बार-बार Miscarriage, जानिए इसके कारण और समाधान
punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2024 - 06:34 PM (IST)
नारी डेस्क: बार-बार मिसकैरेज क्यों होता है? प्रेगनेंसी के दौरान मिसकैरेज का सामना करना बेहद दुखद और दर्दभरा हो सकता है, लेकिन जब यह बार-बार होता है, तो यह आपको कई सवालों में उलझा सकता है।बार-बार गर्भपात (Recurrent Miscarriage) का मतलब है कि एक महिला लगातार तीन या उससे अधिक गर्भपात (Miscarriage) का सामना करती है। गर्भपात उस स्थिति को कहा जाता है जब प्रेगनेंसी के पहले 20 हफ्तों के अंदर बच्चे का विकास रुक जाता है और मिसकैरेज हो जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? जो लोग अपना परिवार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए यह कारणों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है।
बार-बार गर्भपात के कारण (Reasons for Recurrent Miscarriage)
बार-बार गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, जो शारीरिक, हार्मोनल या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं। आइए जानें इसके महत्वपूर्ण कारण:
जेनेटिक (Genetic)
अगर महिला या पुरुष में से कोई एक व्यक्ति भी क्रोमोसोम दोष (Chromosomal abnormalities) से प्रभावित है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे में भी समस्या हो सकती है। यह बच्चे का सही तरीके से विकास नहीं होने देता, जिससे मिसकैरेज हो सकता है।अधिकतर मामलों में ये घटनाएँ रैंडम होती हैं, लेकिन बार-बार गर्भपात होना आनुवंशिक प्रवृत्ति (Genetic predisposition) का संकेत हो सकता है।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
महिलाओं में अगर हार्मोनल असंतुलन हो, जैसे प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का स्तर कम होना, तो मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है। प्रोजेस्टेरोन गर्भधारण के लिए आवश्यक होता है, और इसकी कमी से गर्भाशय की परत में खिंचाव और बच्चे का पालन सही से नहीं हो पाता।
शारीरिक समस्याएं (Physical Problems)
यूटेरस की समस्याएं: गर्भाशय की आकार में बदलाव, जैसे यूटेराइन सिप्ट (Uterine Septum), फाइब्रॉइड (Fibroids) या किसी तरह का इन्फेक्शन, मिसकैरेज का कारण बन सकता है।
सर्विक्स की समस्याएं (Cervical insufficiency): कभी-कभी सर्विक्स जल्दी खुलने लगती है, जिससे गर्भस्थ (Fetal) बच्चा बाहर आ सकता है। इसे "सर्विकल इंस्फिशिएंसी" कहते हैं।
ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune Diseases)
ऐसी स्थितियां जैसे ल्यूपस (Lupus) या एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम (Antiphospholipid syndrome) में शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर के अंगों पर हमला करता है, जो प्रेगनेंसी में समस्या ला सकता है।
इन्फेक्शन (Infections)
कुछ प्रकार के इन्फेक्शन जैसे टॉक्सोप्लाज्मोसिस, साइटोमेगालोवायरस (CMV), या जर्म्स (Bacteria) जैसे गोनोरिया और क्लैमिडिया भी मिसकैरेज का कारण बन सकते हैं।
उम्र (Age)
35 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ अंडाणुओं (Eggs) में क्रोमोसोम दोष की संभावना भी बढ़ती है, जिससे गर्भपात हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्याएं (Health Issues)
कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे मधुमेह (Diabetes), उच्च रक्तचाप (Hypertension), और थायराइड (Thyroid) के असंतुलन भी गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
बार-बार गर्भपात का इलाज
बार-बार गर्भपात का इलाज कारणों के आधार पर किया जाता है। हर महिला के लिए उपचार अलग हो सकता है, लेकिन कुछ सामान्य उपाय हैं:
जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing)
अगर जेनेटिक कारणों का शक हो, तो पति-पत्नी दोनों का क्रोमोसोम टेस्ट किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि कोई जेनेटिक समस्या तो नहीं है, जो गर्भपात का कारण बन रही है।
हार्मोनल उपचार (Hormonal Treatment)
अगर हार्मोनल असंतुलन पाया जाता है, तो डॉक्टर प्रोजेस्टेरोन या अन्य हार्मोनल दवाइयां दे सकते हैं। इससे गर्भाशय की परत को मजबूत किया जाता है और प्रेगनेंसी की प्रक्रिया को स्थिर किया जाता है।
सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment)
यदि गर्भाशय में कोई समस्या है, जैसे फाइब्रॉइड्स या यूटेराइन सिप्ट, तो सर्जरी की जा सकती है। इससे गर्भाशय की स्थिति सामान्य हो जाती है और प्रेगनेंसी में मदद मिलती है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां (Anti-inflammatory Drugs)
अगर महिला को ऑटोइम्यून रोग है, तो डॉक्टर स्टेरॉयड्स या अन्य दवाइयां दे सकते हैं, जो इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करें और गर्भधारण में मदद करें।
लाइफस्टाइल बदलाव (Lifestyle Changes)
स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाना भी महत्वपूर्ण है। हेल्दी डाइट, रोज़ एक्सरसाइज, स्ट्रेस कम करने के उपाय और नींद प्रेगनेंसी में मदद कर सकते हैं।
मेडिकल मॉनिटरिंग (Medical Monitoring)
प्रेगनेंसी के बाद डॉक्टर की निगरानी में रहना चाहिए। इससे समय पर किसी भी समस्या का पता चल सकता है और गर्भधारण को सुरक्षित रखा जा सकता है।
काउंसलिंग और मानसिक समर्थन (Counseling & Emotional Support)
बार-बार गर्भपात से मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है। इसके लिए मानसिक समर्थन, काउंसलिंग और परिवार के सहयोग की आवश्यकता हो सकती है।
सही इलाज और देखभाल के साथ इस समस्या का समाधान संभव है।