मॉर्निंग सिकनेस से शिशु को हो सकता है यह रोग, महिलाएं जरूर पढ़ें ये खबर
punjabkesari.in Sunday, Jan 05, 2020 - 10:52 AM (IST)
जिन गर्भवती महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस (सुबह-सुबह उल्टी आना) की समस्या ज्यादा होती है उनके बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा उतना ही ज्यादा होता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ पेरिनैटोलॉजी में प्रकाशित हुए एक शोध में बताया गया है कि जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस की समस्या बहुत अधिक होती है उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को आगे चलकर ऑटिज्म का खतरा अधिक रहता है। शोध के दौरान सामने आया कि जिन महिलाओं को गंभीर मॉर्निंग सिकनेस की समस्या रही उनमें से 53 फीसदी महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की पहचान की गई।
क्या है मॉर्निंग सिकनेस ?
मॉर्निंग सिकनेस 5 फीसदी से कम गर्भावस्था के मामलों में होता है। इससे प्रभावित महिलाएं तीव्र मितली यानी अचानक तेजी से उल्टी होने जैसा अनुभव करती हैं। इन्हें अक्सर उल्टी हो जाती है। साथ ही इन महिलाओं को खाने में अरुचि होने लगती है और तरल पदार्थों का सेवन करने का भी मन नहीं करता। यदि ये जबरदस्ती इन पदार्थों को लेती भी हैं तो फिर से उल्टी होने की समस्या महसूस होने लगती है। यही कारण है कि ऐसी महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान ठीक से खाना नहीं खाने से अक्सर पोषण की कमी के साथ ही शरीर में पानी की कमी की समस्या भी देखने को मिलती है, जिसका सीधा असर इन महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है।
ऑटिज्म का शिकार होने का खतरा
कैंसर पर्मानेंट सर्दर्न कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ रिसर्च एंड इवैल्यूएशन से जुड़े और इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता डेरिऑस गेताहुन के अनुसार यह शोध अपने आप में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि मॉर्निंग सिकनेस से ग्रस्त महिलाओं के गर्भ में बच्चे को आगे चलकर ऑटिज्म का शिकार होने का खतरा कहीं अधिक होता है, इससे जागरूकता बढ़ेगी और जिन बच्चों में ऑटिज्म का खतरा अधिक होगा उन्हें इस बीमारी का शिकार बनने से पहले ही सही पहचान के चलते वक्त पर इलाज मिल पाएगा।
पहले ही हो सकेगा इलाजजिन महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण देखने को मिले उनमें गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही में ही गर्भ में पल रहे बच्चे में कुछ ऐसे लक्षण देखने को मिले जो आगे चलकर ऑटिज्म का खतरा बढ़ाने वाले थे। जबकि जिन महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की दिक्कत नहीं थी उनके गर्भ में पल रहे बच्चों में इस तरह का खतरा बिल्कुल देखने को नहीं मिला।
मां का पोषण बच्चे के दिमागी विकास के लिए जरूरी
शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि जिन महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है उनमें इस बीमारी की गंभीता और इसके अलग-अलग चरण का कोई खास अंतर नहीं होता है। आमतौर पर इन महिलाओं के शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है जिससे होने वाले बच्चे में आगे चलकर दिमाग के विकास से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं और बच्चा ऑटिज्म जैसी दिक्कत के साथ जीवन जीने को मजबूर हो सकता है।
चलिए अब हम आपको बताते हैं मॉर्निंग सिकनेस दूर करने के कुछ घरेलू उपाय...
आराम
इस दौरान कम से कम 8-9 घंटे की नींद लें, ताकि थकान न हो। साथ ही स्ट्रेस से भी दूर रहें।
पौष्टिक आहार
फूड क्रेविंग को शांत करें और चटपट्टे, मसालेदार, चीनी और जंक फूड्स से तो बिल्कुल दूर रहें। इसकी बजाए डाइट में फल, सब्जियां और अन्य हैल्दी चीजें शामिल करें।
अदरक का जूस
1/2 गिलास गुनगुने पानी में अदरक का रस व शहद मिलाकर पीने से भी आराम मिलेगा। साथ ही इससे बॉडी हाइड्रेट भी रहेगी।
नींबू पानी
सुबह चाय या कॉफी की बजाए नींबू पानी पीएं। नींबू पानी में पुदीने की पत्तियां मिलाकर पीने से भी मॉर्निंग सिकनेस दूर होगी।
सेब का सिरका
1 गिलास गुनगुने पानी में सेब का सिरका व हल्का सा शहद मिलाकर पीने से भी मार्निंग सिकनेस ठीक हो जाती हैं।