रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखने की परंपरा, जानें इसके पीछे का रहस्य

punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2024 - 10:16 AM (IST)

नारी डेस्क: हिंदू धर्म में धार्मिक ग्रंथों के प्रति गहरी आस्था और आदर होता है। इन ग्रंथों को सम्मान के साथ सुरक्षित रखना परंपरा का हिस्सा है। लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है कि रामचरितमानस को हमेशा लाल कपड़े में लपेटकर रखा जाता है? इसके पीछे एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक कारण छिपा है। आइए, सरल भाषा में इस परंपरा का महत्व और कारण समझते हैं।

लाल रंग का महत्व

हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभता, सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना गया है। यह मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ है, जिसे सौभाग्य और सफलता का कारक माना जाता है। लाल रंग उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। यही वजह है कि इसे धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। जब रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटा जाता है, तो यह उसके प्रति श्रद्धा और पवित्रता को दर्शाता है।

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धार्मिक ग्रंथों को लाल कपड़े में रखने की परंपरा

यह परंपरा सदियों पुरानी है। धार्मिक ग्रंथों को लाल कपड़े में लपेटकर रखने से उनकी दिव्यता और पवित्रता बनी रहती है। माना जाता है कि लाल कपड़ा ग्रंथ को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। पुराने समय में जब ग्रंथों को हस्तलिखित रूप में संरक्षित किया जाता था, तो उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती थी। लाल कपड़े में लपेटने से ग्रंथ सुरक्षित रहते थे और उनका आदर भी बढ़ता था।

महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास की परंपरा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी, तो इसे लाल कपड़े में लपेटकर रखा। इसी परंपरा को संत तुलसीदास ने भी अपनाया। जब उन्होंने रामचरितमानस की रचना की, तो इसे भी लाल कपड़े में लपेटकर रखा। यह प्रथा यह सुनिश्चित करती थी कि ग्रंथों की पवित्रता और दिव्यता बनी रहे।

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लाल कपड़े में रामचरितमानस का महत्व

रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखना एक गहरी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। यह मान्यता है कि इससे ग्रंथ की ऊर्जा और शक्ति सुरक्षित रहती है। जब कोई इसे पढ़ता है, तो उसके मन में भक्ति और श्रद्धा का भाव जागता है। लाल कपड़े का प्रयोग इस बात का संकेत है कि ग्रंथ में जो ज्ञान और शक्ति छिपी है, वह हमारे जीवन को सकारात्मकता और शांति से भर सकती है।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

यह परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने का भी माध्यम है। लाल कपड़े में ग्रंथों को लपेटकर रखने से यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी परंपराओं और मूल्यों का आदर करना चाहिए। यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति में हर परंपरा के पीछे गहराई और अर्थ छिपा है।

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रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटना केवल एक धार्मिक प्रथा नहीं है, बल्कि यह हमारी आस्था, श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि कैसे हमारी संस्कृति में हर छोटी परंपरा में एक बड़ा संदेश छिपा होता है। इस प्रथा को निभाने से न केवल हम ग्रंथों की पवित्रता को बनाए रखते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी परंपराओं से जोड़ने का भी काम करते हैं।
 

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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