Flashback: सिर्फ कोरोना ही नहीं, साल 2021 में इन 6 बीमारियों ने भी जमकर मचाया कहर
punjabkesari.in Friday, Dec 31, 2021 - 10:08 AM (IST)
बीते दो साल हर किसी के लिए सबसे भयावह रहे। कोरोना महामारी के कारण बहुत से लोगों ने अपनों को खो दिया। बात अगर 2021 की करें तो एक दौरान जहां एक तरफ कोरोना ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुलाया वहीं दूसरी तरफ डेंगू और चिकनगुनिया ने भी काफी परेशान किया। इसके अलावा ब्लैक फंगस, ब्लड क्लॉटिंग, हार्ट प्रॉब्लम्स जैसी कई बीमारियों ने भी लोगों की परेशानी बढ़ाई। चलिए जानते हैं ऐसी ही 5 बीमारियों के बारे में, जिन्होंने साल 2021 में जमकर बरसाया कहर...
ब्लैक फंगस
म्यूकोरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस नाम का दुर्लभ इंफैक्शन ने कोरोना से ठीक हुए लोगों को अपनी चपेट में लिया। इसके कारण लोगों को आंखों की समस्याएं, धुंधलापन, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, चेहरे एक साइड दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यही नहीं, ब्लैक फंगस ब्रेन डैमेज का भी कारण बन सकता है।
ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट प्रॉब्लम्स
कोरोना से रिकवर हुए लोगों में इस साल ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट प्रॉब्लम्स भी काफी देखने को मिली। इसके कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत, धड़कनों में गड़बड़ी, हृदय में सूजन, हार्ट फेलियर, लो ब्लड पंपिंग कैपेसिटी जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ा।
मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम
मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम उन लोगों में देखने को मिला, जो कोरोना से रिकवर हुए थे। इसके काऱण दिल, फेफड़ों, रक्त वाहिकाओं, किडनी, पाचन तंत्र, स्किन और आंखों में सूजन आ जाती है। इस समस्या में बुखार, उल्टी, पेट दर्द, सिरदर्द और त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 6 महीने से 15 साल तक के बच्चे में यह बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिली।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस
पोस्ट कोविड और ब्लैक फंगस स्थितियों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस भी एक रही। इसे ऑस्टियो नेक्रोसिस या डेड बोन टिशू भी कहा जाता है। इसके कारण हड्डियों में खून की कमी हो जाती है, जिससे वो इतनी कमजोर हो जाती है कि हल्की-सी चोट से भी टूटने या फैक्चर का डर रहता है। इसके कारण मरीज को चलने-फिरने में दिक्कत और लेटने में परेशानी होती है।
डेंगू
इस साल कोरोना के साथ-साथ मच्छरों से होने वाली डेंगू का कहर भी काफी देखने को मिला। भारत में हजारों की संख्या में डेंगू मरीज पाए गए। अभी हाल ही में अकेले जयपुर में ही 3500 डेंगू पॉजिटिव केस सामने आए। यही नहीं, बरसाती मौसम में तो डेंगू का कहर इस कद्र बढ़ गया था कि अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की कमी भी हो गई थी।
स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus)
साल के आखिरी महीनों में स्क्रब या बुश टाइफस का कहर भी देखने को मिला जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होता है। इसके कारण करीब 100 लोगों को अपना जान गंवानी पड़ी। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब 1 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। परेशानी की बात तो यह है कि 50% लोगों में कीट के काटने के निशान दिखाई ही नहीं देते, जिसके कारण बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।