बार-बार हिचकी आ रही है? इसे हल्के में न लें, हो सकती है गंभीर बीमारी
punjabkesari.in Friday, Nov 21, 2025 - 01:58 PM (IST)
नारी डेस्क : हिचकी आना आमतौर पर नॉर्मल माना जाता है, जिसे ज्यादातर लोग हल्के में लेते हैं। लेकिन अगर यह बार-बार हो रही है, तो इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। लगातार हिचकी कभी-कभी छिपी हुई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि हिचकी क्यों आती है, इसके मुख्य कारण क्या हैं, और कब इसे गंभीर मानकर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।
हिचकी क्यों आती है?
हिचकी डायफ्राम नामक मांसपेशी के अचानक सिकुड़ने से होती है, जिससे वोकल कॉर्ड बंद हो जाते हैं और वह खास “हिक” की आवाज पैदा होती है। आमतौर पर यह कुछ ही मिनटों में रुक जाती है।

मुख्य ट्रिगर कारण
बहुत जल्दी-जल्दी खाना या पीना
सोडा, बहुत गर्म चीजें या शराब पीना
पेट में गैस भर जाना
तनाव, घबराहट या ज्यादा उत्साह
ज्यादा खाना
कुछ दवाओं का असर, जैसे एनेस्थीसिया या स्टेरॉइड।
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बार-बार हिचकी आने पर क्या समस्याएं हो सकती हैं?
Cleveland Clinic के अनुसार, लगातार हिचकी कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकती है, जो रोजमर्रा की जिंदगी और सेहत दोनों को प्रभावित करती हैं।
खाने-पीने में दिक्कत: लगातार हिचकी खाने-पीने में परेशानी पैदा कर सकती है, जिससे वजन कम होना या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
बात करने में कठिनाई: लगातार हिचकी से बात करने में दिक्कत आती है।
नींद और ऊर्जा पर असर: नींद खराब होना, थकान महसूस होना और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होना।
कमजोरी: शरीर में ऊर्जा की कमी और कमजोरी महसूस होना।
मानसिक प्रभाव: बार-बार हिचकी मानसिक तनाव, बेचैनी या डिप्रेशन का कारण बन सकती है।

बार-बार हिचकी कैसे रोकी जाए?
कुछ आसान घरेलू उपाय हैं जो हिचकी को रोकने में मदद कर सकते हैं।
छोटे घूंट लेकर ठंडा पानी पिएं या गरारा करें।
सांस रोककर धीरे-धीरे छोड़ें, ताकि डायफ्राम को राहत मिले।
हल्का दबाव डालें: निगलते समय नाक पकड़ें या डायफ्राम/जीभ पर हल्का दबाव दें।
थोड़ा मीठा या खट्टा लें: चुटकीभर चीनी, नींबू या थोड़ा सिरका मदद कर सकता है।
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कब चिंता करनी चाहिए?
अधिकतर हिचकियां खुद बंद हो जाती हैं, लेकिन 48 घंटे से ज्यादा चलने वाली हिचकी को क्रॉनिक हिचकी कहा जाता है। यह किसी छिपी हुई गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है। संभावित गंभीर स्थितियां पैदा करती है।
दिमाग और नसों की समस्याएं: स्ट्रोक, नर्व डैमेज
दिल या फेफड़ों की बीमारी: हार्ट अटैक, निमोनिया
कैंसर: ट्यूमर या कैंसर के इलाज के साइड इफेक्ट
पाचन संबंधी समस्याएं: पैंक्रियास में सूजन, इसोफेगस में जलन या इंफेक्शन।

डॉक्टर के पास कब जाएं?
तुरंत डॉक्टर को दिखाएं अगर: हिचकी 48 घंटे से ज्यादा बनी रहे, नींद या खाना-पीना प्रभावित हो, सांस लेने में दिक्कत हो और साथ में छाती में दर्द, तेज बुखार, उल्टी, कमजोरी या सुन्नपन। हिचकी छुड़ाने के लिए किसी को अचानक डराने की कोशिश न करें। यह कभी-कभी काम कर सकती है, लेकिन गिरने, चोट या दिल की समस्याएं बढ़ने का खतरा भी हो सकता है।

