अहमदाबाद हादसा: बिल्कुल अकेले रह गए पायलट सुमित सभरवाल के बुजुर्ग पिता, बेटे का शव देख टूटा दिल
punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 11:48 AM (IST)

नारी डेस्क: अहमदाबाद में पिछले सप्ताह दुर्घटनाग्रस्त हुए एअर इंडिया के विमान के पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल का पार्थिव शरीर मंगलवार को मुंबई लाया गया। सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने अपने बेटे को नम आंखों से विदाई दी। बुजुर्ग पिता की आंखें बेबसी और दर्द को साफ बयां कर रही थी, एक पिता के लिए अपने बेटे का शव देखना जिंदगी का सबसे बड़ा दुख होता है।
#WATCH | #AirIndiaPlaneCrash | Maharashtra: Father of Captain Sumeet Sabharwal, Pushkaraj pays emotional tribute to his son outside their residence in Powai, Mumbai.
— ANI (@ANI) June 17, 2025
Captain Sabharwal was flying the ill-fated London-bound Air India flight that crashed soon after take off in… pic.twitter.com/NStRiMM6BY
हाथ जोड़कर अपने बेटे को अंतिम विदाई देते हुए पिता का टूटा हुआ दिल हर किसी की आंखों नम कर गया। अब वह किसके सहारे अपनी जिंदगी गुजारेंगे। कैप्टन सुमित की मां का निधन दो साल पहले हो गया था। अभी तक कैप्टन सुमित ने शादी भी नहींं की थी। मां के जाने के बाद वहीं अपने पिता का ख्याल रखते थे। ऐसे में उन्होंने पिता के लिए नौकरी छोड़ने का भी मन बना लिया था, लेकिन इससे पहले ही किस्मत ने उन्हें धोखा दे दिया।
एक अधिकारी ने बताया कि सभरवाल के पार्थिव शरीर को एक ताबूत में रखकर विमान से सुबह मुंबई हवाई अड्डे पर लाया गया। इसके बाद सभरवाल के परिवार के सदस्य शव को पवई के जल वायु विहार स्थित उनके आवास पर ले गए। सभरवाल (56) के कई दोस्त और रिश्तेदार तथा स्थानीय निवासी श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास के बाहर एकत्र हुए। सभरवाल (56) मुंबई में अपने बुजुर्ग पिता के साथ रहते थे। लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान (एआई-171) 12 जून को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे।
विमान के एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार एक यात्री को छोड़कर बाकी सभी की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज परिसर में मौजूद अन्य 29 लोगों की भी मौत हो गई। इस विमान की कमान कैप्टन सभरवाल और उनके सहयोगी फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर संभाल रहे थे। डीजीसीए ने पहले एक बयान में बताया था कि सभरवाल के पास 8,200 घंटे उड़ान का अनुभव था, जबकि कुंदर के पास 1,100 घंटे उड़ान का अनुभव था।