लावारिस शवों के मसीहा शरीफ चाचा की हालत हो गई ऐसी, इलाज के लिए भी नहीं पैसे
punjabkesari.in Wednesday, Feb 24, 2021 - 03:27 PM (IST)
'लावारिस' शब्द सुनते ही आपके मन में यह ख्याल आएगा कि वो शख्स जिसका कोई अपना नहीं होता है लेकिन भगवान ने ऐसा कोई शख्स नहीं बनाया जिसका कोई अपना न हो। हां कईं बार ऐसी स्थिती बन जाती है कि आप अपने परिवार से ही अलग हो जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भगवान आपके लिए किसी न किसी को जरूर भेज देता है। आपने ऐसे बहुत से लोग देखें होंगे जो सड़क किनारे ही अपनी जिंदगी गुजारते हैं और वहीं उनकी जिंदगी खत्म हो जाती है ऐसे में इन लावारिस शवों को अग्नि देने के लिए भी भगवान किसी न किसी को जरूर भेज देता है। उन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के मोहम्मद शरीफ। आपने इनके बारे में और इनके नेक काम के बारे में जरूर सुना होगा।
25 सालों में 25,000 से अधिक शवों का कर चुके अंतिम संस्कार
मोहम्मद शरीफ 25 सालों से अब तक 25 हजार से ज्यादा लावरिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इस नेक और काबिले तारीफ काम के लिए उन्हें पिछले साल पद्मश्री के लिए भी चुना गया था। दूसरों की मदद करने वाले और हमेशा उनके लिए खड़े होने वाले मोहम्मद शरीफ की आज अपनी हालत ठीक नहीं हैं। उनकी हालत बेहद नाजुक है और आर्थिक तंगी के कारण उनके पास इलाज करवाने के भी पैसे नहीं हैं।
‘लावारिस शवों के मसीहा’ आज खुद है मदद के मोहताज
मोहम्मद शरीफ को ‘लावारिस लाशों का मसीहा’ कहा जाता है। उनहे आस पास के लोग उन्हें चाचा कहकर पुकारते हैं। लेकिन आज उनकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है। वहीं उन्हें पद्मश्री अवार्ड मिलने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक उन्हें यह सम्मान नहीं मिल पाया है। मोहम्मद शरीफ कहते हैं ,' मैंने टीवी पर इसके बारे में समाचार सुना लेकिन अब तक मुझे पुरस्कार नहीं मिला है। मैं लगभग दो महीने पहले बीमार हुआ था।'
बुरे दौर से गुजर रहे
Ayodhya: Mohammad Sharif, who was named for Padma Shri for cremating unclaimed bodies, says he has yet to receive the award.
— ANI UP (@ANINewsUP) February 20, 2021
"I heard the news about it on TV but have not received the award so far. I fell ill nearly two months ago," he says. pic.twitter.com/JTCeFY17Ye
वहीं खबरों की मानें तो मोहम्मद शरीफ के बेटे शगीर ने कहा, ‘हम बहुत कठिन समय गुजार रहे हैं। पैसों से घर खर्च ही पूरा नहीं हो पा रहा है ऐसे में पैसे की कमी के कारण हम पिता का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। हालांकि उनके इलाज के लिए एक स्थानीय डॉक्टर पर निर्भर थे। पैसे की कमी के कारण हम खर्च नहीं उठा पा रहे हैं।’
इस तरह की थी लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने की शुरूआत
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो शरीफ के परिवार में 4 बेटों में से सबसे बड़े बेटे की दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार लावारिसों की तरह किया गया था। ऐसे में इस एक घटना ने ही मोहम्मद शरीफ की जिंदगी को पूरी तरह बदला और इसके बाद उन्होंने ठाना कि वह लावारिस लाशों का संस्कार करेंगे। इस नेक काम को शरीफ ने अपनी जिंदगी का उद्देश्य ही बना लिया।