Ovarian Cancer होने पर कैसे लक्षण दिखते हैं? किन महिलाओं को होता है ज्यादा खतरा?

punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 10:23 AM (IST)

नारी डेस्क: अंडाशय का कैंसर महिलाओं में एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है, जो अक्सर देर से पहचानी जाती है। इसका कारण यह है कि इसके शुरुआती लक्षण सामान्य होते हैं, जिन्हें अक्सर लोग अन्य मामूली स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में समझ लेते हैं। अंडाशय में असामान्य कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना ही इस कैंसर की शुरुआत होती है। जब तक लक्षण स्पष्ट होते हैं, तब तक कैंसर कई बार शरीर के अन्य भागों तक फैल चुका होता है। इसलिए, महिलाओं के लिए इस बीमारी की जानकारी और समय पर जांच बेहद जरूरी है ताकि सही समय पर उपचार शुरू किया जा सके।

अंडाशय का कैंसर क्या है?

अंडाशय दो नट जैसी आकार की ग्रंथियां होती हैं, जो महिलाओं के प्रजनन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये अंडे का उत्पादन करती हैं और महिलाओं के हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती हैं। जब इनमें असामान्य कोशिकाएं बनती हैं और नियंत्रित तरीके से बढ़ना बंद कर देती हैं, तो यह अंडाशय का कैंसर कहलाता है। यह कैंसर महिलाओं में 50 वर्ष की उम्र के बाद ज्यादा देखा जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके कारण अंडाशय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे शरीर में अन्य तरह की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

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अंडाशय के कैंसर के लक्षण

अंडाशय के कैंसर के लक्षण शुरुआती दौर में इतने स्पष्ट नहीं होते कि उन्हें तुरंत पहचान लिया जाए। इसलिए इसे ‘मौन रोग’ भी कहा जाता है। पेट में हल्का सूजन या भारीपन महसूस होना सबसे सामान्य लक्षण है, जो दिन के किसी भी समय हो सकता है। इसके साथ ही पेट में दर्द या ऐंठन का अनुभव होना भी आम बात है। कई बार महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है, या पेशाब के रंग-स्वाद में बदलाव आ जाता है। भूख में कमी या जल्दी पेट भर जाने का एहसास भी हो सकता है, जिससे वजन कम हो सकता है। इसके अलावा पाचन तंत्र में भी गड़बड़ी जैसे गैस, कब्ज या अपच की समस्या देखी जाती है। मासिक धर्म के चक्र में अनियमितता, पीठ या कमर में दर्द, लगातार थकान महसूस होना जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। यदि ये लक्षण 2-3 हफ्तों से लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

किन महिलाओं को अंडाशय का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है?

हर महिला को अंडाशय के कैंसर का खतरा हो सकता है, लेकिन कुछ विशेष कारणों से यह खतरा बढ़ जाता है। सबसे अधिक जोखिम 50 साल से ऊपर की महिलाओं को होता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ शरीर की कोशिकाओं में असामान्य बदलाव होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि परिवार में किसी महिला को पहले से अंडाशय, स्तन या कोलन कैंसर का इतिहास है, तो आनुवांशिक कारणों से कैंसर का खतरा भी ज्यादा होता है। लंबे समय तक हार्मोन थेरेपी लेना या हार्मोन का असंतुलन होना जैसे पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) वाले महिलाओं में भी जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, जिन महिलाओं ने कभी गर्भधारण नहीं किया है या ज्यादा समय तक गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग नहीं किया, उनमें कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। मोटापा भी एक बड़ा जोखिम कारक है क्योंकि अधिक वसा हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।

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अंडाशय के कैंसर की जांच कैसे होती है?

यदि आपको उपरोक्त लक्षण महसूस हों या आप जोखिम वाले समूह में आती हैं, तो समय पर डॉक्टर से जांच करवाना अत्यंत आवश्यक है। सबसे पहले पेल्विक एक्सामिनेशन किया जाता है, जिसमें डॉक्टर महिला के पेल्विक क्षेत्र को जांचते हैं। इसके बाद अल्ट्रासाउंड की मदद से अंडाशय और आसपास के क्षेत्र की स्थिति देखी जाती है। कुछ मामलों में, जब अधिक जानकारी की जरूरत होती है, तो सीटी स्कैन या एमआरआई भी किया जा सकता है। इसके साथ ही खून की जांच में CA-125 नामक मार्कर की जांच की जाती है, जो अंडाशय के कैंसर का संकेत दे सकता है। अगर जांच में किसी तरह की असामान्यता पाए जाती है, तो बायोप्सी के जरिए कैंसर की पुष्टि की जाती है। जांच जितनी जल्दी होगी, उपचार उतना ही प्रभावी होगा।

अंडाशय के कैंसर से बचाव के उपाय

अंडाशय के कैंसर से पूरी तरह बचाव संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय इसे होने की संभावना को कम कर सकते हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना सबसे महत्वपूर्ण कदम है ताकि समय पर किसी भी समस्या का पता चल सके। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और सही वजन बनाए रखना शामिल हो। मोटापा कैंसर का जोखिम बढ़ाता है, इसलिए वजन नियंत्रित रखें। यदि परिवार में कैंसर का इतिहास हो, तो डॉक्टर से नियमित सलाह लेते रहें और आवश्यक जांच करवाते रहें। गर्भधारण करने वाली महिलाओं में अंडाशय के कैंसर का खतरा कम होता है, इसलिए यदि संभव हो तो बच्चे को जन्म देना भी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, तनाव कम करें और अपने हार्मोन स्तर पर भी ध्यान दें।

अंडाशय का कैंसर एक खतरनाक लेकिन समय पर पहचाने जाने पर इलाज योग्य बीमारी है। इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना और डॉक्टर से तुरंत जांच कराना जीवन बचाने वाला कदम साबित हो सकता है। हर महिला को अपने शरीर के बदलावों पर नजर रखनी चाहिए और किसी भी असामान्यता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जागरूकता, सही जानकारी और समय पर इलाज से आप इस बीमारी को हरा सकती हैं। यदि आपको या आपके परिचितों को इस तरह के कोई लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं।  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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