World Photography Day: देश की पहली वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, अपने शौक को बनाया जुनून
punjabkesari.in Wednesday, Aug 19, 2020 - 05:17 PM (IST)
दुनियाभर में हर साल 19 अगस्त के दिन 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है, जिसका मकसद तस्वीरों में कैद खास पलों को याद करना होता है। बात अगर फोटोग्राफी प्रोफेशन की करें तो दुनिया में बहुत से लोगों ने फोटोग्राफी को अपना करियर चुना। मगर, हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने फोटोग्राफी को अपनी जिंदगी ही बना लिया है। हम बात कर रहे हैं पहली प्रोफेशनल वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर राधिका रामासामी की जो करीब 25 सालों से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरी कर रहीं है।
जब राधिका के शौक से जुनून बनी फोटोग्राफी
साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में जन्मीं राधिका को 11वीं कक्षा से ही फोटोग्राफी में दिलचस्पी आ गई थी। मगर, जब उनके अंकल ने उन्हें कैमरा गिफ्ट किया तो उनका यहीं शौक जुनून में बदल गया। राधिका वाइल्ड लाइफ से इतनी इम्प्रेस हुई की उन्होंने इसी को अपने पेशन में उतार लिया। राधिमा करीब पिछले 25 सालों से जंगल की दुनिया से बंधी हुई है और वाइल लाइफ फोटोग्राफी कर रहीं है।
राधिका को कैसे हुए कुदरत से प्यार...
वैसे तो राधिका कंप्यूटर इंजीनियर हैं लेकिन शादी के बाद वो दिल्ली आ गईं जहां से उनका ट्रैवल फोटोग्राफी का सफर शुरू हुआ। उनकी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनने की कहानी तब शुरू हुई जब वो साल 2004 में पहली बार परिवार के साथ घूमने भरतपुर नेशनल पार्क गईं, जहां उन्हें कुदरत से प्यार हुआ। इसके बाद राधिमा रोज 2 घंटे दिल्ली में ओखला बर्ड सेंक्चुएरी में बिताने लगी, ताकि वो पक्षियों के व्यवहार को अच्छे से पहचान व समझ सकें।
महिला होने के कारण करना पड़ा कई चुनौतियों का सामना
राधिका ने यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट भरतपुर बर्ड सेंचुरी में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी से अपने करियर की शुरूआत की। हालांकि, उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट मिला लेकिन एक महिला होने के नाते उन्हें इस फील्ड में अपनी पहचान बनाने में चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। मगर उनकी जुनून ने उन्हें इस फैसले पर टिके रहने की हिम्मत दी। पिछले एक दशक से राधिका उत्तर भारत और अफ्रीका के कई नेशनल पार्क और सेंचुरीज में घुम चुकी हैं। राधिका अपनी फोटोग्राफी के जरिए लोगों को भारत के प्राकृतिक स्त्रोतों से परिचित करवाना चाहती है।
जीत चुकी हैं कई अवॉर्ड्स
साल 2008 में उन्हें टॉप बर्ड फोटोग्राफर चुना गया था। उन्होंने 'बर्ड फोटोग्राफी' के नाम एक किताब भी लिखी जोकि साल 2010 में प्रकाशित हुई थी। उन्हें 2015 में 'द इंटरनेशनल कैमरा फेयर अवार्ड' से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, राधिका कई नेशनल और इंटरनेशनल फोटोग्राफी अवार्ड कॉम्पिटिशन में जूरी मेंबर के रूप में सम्मान भी पा चुकी हैं।
पुरुष-महिला में फर्क नहीं जानता कैमरा: राधिका
जब राधिमा से पूछा गया कि एक महिला होने के नाते जंगलों में फोटोग्राफी करते हुए आपको सबसे ज्यादा किस चीज का डर लगता है तो उन्होंने का मुझे किसी चीज से डर नहीं लगता। उनका मानना है कि अगर आपकी इच्छा शक्ति में दम हैं तो आपको कोई भी काम करने से कोई नहीं रोक सकता। उनका मानना है कि कैमरा और जानवर दोनों ही पुरुष और महिला में फर्क नहीं जानते। भई, उनकी इस बात में दम तो हैं। अगन मन में लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता...हर किसी को सोच व लगन राधिका जैसी हो तो वो दिन दूर नहीं जब महिलाओं का दर्जा पुरुषों के बराबर होगा।