पितृ पक्ष 2025: गर्भ में मृत्यु हो जाने पर बच्चे का श्राद्ध करना चाहिए या नहीं? शास्त्र क्या कहता है?

punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 11:14 AM (IST)

नारी डेस्क:  पितृ पक्ष शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से आरंभ होगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इस समय किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष दिलाता है और पितृ दोष को दूर करता है। लेकिन सवाल उठता है कि जिन बच्चों की गर्भ में ही मृत्यु हो गई हो, क्या उनका श्राद्ध किया जाना चाहिए? और बच्चों के श्राद्ध के क्या नियम हैं? आइए जानते हैं।

गर्भ में मृत्यु होने पर श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?

अगर कोई बच्चा गर्भ में ही किसी कारण से मर जाता है, तो शास्त्रों के अनुसार उसका श्राद्ध नहीं किया जाता। ऐसी अजन्मी संतान की आत्मा की शांति के लिए मलिन षोडशी नामक विशेष अनुष्ठान किया जाता है। मलिन षोडशी हिंदू धर्म में मृत्युपरांत की जाने वाली एक प्रक्रिया है, जो मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति और परिवार को अशुभ प्रभाव से बचाने के लिए की जाती है। यह अनुष्ठान मृत्यु से लेकर अंतिम संस्कार तक के समय में किया जाता है।

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किस उम्र तक के बच्चों का श्राद्ध नहीं होता?

जिन बच्चों की जन्म के बाद मृत्यु हो जाती है, उनके श्राद्ध के नियम उनकी उम्र पर निर्भर करते हैं। नवजात शिशु या 2 साल से कम उम्र के बच्चों का श्राद्ध नहीं किया जाता। इनके लिए भी मलिन षोडशी अनुष्ठान और तर्पण किया जाता है। पारंपरिक श्राद्ध कर्म छोटे बच्चों के लिए लागू नहीं होता। ऐसे बच्चों का वार्षिक श्राद्ध भी नहीं किया जाता।

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बच्चों का श्राद्ध कब किया जाता है?

6 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों की मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर किया जाता है। अगर मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो त्रयोदशी तिथि को पूर्ण विधि-विधान से श्राद्ध किया जाता है। तिथि न ज्ञात होने पर भी त्रयोदशी तिथि को तर्पण करना चाहिए, इससे बच्चों की आत्मा को मोक्ष मिलता है।

गर्भ में मरने वाले बच्चे का श्राद्ध नहीं किया जाता, बल्कि मलिन षोडशी अनुष्ठान किया जाता है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों का भी श्राद्ध नहीं होता, केवल मलिन षोडशी और तर्पण किया जाता है। 6 साल से ऊपर के बच्चों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि या त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

पितृ पक्ष के इस पावन अवसर पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सही नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि उनका आशीर्वाद बना रहे।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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