूम्रपान करने वालों में: 3-5 ng/mL तक हो सकता है
अगर CEA बढ़ा हुआ हो तो यह कैंसर या किसी अन्य बीमारी का संकेत हो सकता है।
अगर डाक्टर आपको ये टेस्ट करवाने की सलाह दे रहे हैं तो जल्द ही करवाना बेहतर है।

इसी के साथ फुल बॉडी चेकअप जरूर करवाए ताकि समस्या का जल्दी पता चल सकें।
हार्ट हैल्थ टेस्टः ये टेस्ट आपके दिल को स्वस्थ और मजबूत रखेगा। अगर कोई समस्या आ भी रही है तो तुरंत पकड़ी जाएगी। 
ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉलः ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल में रहना जरूरी है इसलिए रेगुलर टेस्ट करवाते रहे।
बॉन डेंसिटी टेस्टः आपकी हड्डियां कितनी कमजोर है या कितनी मजबूत है इस टेस्ट से पता लगाया जाता है। 
आंख और कान का टेस्टः नजर कमजोर है तो हर 6 माह बाद आई चेकअप करवाए। कान की जांच करवाना भी जरूरी है। 
दांतों का चेकअपः आपकी खूबसूरत स्माइल ऐसी ही बनी रहे इसलिए दांतों का भी रूटीन चेकअप करवाएं। 


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Content Writer

Vandana

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