मां स्टेशन पर कुली, बेटी ने जीता पावरलिफ्टिंग वर्ल्ड कप गोल्ड, रच दिया इतिहास
punjabkesari.in Sunday, Dec 01, 2024 - 11:05 AM (IST)
नारी डेस्क: 20 वर्षीय कस्तूरी राजमूर्ति ने हाल ही में रूस के नोवोसिबिर्स्क में पावरलिफ्टिंग विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता। उनका यह अविस्मरणीय प्रदर्शन न केवल उनके खेल के प्रति समर्पण को दर्शाता है, बल्कि उनकी मां के संघर्ष की प्रेरणा को भी उजागर करता है। कस्तूरी की मां तिरुवन्नामलाई रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती हैं, और कस्तूरी ने अपनी मां को देखकर कठिनाई और मेहनत की असली कीमत समझी।
मां के संघर्ष से मिली प्रेरणा
कस्तूरी ने अपनी जीत के बाद कहा, "जब मैं प्रतियोगिता में वजन उठाने जा रही थी, तो मैंने अपनी मां को याद किया, जो रेलवे स्टेशन पर भारी सामान उठाती हैं। उनकी मेहनत को देख कर मुझे बहुत प्रेरणा मिली और मुझे लगा कि इस बार मैं यह वजन जरूर उठाऊंगी।"
कस्तूरी की मां की आंखों में खुशी के आंसू थे, जबकि कस्तूरी भी भावुक हो गईं। कस्तूरी ने 48 किग्रा वर्ग में 75 किग्रा डेडलिफ्ट और 55 किग्रा स्क्वाट करके स्वर्ण पदक हासिल किया।
खेल में कठिन यात्रा
कस्तूरी ने अपनी यात्रा को आसान नहीं बताया। उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यहां तक पहुंच पाऊंगी। मेरी यात्रा बहुत कठिन थी, लेकिन मेरे पास हार मानने का विकल्प नहीं था।" कस्तूरी का खेल में सफर शुरुआत में फुटबॉल से हुआ था। उन्होंने स्कूल में फुटबॉल खेला और क्षेत्रीय खिताब भी जीते। लेकिन बाद में उन्हें महसूस हुआ कि टीम के खेल मानसिक रूप से थका देने वाले होते हैं, और फिर उन्होंने पावरलिफ्टिंग को चुना।
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पावरलिफ्टिंग में सफलता
2023 में कस्तूरी ने पावरलिफ्टिंग को अपनाया और एक साल के भीतर ही जिला टूर्नामेंट में 36 पदक जीते। उन्होंने चेन्नई के कोट्टुरपुरम में स्थानीय कोचों से प्रशिक्षण लिया, और अपने फुटबॉल अभ्यास, कॉलेज की पढ़ाई और पावरलिफ्टिंग ट्रेनिंग के बीच संतुलन बना लिया।
हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण कस्तूरी ने इस साल यूरोप में प्रतिस्पर्धा करने का मौका खो दिया, क्योंकि उनके पास वीजा के लिए आवेदन करने के पैसे नहीं थे। उन्होंने कहा, "मैंने विधायक से मदद मांगी, जिन्होंने मुझे 25,000 रुपये दिए, लेकिन वह प्रतियोगिता रद्द हो गई।"
मां के संघर्ष से प्रेरित होकर आगे बढ़ी कस्तूरी
नोवोसिबिर्स्क में कस्तूरी को एक और अवसर मिला, जब भारतीय पावरलिफ्टिंग फेडरेशन ने उनका समर्थन किया। उनके इस प्रयास को तमिलनाडु खेल विकास प्राधिकरण (SDA) ने भी सराहा और उन्हें ओलंपिक भारोत्तोलन के लिए प्रशिक्षण लेने का अवसर दिया। कस्तूरी को अब भी यह तय करना है कि वह खेल पर फोकस करें या अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए नौकरी करें। उन्होंने कहा, "मेरे पिता बीमार हैं और मेरी मां अकेली काम करती हैं। मैं पहले अपने परिवार को सुरक्षित और खुश देखना चाहती हूं, तब ही खेल पर ध्यान केंद्रित करूंगी।"