मुस्लिम युवक ने संत प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने की जताई इच्छा, कहा-"मैं रहूं या न रहूं...

punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 11:23 AM (IST)

नारी डेस्क:  देश में जहां आए दिन धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की खबरें सुनने को मिलती हैं, वहीं नर्मदापुरम के एक मुस्लिम युवक ने हिंदू-मुस्लिम एकता की एक अनोखी और प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। इस युवक ने वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी दान करने की पेशकश की है।

पत्र लिखकर जताई इच्छा

इस मुस्लिम युवक का नाम आरिफ खान चिश्ती है, जो नर्मदापुरम में रहते हैं और एक कंसल्टेंसी फर्म चलाते हैं। साथ ही वे एक NGO के माध्यम से बेसहारा लाशों का अंतिम संस्कार और कफन-दफन का काम भी करते हैं। उन्होंने एक भावुक पत्र लिखकर नर्मदापुरम के कलेक्टर और वृंदावन स्थित प्रेमानंद जी के आश्रम को डाक के जरिए भेजा है। इस पत्र में उन्होंने अपनी किडनी दान करने की इच्छा व्यक्त की है।

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प्रेमानंद जी के विचारों से प्रभावित

आरिफ खान ने अपने पत्र में लिखा कि वे संत प्रेमानंद जी के विचारों से गहराई से प्रभावित हैं। उन्हें वे हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक मानते हैं। आरिफ का मानना है कि आज के समय में जहां समाज में नफरत बढ़ रही है, ऐसे में प्रेमानंद जी जैसे संतों का समाज में होना बेहद जरूरी है।

उन्होंने लिखा, "मैं रहूं या न रहूं, लेकिन प्रेमानंद जी को समाज और इस संसार की जरूरत है।" आरिफ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रेमानंद जी जैसे संतों की मौजूदगी धार्मिक सौहार्द और शांति को बनाए रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है।

सोशल मीडिया से मिली जानकारी

आरिफ खान ने सोशल मीडिया के माध्यम से जाना कि प्रेमानंद महाराज किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इसी के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि अगर संत जी को किडनी की जरूरत है, तो वे अपनी किडनी दान करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह इच्छा सीधे आश्रम और जिला प्रशासन को पत्र भेजकर जताई है।

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 भाईचारे का संदेश देना चाहते हैं

आरिफ खान ने बताया कि वे इस पहल के जरिए देश में एक सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं – कि धर्म इंसानियत से बड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वे भविष्य में वृंदावन जाकर संत प्रेमानंद जी के दर्शन करना भी चाहते हैं और अगर उन्हें अनुमति मिलती है, तो वे स्वेच्छा से अपनी किडनी दान करेंगे।

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 कौन हैं संत प्रेमानंद महाराज?

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के एक प्रसिद्ध संन्यासी और प्रवचनकर्ता हैं। वे खासकर युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं और सोशल मीडिया पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। वे कई वर्षों से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं और वर्तमान में उनका इलाज चल रहा है। उनके प्रवचन न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सुने जाते हैं।

आरिफ खान चिश्ती का यह कदम केवल एक किडनी दान की पेशकश नहीं, बल्कि इंसानियत, धार्मिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि धर्म बांटता नहीं, जोड़ता है, और इस देश की असली ताकत है – एकता में विविधता। ऐसे लोगों से समाज को सीख लेनी चाहिए।
  

 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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