Periods से पहले दिखें ये लक्षण तो समझ जाइए,आपके शरीर के लिए खतरे की घंटी!
punjabkesari.in Wednesday, Feb 26, 2025 - 12:27 PM (IST)
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नारी डेस्क: प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) एक ऐसी स्थिति है, जो मासिक धर्म (पीरियड्स) शुरू होने से कुछ दिन पहले महिलाओं में देखने को मिलती है। यह शारीरिक और मानसिक लक्षणों का एक समूह होता है, जो हर महिला में अलग-अलग रूप में प्रकट होते हैं। अक्सर महिलाएं पीरियड्स के पहले ब्रेस्ट में बदलाव, मुंहासे, पाचन संबंधी समस्याओं, और सुस्ती का अनुभव करती हैं। कुछ महिलाओं को इस दौरान मानसिक तनाव, चिंता और थकान भी महसूस होती है।
पीरियड्स से पहले होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं के कारण
हार्मोनल परिवर्तन और उनके प्रभाव
पीरियड्स से पहले हार्मोन में होने वाले बदलावों का शरीर और मन पर गहरा असर पड़ता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव इस दौरान अधिक होते हैं। जब ये हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो यह शरीर में पानी के जमाव, सूजन, मानसिक तनाव, और मूड स्विंग जैसी समस्याओं को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही, महिलाओं को इस समय शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
वाटर रिटेंशन (जल अवधारण) और सूजन
पीरियड्स के दौरान शरीर में जल अवधारण (water retention) होना आम बात है। शरीर में अतिरिक्त पानी का जमा होना सूजन और भारीपन की समस्या को जन्म देता है, खासकर हाथों, पैरों और पेट में। इससे महिलाओं को असहज महसूस हो सकता है और वे अपनी सामान्य गतिविधियों को सही से नहीं कर पातीं। यह स्थिति न केवल शारीरिक तौर पर परेशान करती है, बल्कि मानसिक रूप से भी तनाव उत्पन्न कर सकती है।
पाचन समस्याएं और गैस
हार्मोनल परिवर्तन पाचन तंत्र पर भी असर डालते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण, महिलाओं को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट में ऐंठन, कब्ज, गैस, और सूजन का सामना करना पड़ता है। इससे महिलाओं को असुविधा महसूस होती है, और कभी-कभी यह समस्याएं उनके मूड को भी प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में पेट की समस्याएं भी पीएमएस के लक्षणों को और बढ़ा सकती हैं।
ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव
पीरियड्स के दौरान ब्लड शुगर के स्तर में भी उतार-चढ़ाव होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है। यह बदलाव खासकर तब महसूस होता है जब रक्त शर्करा का स्तर अचानक गिरता है, जिससे कमजोरी और थकान का अनुभव होता है। इस दौरान महिलाओं को अचानक भूख लग सकती है या वे खाने के बाद भी सन्तुष्ट महसूस नहीं करतीं। इसके साथ ही, मीठा खाने की इच्छा भी बढ़ जाती है, जो ब्लड शुगर को असंतुलित कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर और मूड स्विंग्स
पीरियड्स से पहले मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। इस दौरान महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, चिंता, और उदासी का सामना हो सकता है। हार्मोनल असंतुलन से मानसिक स्थिति में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे वे बिना किसी कारण के तनाव महसूस करती हैं। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को अत्यधिक संवेदनशीलता और भावनात्मक अस्थिरता का सामना भी करना पड़ सकता है, जो उनकी सामान्य दिनचर्या को प्रभावित करता है।
पीएमएस की गंभीरता
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की गंभीरता हर महिला में अलग-अलग होती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 47.8% महिलाएं पीएमएस का अनुभव करती हैं, जिनमें से लगभग 20% महिलाएं गंभीर लक्षणों का सामना करती हैं। इन महिलाओं के लिए पीएमएस के लक्षण उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं। बाकी महिलाएं हल्के से मध्यम लक्षणों का अनुभव करती हैं, जिनका प्रभाव सामान्यतः उनके कार्यों पर नहीं पड़ता। हालांकि, यह स्थिति महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है, जिसे बिना नजरअंदाज किए उचित देखभाल और समाधान की आवश्यकता होती है।
उपचार और नियंत्रण के उपाय
पीएमएस के लक्षणों से राहत पाने के लिए महिलाओं को अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार, पर्याप्त पानी का सेवन, नियमित व्यायाम, और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए योग या ध्यान जैसे उपाय सहायक हो सकते हैं। इसके अलावा, विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन, जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन, शरीर को संतुलित बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। कैफीन और चीनी के सेवन में कटौती भी पीएमएस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
सहायता और परामर्श
अगर पीएमएस के लक्षण गंभीर हों और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हों, तो महिलाओं को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टर उचित उपचार और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं, जिससे पीरियड्स के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सके।
पीएमएस के दौरान थकान और सुस्ती के कारण
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे उनींदापन और थकान महसूस होती है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन का स्तर गिरने से ऊर्जा में कमी आ सकती है। इन हार्मोनल बदलावों के कारण सेरोटोनिन (मूड और ऊर्जा को नियंत्रित करने वाला हार्मोन) का स्तर भी प्रभावित हो सकता है, जिससे मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को नियंत्रित करने के उपाय
संतुलित आहार: इस दौरान जटिल कार्बोहाइड्रेट, फल, और सब्ज़ियां जैसे साबुत अनाज को आहार में शामिल करें, जिससे ब्लड शुगर का स्तर स्थिर रहेगा और ऊर्जा बनी रहेगी।
प्रोटीन से भरपूर आहार: मांस, मछली, बीन्स और नट्स का सेवन करें, जो शरीर को जरूरी ऊर्जा और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करें।
हेल्दी फैट्स: एवोकाडो और बीज जैसे हेल्दी फैट्स लें, जो लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
हाइड्रेटेड रहें: इस दौरान बहुत पानी पीना जरूरी है, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और थकान से बचा जा सके।
कैफीन और चीनी से बचें: इस समय कैफीन और चीनी के सेवन को कम करें, क्योंकि यह आपकी ऊर्जा को गिरा सकता है।
इस तरह के कुछ छोटे बदलाव आपकी सेहत को बेहतर बना सकते हैं और पीएमएस के लक्षणों से राहत दे सकते हैं।