'पटाखे जलते हैं, फेफड़ों में भी आग लगा देते हैं...' दिवाली से पहले पढ़ लें डाक्टरों की ये चेतावनी
punjabkesari.in Thursday, Oct 16, 2025 - 05:53 PM (IST)

नारी डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने "हरित" पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति दे दी है, लेकिन त्योहार शुरु होने से पहले ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण चिकित्सा विशेषज्ञ जागरूकता और सावधानी बरतने का आह्वान कर रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि "हर साल दिवाली के बाद अस्पतालों में सांस लेने में कठिनाई का सामना करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।" शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के श्वसन चिकित्सा विभाग और क्रिटिकल केयर यूनिट के वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख डॉ. विकास मौर्य ने कहा कि पटाखों से जहरीली गैसें और अति सूक्ष्म कण निकलते हैं जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं, जिससे स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और अन्य गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इन लोगों को सतर्क रहने की जरूरत
डॉक्टर ने लोगों को विशेषकर बच्चों, वृद्धों और श्वसन या हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को - उच्च प्रदूषण वाले दिनों में बाहर जाने से बचने की सलाह दी। उन्होंने आगे कहा- "अगर आपको बाहर जाना ही पड़े, तो एन95 मास्क पहनें। घर की खिड़कियां बंद रखें और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। अस्थमा या सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों को अपनी दवाएं नहीं छोड़नी चाहिए। अगर लक्षण बिगड़ते हैं, तो उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।" उच्चतम न्यायालय कोर्ट ने बुधवार को दिवाली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में हरित पटाखों की बिक्री की अनुमति दे दी, लेकिन केवल कुछ खास शर्तों के साथ।
फेफड़ों और त्वचा का रखें खास ध्यान
पटाखों का धुआं पहले से ही वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली जलाने के अवशेषों से घिरे वातावरण में भारी धातुओं और सल्फर यौगिकों को भी बढ़ा देता है। गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य पर इसके परिणाम गले में हल्की जलन और खांसी से लेकर तीव्र अस्थमा के दौरे, हृदय संबंधी तनाव और दीर्घकालिक श्वसन गिरावट तक हो सकते हैं। कमजोर आबादी - जिसमें शिशु, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, वृद्ध और अस्थमा, सीओपीडी या हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति शामिल हैं - सबसे बुरे प्रभाव का सामना करती है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल मेहता, जो निवारक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भी प्रदूषण के चरम पर जलयोजन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा, -"इस तरह के उच्च प्रदूषण वाले मौसम में, हाइड्रेटेड रहना सिर्फ पानी पीने से नहीं बल्कि आपके फेफड़ों, त्वचा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की रक्षा करने से भी जुड़ा है।"
इस तरह रखें अपना ध्यान
पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन कंधारी ने भी इस चिंता को दोहराया और कहा कि पटाखों को "हरित" कहने से हवा कम दूषित नहीं हो जाती। उन्होंने चेतावनी दी कि एक बार जब सर्दियों की सीमा परत गिर जाती है और प्रदूषक जमीन के करीब फंस जाते हैं, तो सीमित पटाखे के उपयोग से भी कई दिनों तक वायु गुणवत्ता खतरनाक हो सकती है। अच्छी स्वास्थ्य आदतें बनाए रखना, जैसे कि पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, संतुलित आहार खाना, नियमित व्यायाम करना, तथा ज्ञात श्वसन संबंधी कारकों से बचना, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है तथा प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है। जो लोग पहले से ही श्वसन या हृदय संबंधी समस्याओं के लिए दवा ले रहे हैं, उन्हें विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। विशेषज्ञ बिना किसी रुकावट के निर्धारित उपचार जारी रखने और लक्षण बिगड़ने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि इनहेलर, नेबुलाइजर या सलाइन स्प्रे के इस्तेमाल जैसी निवारक देखभाल इस महत्वपूर्ण समय में सांस लेने में आसानी और फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है।