4 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चों में पाया गया ब्लैक फंगस, 3 बच्चों की निकालनी पड़ी एक आंख

punjabkesari.in Thursday, Jun 17, 2021 - 06:16 PM (IST)

कोरोना वायरस की दूसरी लहर जहां देश में थमती हुई नज़र आ रही हैं वहीं टास्क फोर्स का मानना है कि दो से चार हफ्तों के अंदर महाराष्ट्र् में तीसरी लहर भी आ सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ मुंबई में बच्चों में म्युकोरमायकोसिस यानी ब्‍लैक फंगस का असर दिख रहा है, जिसे लेकर अभिभावकों में चिंता बढ़ गई हैं। 
 

ब्‍लैक फंगस  के चलते तीन बच्चों की एक आंख तक निकालनी पड़ी-
इतना ही नहीं मुंबई में विभिन्‍न अस्‍पतालों में सामने आए ऐसे मामलों में तीन बच्चों की एक आंख तक निकालनी पड़ गई है। बच्चों में ब्लैक फ़ंगस के मामले डॉक्टरों को चिंतित कर रहे हैं।

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4 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चों में ब्लैक फंगस पाया गया
बतां दें कि मुंबई के अलग-अलग अस्पतालों में 4 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चों में ब्लैक फंगस पाया गया है। ऐसे मामलों में 14 साल की एक बच्ची की एक आंख निकालनी पड़ी जबकि एक अन्‍य केस में 16 साल की बच्ची के पेट के हिस्से में ब्लैक फ़ंगस पाया गया।  इन दोनों का इलाज मुंबई के फ़ोर्टिस अस्पताल में हुआ। 
 

 दोनों बच्चियों को डायबटीज़ था- 
फोर्टिस अस्‍पताल के सीनियर कंसल्‍टेंट-पीडियाट्रीशियन डॉ. जेसल शाहके अनुसार, दुसरी लहर में हमने इन दो बच्चियों में ब्लैक फ़ंगस देखा है। दोनों बच्चियों को डायबटीज़ था। हमारे पास जब बच्ची आई तो 48 घंटों में उसकी आंख एकदम काली हो गई। नाक, आंख, सायनस में यह फैला हुआ था, खुशकिस्‍मती से यह ब्रेन तक नहीं पहुंचा। छह हफ़्ते तक बच्ची का इलाज चला, लेकिन उसकी एक आंख चली गई।

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डॉक्टर ने कहा कि ऐसे ही एक 16 साल की बच्ची एक महीने पहले स्वस्‍थ थी, उसे कोविड हुआ था लेकिन पहले कभी डायबटीज़ नहीं हुआ था लेकिन जब हमारे पास आई तो लगभग अनकंट्रोल्ड डायबटीज़ के साथ आई। जिसमें  एब्डॉमिनल पेन था, अचानक से इंटेस्‍टाइन में ब्लीडिंग चालू हो गई। और एंजियोग्राफ़ी करने पर पाया गया कि उसे एओर्टिक एन्यूरिज है, उसके घाव में ब्लैक फ़ंगस पाया गया। 
 

गौरतलब है कि म्यूकरमायकोसिस यानि कि  ब्‍लैक फंगस बड़ी ही तेज़ी से देश में फैल रहा है। लेकिन अब बच्चों में ब्लैक फ़ंगस के बढ़ते केस देश के लिए चिंता की बात है। 
 

ब्लैक फ़ंगस का इन मरीजों को है सबसे अधिक खतरा
-डायबिटिज के मरीज
-कैंसर का इलाज करा रहे मरीज।
-अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेने वाले मरीज।
-ऐसे कोरोना संक्रमित जो ऑक्सीजन मॉस्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
- ऐसे मरीज जिनकी इम्युनिटी  बेहद कम है।
-ऐसे मरीज जिनके किसी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट हुआ हो।

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ब्लैक फंगस के लक्षण- 
-नाक बंद होना या नाक से खून निकलना।
-गाल की हड्डियों में दर्द होना, एक तरफ चेहरे में दर्द, सुन्न या सूजन होना।
-नाक की ऊपरी सतह का काला होना।
-दांत ढीले होना।
-आंखों में दर्द होना, धुंधला दिखना या दोहरा दिखना।
 

ऐसे कर सकते हैं बचाव
-धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर न जाएं , अगर जाना है तो मास्क जरूर पहनें।
-बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते वक्त जूते, फुल पैंट्स-शर्ट और दस्ताने पहनें।
-पर्सनल हाईजीन का ध्यान रखें। रोजाना अच्छी तरह नहाएं।


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Content Writer

Anu Malhotra

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