‘जेनरेटर चला दो, मेरा बेटा मर जाएगा...’ डायलिसिस के बीच गई बिजली, मां के सामने तड़प-तड़पकर तोड़ा दम

punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 11:41 AM (IST)

नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में शुक्रवार को जो हुआ, वह किसी भी इंसान को हिला देने वाला है। बिजनौर के मेडिकल अस्पताल में एक युवक की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई, लेकिन ये मौत किसी बीमारी से नहीं बल्कि अस्पताल की लापरवाही और बदइंतजामी से हुई।26 वर्षीय सरफराज शुक्रवार की सुबह करीब 10 बजे अपने पैरों पर चलता हुआ बिजनौर जिला अस्पताल के डायलिसिस विभाग में पहुंचा। उसे पहले से किडनी की बीमारी थी और बीते एक साल में वह पांच बार डायलिसिस करवा चुका था।

जैसे ही उसकी डायलिसिस शुरू हुई, अचानक बिजली चली गई। उस वक्त सरफराज का खून मशीन में फिल्टर हो चुका था और वापस उसके शरीर में चढ़ाया जा रहा था, लेकिन बिजली न होने से मशीन बंद हो गई।

मां की मिन्नतें भी काम न आईं, अस्पताल स्टाफ ने झाड़े पल्ला

सरफराज की मां सलमा अस्पताल स्टाफ के सामने बार-बार हाथ जोड़ती रहीं। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे को घबराहट हो रही है, वह मर जाएगा... कृपया जेनरेटर चला दो!" लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने साफ कह दिया कि "जेनरेटर में डीजल नहीं है" और वे कुछ नहीं कर सकते। नतीजा ये हुआ कि सरफराज ने अपनी मां के सामने ही दम तोड़ दिया।

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अधिकारी के सामने तड़पती मां, पर तब तक हो चुकी थी मौत

शुक्रवार को ही अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे मुख्य विकास अधिकारी (CDO) पूर्ण बोरा। जब सरफराज की हालत बिगड़ी तो सलमा रोते हुए दौड़कर उनके पास पहुंचीं। उन्होंने डॉक्टरों को तुरंत CPR देने को कहा। डॉक्टर और स्टाफ दौड़े भी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सरफराज की मौत हो चुकी थी। CDO भी यह सब देखकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने कहा, "यह मौत बीमारी से नहीं, बल्कि अस्पताल की बदहाल व्यवस्था से हुई है।"

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तीमारदार बोले – यहां कोई सुनने वाला नहीं, जेनरेटर कभी नहीं चलता

वहीं डायलिसिस विभाग में मौजूद एक अन्य तीमारदार शादाब ने आरोप लगाया कि, "यहां कोई सुनवाई नहीं होती। जब भी बिजली जाती है, जेनरेटर नहीं चलता। जब स्टाफ से पूछा, तो बोले कि मैनेजर डीजल के पैसे नहीं देता, तो जेनरेटर कैसे चले?" इतना ही नहीं, शादाब ने बताया कि गर्मी में ना पंखा चलता है और ना ही एसी। बंद वार्ड में मरीजों का दम घुटने लगता है। ये सब एक आम समस्या बन गई है, लेकिन कोई हल नहीं किया जाता।

सरकार देती है पैसा, फिर भी सिस्टम लाचार

डायलिसिस का काम "संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड" नाम की एक एजेंसी को दिया गया है। सरकार हर मरीज की डायलिसिस के लिए करीब 1300 रुपये प्रति सेशन देती है। अस्पताल में हर दिन 20 मरीजों की डायलिसिस होती है, यानी एक महीने में लगभग 10 लाख रुपये और सालभर में 1 करोड़ रुपये तक का भुगतान इस एजेंसी को किया जाता है। इसके बावजूद इतनी लापरवाही है कि जेनरेटर में डीजल तक नहीं डलवाया गया।

जांच में सामने आईं कई गंभीर खामियां

CDO पूर्ण बोरा ने डायलिसिस विभाग की जांच करवाई, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं साफ-सफाई की भारी कमी, फुल टाइम डॉक्टर नहीं, प्रशिक्षित टेक्नीशियन की कमी, बिजली जाने पर जेनरेटर का काम न करना, जेनरेटर में डीजल ही नहीं था। यही सब कारण बने सरफराज की मौत की वजह।

CDO ने साफ कहा है कि यह एक कैजुअलिटी नहीं, बल्कि प्रशासनिक हत्या है। उन्होंने एजेंसी के खिलाफ FIR दर्ज कराने और ब्लैकलिस्ट करने की बात कही है। अब देखने वाली बात ये होगी कि इस घटना के बाद कितनी जल्दी और कितनी सख्त कार्रवाई होती है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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