2024 में 15 लाख से ज्यादा भारतीयों को हुआ कैंसर, पिछले 5 साल की रिपोर्ट जानकर उड़ जाएंगे होश
punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 05:41 PM (IST)

नारी डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने शुक्रवार को कहा कि 2024 में भारत में कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि हुई और 15 लाख से ज़्यादा लोगों में इस जानलेवा बीमारी का पता चला। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जाधव ने देश में कैंसर के बढ़ते मामलों का विवरण दिया। इस रिपोर्ट ने देश को चिंता में डाल दिया है।
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हर साल बढ़ रहे कैंसर के मामले
जाधव ने कहा, "भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया है कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (आईसीएमआर-एनसीआरपी) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में देश में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 15,33,055 है। उन्होंने कहा-" देश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं 2019 में 13.5 लाख से बढ़कर 2024 में 15.3 लाख हो गए। 2020 में 13.9 लाख मामलों का निदान किया गया। मंत्री ने कहा कि ये मामले 2021 में बढ़कर 14.2 लाख, 2022 में 14.6 लाख और 2023 में 14.9 लाख हो गए। 2023 में कैंसर से 8.2 लाख मरीजों की मृत्यु होने का अनुमान है - जो 2019 के बाद से सबसे अधिक है।"
समय से मिल रहा मरीजों को इलाज
2019 में, 7.5 लाख मरीज़ इस बीमारी से मर गए, और 2020, 2021 और 2022 में क्रमशः 7.7 लाख, 7.8 लाख और 8 लाख से ज़्यादा मरीज़ों की मौत हुई। जाधव ने कहा- "अनुमानित कैंसर के मामलों की संख्या में वृद्धि के कारण कैंसर का पता लगाने के लिए बेहतर नैदानिक तकनीकों की पहुंच और उपलब्धता, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, वृद्ध आबादी का बढ़ता हिस्सा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में सुधार हैं।"इसके अलावा, मंत्री ने बताया, "संचारी रोगों (एनसीडी) से जुड़े पारंपरिक जोखिम कारकों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिनमें कैंसर जैसे तंबाकू और शराब का सेवन, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियां, अस्वास्थ्यकर आहार, अधिक नमक, चीनी और संतृप्त वसा का सेवन आदि शामिल हैं।"
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सरकार उठा रही ठोस कदम
इसका मुकाबला करने के लिए, सरकार ने गैर-संचारी रोगों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) शुरू किया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से सामान्य गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के जोखिम कारकों की रोकथाम और नियंत्रण तथा कैंसर एवं अन्य गैर-संचारी रोगों से होने वाली असामयिक रुग्णता और मृत्यु दर में कमी लाना है। जाधव ने कहा- "इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य संवर्धन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और मामलों के रेफरल के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है। रोकथाम, शीघ्र निदान, किफ़ायती उपचार, पुनर्वास, जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन संचार के लिए स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न स्तरों पर क्षमता निर्माण प्रदान किया जाता है।"