पहले करियर फिर बच्चे: अब 20 नहीं 30 की उम्र में मां बनने का बढ़ा ट्रेंड
punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2024 - 12:53 PM (IST)
नारी डेस्क: मां बनना जितना सुखद अनुभव है उतना ही यह जिम्मेदारी भरा काम भी है। बच्चा पैदा हाेने के बाद तो मानो जैसे मां की जिंदगी पूरी तरह से ही बदल जाती है, वह खुद के लिए समय निकालना तो जैसे भूल ही जाती है। पुराने जमाने में परिवार बड़ा होने के चलते बच्चे आसानी से पल जाते थे लेकिन अब परिवार छोटे होते रहे और जिम्मेदार बड़ी होती रही। यही कारण है कि अब लड़कियां बच्चे पैदा करने का फैसला बेहद सोच- समझकर लेती हैं।
13 साल में हुआ बड़ा बदलाव
दिल्ली की एनुअल रिपोर्ट ऑन रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ 2023 के मुताबिक अब महिलाओं में मां बनने की औसत उम्र में इजाफा हो रहा है। 2010 में जहां 19 साल से कम उम्र में मां बनने का डाटा 1.62% था, 2023 में 0.88% रह गया। 30 से 34 साल के बीच 2010 में 9.46% मां बनीं, जबकि 2023 में आंकड़ा 24.71% पहुंच गया। यानी कि अब छोटी उम्र में मां बनने वालों की संख्या कम होती जा रही है।
क्या है इसके कारण
35 साल से ज्यादा उम्र में मां बनने वाली महिलाएं 2010 में 2.25 प्रतिशत थीं, अब 8.39 प्रतिशत महिलाएं इस कैटिगरी में हैं। 2010 में 25 से 29 साल की उम्र में 34.30 प्रतिशत महिलाएं मां बनी थीं, यह डेटा धीरे-धीरे बढ़कर 42.95 प्रतिशत तक पहुंच गया है। दरअसल 30 की उम्र के बाद बच्चे पैदा करने का निर्णय कई महिलाओं के लिए व्यक्तिगत और व्यावहारिक कारणों से प्रेरित होता है।
करियर और शिक्षा पर ध्यान दे रही हैं महिलाएं
कई महिलाएं अपनी शिक्षा पूरी करने और करियर में स्थिरता प्राप्त करने के बाद ही परिवार आगे बढ़ाने का सोचती हैं। इससे उन्हें आर्थिक रूप से स्थिरता मिलती है, जिससे वे अपने बच्चे की परवरिश के लिए बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान कर सकती हैं। महिलाएं अपने करियर में एक मुकाम हासिल करने के बाद, जब वे आत्मविश्वास से भरपूर होती हैं, तब वे परिवार बढ़ाने का निर्णय लेती हैं।
महिलाएं हो रही हैं जागरूक
समाज में भी धीरे-धीरे बदलाव आ रहे हैं, और अब 30 की उम्र के बाद बच्चों को जन्म देना एक सामान्य और स्वीकार्य प्रक्रिया मानी जा रही है।
महिलाएं अपनी शारीरिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता को प्राथमिकता देती हैं, जिससे वे अपने समय और शर्तों के अनुसार परिवार बढ़ाने का निर्णय ले सकती हैं। महिलाएं अब अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हैं और वे सही समय पर बच्चे पैदा करने के लिए योजना बना सकती हैं।