क्या आपको भी 1-2 दिन ही आते Periods ? तो ये जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 09:18 PM (IST)
नारी डेस्कः पीरियड्स महिलाओं की जिदंगी का अहम चक्र है। मासिक धर्म का सही समय पर आना और उचित मात्रा में ही रक्तस्त्राव होना जरूरी है लेकिन जब महिलाओं को पीरियड्स ज्यादा आते हैं तब ही उन्हें इमरजेंसी महसूस होती है हालांकि जब पीरियड में ब्लीडिंग कम हो तो वह इस बात को नॉर्मल समझ कर इग्नोर कर देती है। करीब 80 प्रतिशत महिलाएं ऐसा ही करती हैं।
एक या दो बार के मासिक चक्र में ऐसा हो तो यह सामान्य बात है लेकिन ऐसा लगातार हो रहा है तो स्त्री विशेषज्ञ के पास चेकअप करवाना जरूरी है क्योंकि कम ब्लीडिंग से कंसीव की समस्या भी आती है और ब्लीडिंग होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ब्लीडिंग शरीर में जमा हुई गंदगी बाहर भी निकाल देता है।
अब कैसे पता चलेगा कि पीरियड्स में ब्लीडिंग कम है?
महिला को सामान्य 30 से 40 मि.ली. ब्लीडिंग हो सकती है और एक पैड में 5 मिलीलीटर खून सोखने की क्षमता होती हैं। ऐसे में 7 से 8 पैड्स इस्तेमाल हो जाते हैं। अगर इससे कम ब्लीडिंग हो रही हैं तो उसे खुलकर पीरियड्स ना आना ही माना जाएगा। जैसे -
एक-दो दिन या उससे भी कम दिन ब्लीडिंग होना।
ब्लड क्लॉटिंग होना, यानि थक्के आना जो गांठों की तरह जमे होते हैं।
एक महीने सही और अगले महीने कम ब्लीडिंग कम हो जाना इसी के लक्षण है।
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ऐसा होने का कारण क्या हैं?
उम्रदराज महिलाओं के साथ होना सामान्य है। यह बढ़ती उम्र की निशानी है लेकिन अगर ये समस्याएं उम्र से पहले ही हो रही हैं तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं चलिए उन कारणों के बारे में ही आपको बताते हैं।
गलत डाइट और ज्यादा वजन
अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है और आपका खान-पान भी गलत है तो दोनों ही स्थिति में आपको पीरियड्स खुल कर नहीं आएंगे क्योंकि इससे हार्मोंन्स गड़बड़ी हो जाती है। शरीर में खून की कमी होने लगती है और इसी के चलते पीरियड्स में ब्लीडिंग नहीं होती।
तनाव और ओवर एक्सरसाइज
तनाव भी आपके पीरियड्स साइकिल को प्रभावित करता है। दिमाग पीरियड्स से जुड़े हार्मोंन्स पर असर डालता है जो महिलाएं बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करती हैं उन्हें भी यह समस्या रहती है।
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गर्भ निरोधक गोलियां खाने वाली महिला
बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करने से ओवयूलेशन की प्रक्रिया में एग नहीं बनते यूट्रस के आसपास मोटी परत बन जाती है। पी.सी.ओ. डी. और पी.सी.ओ.एस रोग से पीड़ित महिला के भी पीरियड अनियमित हो जाते हैं।
ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाएं
ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को भी यह दिक्कतें आती हैं क्योंकि दूध बनाने वाले हार्मोंन्स ओव्यूलेशन को आगे बढ़ा देते हैं। जब ओव्यूलेशन आगे बढ़ेगा तो पीरियड्स भी देरी से आते हैं और लाइट भी हो जाते हैं लेकिन यह समस्या समय के साथ ठीक भी हो जाती है। महिलाएं डाक्टरी सलाह से अपने लिए कोई टोनिक ले सकती हैं। अगर आपको लगातार पिछले 3 महीने यह समस्या रहे और पीरियड्स देरी से आए कम आए या खून के रंग में बदलाव आए तो स्त्री रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं।
ये देसी नुस्खे आपके बहुत काम आएंगे
अगर आपको मासिक धर्म खुलकर नहीं आते तो दालचीनी पाउडर को पानी में उबालें और छानकर दिन में दो बार पीएं। गर्म दूध और चाय के साथ भी दालचीनी पाउडर का सेवन किया जा सकता है लेकिन दालचीनी का सेवन उचित मात्रा में करें। स्तनपान करवाने वाली महिला इसका सेवन ना करें। हल्दी को दूध या खान-पान की दूसरी चीज़ों में मिलाकर लिया जा सकता है।
तिल और गुड़ का सेवन करें क्योंकि गुड़ खून को साफ करता है और तिल से आपको पीरियड्स खुलकर आएंगे।
गाजर में विटामिन ए होता है। इससे खून भी बनता है। गाजर का सलाद या जूस जरूर पीएं।
अशोक के पेड़ की 90 ग्राम छाल को 30 मिलीलीटर पानी में 10 मिनट तक उबालें और इसे छानकर प्रतिदिन दिन में दो या तीन बार पीएं।
रोज 200 ग्राम कच्चा पपीता खाएं। इससे रक्त के प्रवाह ठीक से होगा जिससे पीरियड्स समय पर भी आएंगे और खुलकर भी।
महिला को रोजाना ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप अलसी, अखरोट, साल्मन मछली खाएं। डाक्टरी सलाह से ओमेगा-3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट्स का सेवन करे।
खून की कमी है तो आयरन फूड्स शामिल करें। आयरन के पालक की सब्जी, साग ब्रोकली, तोरई, फलियां आदि हरी सब्जियां खाएं।
नोटः आपकी डाइट अच्छी है फिर भी ये समस्या ठीक नहीं हो रही तो डाक्टर से चेकअप जरूर करवाएं।