डॉक्टरों के नहीं, अब खुद की आंखों से देखिए शरीर के अंदर क्या चल रहा है!

punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 04:09 PM (IST)

नारी डेस्क : विज्ञान और टेक्नोलॉजी हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, और मेडिकल साइंस इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुकी है। अब एक ऐसी तकनीक सामने आई है, जो इंसान को अपने शरीर के अंदर चल रही गतिविधियों को खुद देखने की सुविधा देगी। यह खोज मेडिकल जगत में एक बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।

चीन में बना अनोखा क्रिस्टल कैमरा

चीन के रिसर्चर्स ने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक बेहद खास क्रिस्टल कैमरा तैयार किया है। यह कैमरा Perovskite Crystal से बनाया गया है और इसकी खासियत यह है कि यह गामा रेज (Gamma Rays) को पकड़ने में बेहद तेज़ है। गामा रेज़ का इस्तेमाल मेडिकल जांचों, खासकर स्कैनिंग और कैंसर डिटेक्शन में किया जाता है। इस कैमरे की मदद से डॉक्टर अब मरीज के हार्टबीट, ब्लड फ्लो और शरीर के अंदर छिपी बीमारियों को बहुत सटीकता से देख सकते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि इस तकनीक के आने से SPECT स्कैन और अन्य जांचें पहले से कहीं अधिक भरोसेमंद हो जाएंगी। भविष्य में यह कैंसर और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों की पहचान के लिए वरदान साबित होगी।

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दिल्ली में भी आई मेडिकल क्रांति

भारत की राजधानी दिल्ली में भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। सफदरजंग हॉस्पिटल और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में मरीजों को अब अपने शरीर को 3D फॉर्मेट में देखने की सुविधा मिल गई है। इसके लिए अस्पताल में Anatomage Table नाम की आधुनिक मशीन लगाई गई है। यह मशीन मरीज के CT और MRI स्कैन को डिजिटल 3D मॉडल में बदल देती है। यानी मरीज अब अपने हार्ट, हड्डियों और टिश्यूज़ को बिल्कुल वास्तविक जैसी 3D इमेज में देख सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस तकनीक से मरीज अपनी बीमारी और इलाज को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। ऑपरेशन से पहले वे स्पष्ट रूप से जान पाएंगे कि उनके शरीर में क्या हो रहा है, जिससे उनका डर भी कम होगा।

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डॉक्टरों के लिए भी गेम चेंजर

यह तकनीक सिर्फ मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि डॉक्टरों के लिए भी किसी क्रांति से कम नहीं है। अब सर्जन ऑपरेशन थिएटर में जाने से पहले वर्चुअल प्रैक्टिस कर सकते हैं। वे पहले ही देख पाएंगे कि शरीर के किस हिस्से में कट लगाना है और किन जटिलताओं का सामना हो सकता है। इससे ऑपरेशन का जोखिम घटेगा और मरीज की जान बचने की संभावना बढ़ेगी। रेडियोलॉजिस्ट (Radiologist) भी इस तकनीक से बीमारी के फैलाव को 3D में देख सकते हैं और इलाज की अधिक सटीक योजना बना सकते हैं। इससे डायग्नोसिस (Diagnosis) और ट्रीटमेंट दोनों अधिक एडवांस्ड और सटीक बन जाएंगे।

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मेडिकल स्टूडेंट्स Students) के लिए बड़ा लाभ

इस तकनीक का फायदा मेडिकल स्टूडेंट्स को भी मिलेगा। वे अब डिजिटल बॉडी पर वर्चुअल डिसेक्शन कर सकते हैं। इससे वे शरीर की हर परत को आसानी से समझ सकेंगे और उन रेयर डिजीज़ का अध्ययन भी कर पाएंगे जिन्हें असल में देखना मुश्किल होता है। डॉक्टरों का कहना है कि अब मेडिकल एजुकेशन और ज्यादा इंटरएक्टिव और वास्तविक अनुभव पर आधारित हो जाएगी।

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अब से मरीज बनेंगे अपने इलाज का हिस्सा

एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, “अब मरीज केवल इलाज करवाने वाले नहीं रहेंगे, बल्कि अपनी बीमारी को समझने और निर्णय लेने में डॉक्टरों के साथ सक्रिय भागीदार बनेंगे।” इससे न केवल इलाज की पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि मरीजों में आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती भी बढ़ेगी।

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मेडिकल साइंस की यह नई दिशा आने वाले समय में हेल्थकेयर सेक्टर का चेहरा बदल सकती है। जहां पहले मरीज सिर्फ रिपोर्ट्स पर निर्भर रहते थे, वहीं अब वे खुद देख सकेंगे कि उनके शरीर में क्या हो रहा है। यह इंसान और विज्ञान के रिश्ते को एक नए स्तर पर ले जाने वाली खोज साबित होगी।
 


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Monika

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