Periods में आपको भी होती बहुत ज्यादा Blood Clotting? तो जानिए इसके कारण और बचाव

punjabkesari.in Tuesday, Nov 26, 2024 - 05:20 PM (IST)

नारी डेस्कः मासिक चक्र जो हर महिला के जीवन का जरूरी हिस्सा है। औरत को मां बनने का सुख इसी से जुड़ा है। कम दर्द और 3 से 5 दिन तक रहने वाली नॉर्मल ब्लीडिंग सामान्य पीरियड्स के लक्षण हैं। पीरियड्स सही समय से आना जरूरी है अगर पीरियड्स अनियमित हैं तो इसका इलाज करवाना भी। बहुत सी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है, काला खून आता है और साथ में ब्लड क्लोटिंग (Blood clots) भी लेकिन क्या इस दौरान खून के थक्के आना नॉर्मल है। चलिए आज इसी समस्या पर ही बात करते हैं। 

पीरियड्स के दौरान काला खून आने के कारण | Periods Mein Kala Khoon Aana

पीरियड्स के दौरान काला खून आना भी आम कारणों में से एक है। गर्भाशय से निकलने में रक्त को ज़्यादा समय लगता है और इस दौरान, रक्त ऑक्सीकरण की प्रक्रिया से गुज़रता है इसलिए इसका रंग गहरा हो जाता है। ऐसा आमतौर पर पीरियड्स की शुरुआत या अंत में होता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव भी कारण हो सकता है और भी कारण है जो नीचे दिए गए हैं।
वेजाइना में किसी चीज़ की मौजूदगी,
गर्भ निरोधक उपकरण जैसे कॉपर टी, टेम्पोन आदि का इस्तेमाल 
पहली बार पीरियड्स आने पर या मेनोपॉज के दौरान 
पेल्विक इंफ़्लेमेटरी डिज़ीज या अन्य वैजाइनल इंफेक्शन
गर्भपात के कारण भी हो सकता है।
अगर पीरियड्स के दौरान काला खून एक-दो बार आता है तो इसे सामान्य माना जा सकता है लेकिन अगर यह समस्या लगातार बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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पीरियड्स के दौरान खून के थक्के आने के लक्षण क्या हैं? Symptoms of Blood clots in periods| Periods mein blood clots aana

वैसे अगर पीरियड्स के दौरान छोटे और कभी कभार ही थक्के आते हैं तो डरने वाली कोई बात नहीं है लेकिन अगर हर महीने ही नियमित रूप से आपको खून के थक्के आए तो डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है जो असामान्य खून के थक्के हैं उनका आकार एक चौथाई बड़ा होता है और ये कम अंतराल में आते हैं और ये स्थिति बिलकुल भी सामान्य नहीं होता। इतनी ज्यादा ब्लीडिंग होती है कि हर दो घंटे में पैड बदलना पड़ता है। ऐसे में लापरवाही बरती जाए तो एमरजेंसी की स्थिति भी बन जाती है।

पीरियड के थक्के कितने बड़े होने चाहिए? blood clots Kitne Bade ho Skte hai 

पीरियड्स के दौरान शरीर में बहुत छोटे-छोटे थक्के बन सकते हैं, जो एक पैसे के आकार या एक चौथाई आकार के हो सकते हैं और यह सामान्य है लेकिन अगर शरीर से गोल्फ़ बॉल के आकार के थक्के निकल रहे हैं और हर दो घंटे में निकल रहे हैं तो यह चिंता की बात है और इसकी जांच जरूरी है।

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पीरियड्स में खून के थक्के आने का कारण क्या है? (Causes of blood clots in periods)

इस बारे में लगभग हर महिला ही जानना चाहती है। यह समस्या ज्यादातर उन महिलाओं को होती है जो चाइल्डबियरिंग (बच्चे पैदा करने की उम्र में हैं) अवस्था में होती हैं। इस उम्र में यूटेरस लाइन (पीरियड्स में खून बन के) बहने लगती है। इस लाइन को एंडोमेट्रियम (endometrium) भी कहते हैं। एस्ट्रोजन हार्मोन को रिस्पॉन्स देने के लिए, एंडोमेट्रियम बड़ा और चौड़ा हो जाता है। इससे फर्टिलाइज हुए एग को सपोर्ट मिलता है। जब प्रैग्नेंसी नहीं होती तो दूसरे हार्मोंन यूट्रेस लाइन के साथ बहने लगते हैं और इसी को पीरियड्स (Menstruation) कहते हैं।जब ये लाइन खून, म्यूकस और टिश्यू के साथ मिक्स होकर बहती हैं तब ये सारा मिक्सचर, यूटेरस से निकल कर सर्विक्स में और सर्विक्स के बाद वजाइना से बाहर आ जाता है। 

पीरियड्स के दौरान शरीर में एंटीकोगुलेंट (Anticoagulant) बनता है और वहीं खून को पतला कर खून के थक्के नहीं बनने देता जब एंटीकोगुलेंट बनना कम हो जाते हैं तो खून के थक्के (Blood clots) आना शुरू हो जाते हैं। 

हार्मोन असर भी पीरियड्स में नजर आता है और इससे पीरियड्स में हैवी फ्लो भी हो जाता है। हैवी फ्लो के कारण भी खून के थक्के आना शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं जिससे पीरियड्स में खून के थक्के आते हैं। 

फाइब्रॉइड: यूटेरस में रसौली (फाइब्रॉइड) के कारण भी हैवी ब्लीडिंग और क्लोट आने लगते हैं। नॉन-कैंसर ट्यूमर बनने और हार्मोनल बदलाव के कारण पीरियड्स में खून के थक्के आने लगते हैं और यह समस्या सबसे आम समस्या है। 

हार्मोनल असंतुलन: अगर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का बेलेंस खराब है तो यूटेरस लाइन का आकार चौड़ा होने लगता है जिससे बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है और खून के थक्के (Blood clots) भी आने लगते हैं। 

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मिसकैरेज: प्रेग्नेंसी होने पर जब किसी काररण मिसकैरेज हो जाता है तब भी ब्लीडिंग के साथ क्लॉट्स आने लगते हैं।

यूटेरस में रूकावट (Uterine obstruction): यूटेरस की दीवार पर एक्स्ट्रा दबाव आने पर पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग और क्लॉट्स आने लगते हैं। 

एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): इस समस्या में यूटेरस लाइन यूटेरस के बाहर बनने लगती है,जिससे ब्लड क्लॉट की समस्या शुरू हो जाती है।

एडिनोमायोसिस (Adenomyosis): यूटेरस लाइन जब यूटेरस में ही बहुत ज्यादा बढ़ने लगती है तब भी पीरियड्स के समय खून के थक्के आने लग जाते है।

वॉन विलेब्रांड: इस डिसऑर्डर के कारण भी पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और साथ ही ब्लड क्लॉट आने लगते हैं।

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पीरियड्स में खून के थक्के आने की समस्या की जांच कैसे की जाती है? 

डाक्टर सबसे पहले तो मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं। इसी के साथ पेल्विक की सर्जरी, बर्थ कंट्रोल या प्रैग्नेंसी से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं। इसके लिए इमेजिंग टेस्ट, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड करवाने को कहा जा सकता है। 

पीरियड्स में खून के थक्के आने का इलाज कैसे किया जाता है? Periods Mein Blood Cloting Ka Ilaj

इसके लिए डॉक्टरी सलाह लें। डाक्टर की बताई गई दवाइयां और तरीके को ही फॉलो करें। इसमें हार्मोनल थैरेपी, सर्जरी आदि भी शामिल हो सकती है। 

हार्मोनल थैरेपी में यूटेरस लाइन की ग्रोथ को कम करने के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स, Intrauterine device और दूसरी दवाइयां इस्तेमाल की जा सकती है।

वहीं सर्जरी की जरूरत कुछ ही केसेज में पड़ती है। अगर फाइब्रॉइड के कारण खून के थक्के आ रहे हैं तो फाइब्रॉइड को हटाने के लिए मायोमेक्टामी सर्जरी की जाती है। अगर यूटेरस में फाइब्रॉइड छोटा है तो लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी की जा सकती है। कभी-कभी फाइब्रॉइड को हटाने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी भी करना पड़ती है, इसमें पूरे यूटेरस को निकाल दिया जाता है। वहीं dilation and curettage (D and C) प्रोसेस का इस्तेमाल मिसकैरेज के बाद किया जाता है लेकिन खून के थक्के को रोकने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

खून के थक्के कैसे ठीक होते हैं? Periods Mein Blood Clot Kaise Thik Kare

रक्त के थक्कों के लिए एक उपचार एंटीकोगुलेंट दवाएं (रक्त को पतला करने वाली दवाएं) हैं। ये दवाएं रक्त के थक्कों को बड़ा होने से रोकती हैं और नए थक्के बनने से रोकती हैं। यह दवा कई महीनों तक लेनी पड़ सकती है और दवाई कैसे काम कर रही है इसके लिए आपको डाक्टर से रूटीन चेकअप करवाना पड़ सकता है।

पीरियड्स में ब्लड क्लॉटिंग का नैचुरल इलाज | Periods Mein Blood Clotting

पीरिड्स के दौरान क्लॉटिंग की समस्या को कुछ उपाय से ठीक कर सकते हैं और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इस प्रॉब्लम से छुटकारा पा सकते हैं।

रास्पबेरी टी

पीरिड्स के दौरान क्लॉटिंग की परेशानी को कम करने के लिए रास्पबेरी टी पीएं। इसके लिए 1 कप पानी लें। इसमें 1 चम्मच रेड रास्पबेरी टी डाले और इसे 5 मिनट तक उबालें। बाद में इसे छान लें और इसमें शहद मिक्स करके पिएं। दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करने से आपको अधिक लाभ मिलेगा। इससे ब्लड क्लॉटिंग की परेशानी कम होगी।

ठंडी सिंकाई

पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लड क्लॉटिंग की परेशानी को कम करने के लिए आप ठंडी सिंकाई कर सकते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही होता है और क्लॉटिंग की परेशानी को कम कर सकता है।

मालिश करें

मालिश कराने से मासिक धर्म के रक्त के थक्कों को भी दूर करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

पूरी नींद लें और रोजाना एक्सरसाइज करें।
स्ट्रैस कम लें और योग-ध्यान और गहरी सांस लें। 
कैफ़ीन, धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। 
फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन ज्यादा करें।
विटामिन-सी से भरपूर चीजें खाएं जैसे- संतरा, कीवी, ब्रोकली, टमाटर जूस।
हैवी ब्लीडिंग है तो आयरन का स्तर कम हो जाता है। इसके लिए आयरन की खुराक बढ़ा दें। 

नोटः अगर आपको बहुत अधिक खून के थक्के निकल रहे हैं तो डॉक्टर से चैकअप जरूर करवाएं।
 


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Content Writer

Vandana

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