हर अंग से जुड़ी नौ शक्तियां: नवरात्रि के नौ स्वरूप और गर्भ में शिशु के नौ महीने का गहरा संबंध

punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 04:20 PM (IST)

नारी डेस्क : हिंदू धर्म में शक्ति की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है नवरात्रि। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। दिलचस्प बात यह है कि मां के गर्भ में पलने वाला शिशु भी नौ महीने में विकसित होता है। जैसे नवरात्रि साधना, संयम और शक्ति का पर्व है, वैसे ही गर्भावस्था भी एक स्त्री की तपस्या और शक्ति का अनोखा रूप है। आइए जानते हैं गर्भ के हर महीने और देवी के हर रूप के बीच का अद्भुत संबंध।

पहला महीना मां शैलपुत्री

गर्भावस्था का पहला महीना एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है। जैसे मां शैलपुत्री अटल दृढ़ता और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करती हैं, वैसे ही इस समय मां के भीतर एक नए जीवन की नींव रखी जाती है। यह चरण मानसिक रूप से खुद को गर्भावस्था की यात्रा के लिए तैयार करने और सकारात्मक सोच अपनाने का समय होता है।

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दूसरा महीना मां ब्रह्मचारिणी

गर्भावस्था के दूसरे महीने में मां को शारीरिक बदलाव और शुरुआती असहजता जैसे जी मिचलाना, थकान या कमजोरी महसूस हो सकती है। यह समय धैर्य और संयम का होता है। जैसे मां ब्रह्मचारिणी ने कठिन तपस्या कर अपनी शक्ति को जागृत किया था, वैसे ही इस चरण में मां भी त्याग, धैर्य और सकारात्मकता को अपनाती है और अपने भीतर एक नई ऊर्जा का संचार करती है।

तीसरा महीना मां चंद्रघंटा

गर्भावस्था का तीसरा महीना नई जिम्मेदारियों और अनजाने डर से भरा हो सकता है। इस समय मां के मन में कई तरह की चिंताएं आ सकती हैं, लेकिन जैसे मां चंद्रघंटा साहस और निर्भीकता का प्रतीक हैं, वैसे ही मां अपने भीतर हिम्मत और आत्मविश्वास को जागृत करती है। वह अपने बच्चे और खुद दोनों के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनती है और हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहती है।

चौथा महीना मां कूष्मांडा

गर्भावस्था का चौथा महीना शिशु के तीव्र विकास का समय होता है। जैसे मां कूष्मांडा ने पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी, वैसे ही इस समय मां के गर्भ में एक नए जीवन का निर्माण तेजी से होता है। यह चरण ऊर्जा, सकारात्मकता और सृजनशीलता से भरा होता है। मां के मन और शरीर में नई उमंग और उत्साह का संचार होता है, जो शिशु के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है।

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पांचवां महीना मां स्कंदमाता

गर्भावस्था का पांचवां महीना मां के जीवन में गहरे भावनात्मक बदलाव लेकर आता है। इस समय मां का हृदय ममता और वात्सल्य से भरने लगता है। वह अपने बच्चे के प्रति गहरे स्नेह और अपनत्व का अनुभव करती है। स्कंदमाता की तरह मां के भीतर अपने बच्चे को सुरक्षा देने, उसकी देखभाल करने और उसे सुरक्षित वातावरण देने का भाव जागृत होता है। यह महीना मां और शिशु के बीच भावनात्मक जुड़ाव को और गहरा करता है।

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छठा महीना मां कात्यायनी

गर्भावस्था का छठा महीना मां के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से चुनौतीपूर्ण होता है। इस समय शरीर में बड़े बदलाव होते हैं और प्रसव की तैयारी शुरू हो जाती है। मां को अधिक हिम्मत और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। कात्यायनी की तरह वह अपने भीतर शक्ति और साहस को जागृत करती है, खुद को मजबूत और सक्षम महसूस करती है। यह महीना मां के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उसे आने वाले समय के लिए तैयार करता है।

सातवां महीना मां कालरात्रि

गर्भावस्था का सातवां महीना अक्सर बेचैनी, थकान और नींद की कमी लेकर आता है। यह समय मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से कठिन हो सकता है। लेकिन मां कालरात्रि की तरह हर अंधकार और डर को दूर करने का साहस जुटाती है। वह धैर्य बनाए रखती है, सकारात्मक सोच अपनाती है और उम्मीद को थामे रखती है। इस चरण में मां का आत्मबल बढ़ता है और वह हर चुनौती पर विजय पाने की शक्ति प्राप्त करती है।

आठवां महीना मां महागौरी

गर्भावस्था का आठवां महीना प्रसव की अंतिम तैयारी का समय होता है। इस दौरान मां के मन में एक विशेष शांति और सकारात्मकता का भाव जागृत होता है। महागौरी की तरह वह शुद्धता और पवित्रता का अनुभव करती है। शरीर और मन दोनों प्रसव के लिए तैयार होते हैं, और मां अपने आने वाले शिशु के स्वागत के लिए उत्साहित और शांतचित्त रहती है।

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नौवां महीना मां सिद्धिदात्री

गर्भावस्था का नौवां महीना मां की पूरी यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। यह वह समय है जब मां अपनी नौ महीने की तपस्या को पूर्ण करती है। जैसे मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं, वैसे ही मां नए जीवन को जन्म देकर अपनी सबसे बड़ी सिद्धि प्राप्त करती है। यह पल स्त्री के लिए गर्व और आनंद से भरा होता है, क्योंकि वह मातृत्व की पूर्णता को महसूस करती है।

गर्भावस्था सिर्फ शारीरिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। जैसे नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की शक्ति को जागृत करने के लिए होते हैं, वैसे ही ये नौ महीने मां के भीतर शक्ति, साहस, प्रेम और धैर्य को जागृत करने वाले होते हैं।
 


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Monika

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