तितली जैसी पत्तियों में छुपा है नेचुरल इलाज: थायराइड और हार्मोनल प्रॉब्लम का असरदार हल
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 03:14 PM (IST)
नारी डेस्क: आयुर्वेद में कहा गया है कि प्रकृति हर बीमारी का इलाज अपने अंदर समेटे हुए है। ऐसा ही एक औषधीय पौधा है कचनार (Bauhinia variegata)। इसकी पत्तियां बिल्कुल तितली के आकार की होती हैं, और यही आकार इसे विशेष बनाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यही आकृति प्रतीक है थायराइड ग्लैंड की, जो गर्दन में तितली की तरह फैली होती है। इसी कारण कचनार को थायराइड जैसी बीमारियों में बेहद लाभकारी माना गया है। यह पौधा न केवल थायराइड बल्कि हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस, और स्किन डिजीज जैसी कई समस्याओं में प्राकृतिक औषधि की तरह काम करता है।
क्या होता है थायराइड और क्यों होती है गड़बड़ी?
थायराइड एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो हमारी गर्दन के सामने, एडम्स एप्पल के नीचे स्थित होती है। यह ग्रंथि शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम का अहम हिस्सा है, जो दो हार्मोन T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) और T4 (थायरोक्सिन) बनाती है। ये हार्मोन शरीर की मेटाबॉलिज्म रेट, विकास, ऊर्जा उत्पादन और हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करते हैं। अगर थायराइड हार्मोन ज्यादा बनता है, तो इसे हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है, और अगर कम बनता है, तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। आज के समय में महिलाओं में यह समस्या बहुत आम हो गई है तनाव, गलत खान-पान, नींद की कमी और हार्मोनल गड़बड़ी इसके बड़े कारण हैं।

आधुनिक दवाएं या प्राकृतिक उपाय?
थायराइड के लिए बाजार में अनेक एलोपैथिक दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन वे केवल लक्षणों को कंट्रोल करती हैं, बीमारी को पूरी तरह खत्म नहीं करतीं। साथ ही, इन दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जैसे नींद में कमी, वजन बढ़ना या चिड़चिड़ापन। आयुर्वेद इसके लिए एक प्राकृतिक विकल्प सुझाता है कचनार। यह पौधा बिना किसी साइड इफेक्ट के शरीर में हार्मोनल बैलेंस को बहाल करने का काम करता है।
कचनार कैसे करता है थायराइड को कंट्रोल?
कचनार पौधे के पत्ते, फूल, छाल और तने में औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, यह पौधा “गांठ” या “गुल्म” यानी शरीर में बनने वाली असामान्य सूजन या ग्रंथियों को खत्म करने में सक्षम है। कचनार थायराइड ग्लैंड की गतिविधियों को संतुलित करता है यानी अगर हार्मोन का स्तर कम है तो यह उसे बढ़ाता है, और अगर अधिक है तो उसे सामान्य करता है। दिलचस्प बात यह है कि इसकी पत्तियां थायराइड ग्लैंड की तरह ही तितली के आकार की होती हैं आयुर्वेद में इसे “समान आकार औषधि सिद्धांत” कहा गया है, यानी जिस पौधे का आकार जिस अंग जैसा हो, वह उसी अंग के रोगों में उपयोगी होता है।
हार्मोनल और मेटाबॉलिक बैलेंस में सहायक
कचनार सिर्फ थायराइड तक सीमित नहीं है। यह पूरे शरीर के हार्मोनल सिस्टम को संतुलित करने में मदद करता है। यह महिलाओं में पीसीओएस, मासिक धर्म की अनियमितता, और हार्मोनल बदलावों से जुड़ी समस्याओं में भी उपयोगी है। यह पौधा शरीर के मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है, जिससे ऊर्जा स्तर बढ़ता है और वजन नियंत्रित रहता है।

कचनार गुग्गुलु: एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक दवा
कचनार से बनने वाली एक विशेष औषधि है कचनार गुग्गुलु। यह दवा कचनार के अर्क और गुग्गुल (Commiphora mukul) के संयोजन से बनाई जाती है। यह थायराइड, पीसीओएस, फाइब्रॉएड, ट्यूमर, लिपोमा और स्किन डिजीज जैसी कई बीमारियों में प्रभावी है। कचनार गुग्गुलु शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने में मदद करता है और लसीका तंत्र (Lymphatic System) को साफ करता है। इससे सूजन, गांठें, और ग्रंथियों की गड़बड़ियां दूर होती हैं।
कचनार के अन्य स्वास्थ्य लाभ
त्वचा रोगों जैसे दाद, खुजली, एक्जिमा में राहत देता है। ब्लड शुगर कंट्रोल करता है इसके पत्तों का अर्क डायबिटीज में फायदेमंद माना गया है। वजन घटाने में मदद करता है क्योंकि यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को पिघलाता है। पेट दर्द और मासिक धर्म के दौरान ऐंठन में इसके फूलों का काढ़ा लाभकारी होता है। सूजन और इंफेक्शन में राहत देता है क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह ब्लड प्यूरीफायर यानी रक्त को शुद्ध करने का काम भी करता है।
सेवन विधि और सावधानियां
कचनार गुग्गुलु को आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए। आमतौर पर एक गोली दिन में दो या तीन बार, भोजन से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी जाती है। यदि आप थायराइड या हार्मोनल डिसऑर्डर के मरीज हैं, तो इसे बिना डॉक्टर की राय के न लें। आयुर्वेदिक दवाओं का असर धीमा लेकिन स्थायी होता है, इसलिए निरंतरता और सही जीवनशैली जरूरी है।

अंतिम सलाह
कचनार भले ही एक शक्तिशाली प्राकृतिक औषधि हो, लेकिन हर व्यक्ति का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए, किसी भी दवा चाहे वह हर्बल ही क्यों न हो को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। थायराइड जैसी बीमारियां जीवनशैली, खान-पान और तनाव से जुड़ी होती हैं, इसलिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और मानसिक शांति बनाए रखना उतना ही जरूरी है जितना दवा लेना।

