80% नई भारतीय माएं ''पोस्टपार्टम डिप्रेशन'' की शिकार, किन औरतों को अधिक खतरा?

punjabkesari.in Thursday, Feb 27, 2020 - 12:09 PM (IST)

नवजात को अपने हाथों में पकड़े, एक युवा महिला घर में चल रही है। उसके चारों ओर मुस्कुराते हुए लोग बच्चे को सहला रहे हैं और बच्चे के जन्म का जश्न मना रहे। पति भी इस अवसर पर बहुत खुश है लेकिन कोई भी इस दौरान महिला के चेहरे को नहीं देखता है। उसके चेहरे पर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं, जिसके कारण वो अपने चारों और फैली खुशी में खुलकर भाग नहीं ले पा रही।

 

यह दृश्य है एक मलायलम सॉन्ग वीडियो कै, जिसमें डिलीवरी के बाद महिलाओं को होने वाले पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या को दिखाया गया है। यह वीडियो निर्देशक आनंद अनिलकुमार को अपनी पत्नी सोनी सुनील द्वारा बनाया गया है। दरअसल, उनकी पत्नी ऐसे कुछ दोस्तों को जानती है, जो पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो चुकी हैं और उन्हीं से यह वीडियो बनाने का आइडिया आया।

PunjabKesari

कम ही जानते हैं कि महिलाएं - नई माताएं कैसा महसूस करती हैं और उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है और इसी को उन्होंने अपनी वीडियो में डालने की कोशिश की है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है और किन महिलाओं को इसका अधिक खतरा होता है।

क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?

प्रेगनेंसी के बाद से ही एक मां की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है। वहीं इस दौरान उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। इसी के चलते डिलीवरी के बाद बहुत सी महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन की चपेट में आ जाती है। डिलीवरी के बाद होने वाला यह तनाव भी दो तरह का होता है एक प्रारम्भिक डिप्रेशन यानि बेबी ब्लूज और दूसरा देर तक रहने वाला पोस्टपार्टम डिप्रेशन। 

PunjabKesari

10 से 16 प्रतिशत महिलाएं होती हैं शिकार

डिलीवरी के बाद कम से कम 80% भारतीय महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हो जाती है। हालांकि यह कुछ हफ्तों बाद खुद ब खुद ठीक भी हो जाता है। वहीं, देर तक रहने वाले पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार 10 से 16 प्रतिशत महिलाएं हो जाती हैं। ये अवस्था गंभीर होती है क्योंकि इससे राहत पाने में 6-7 महीने या फिर साल भी लग जाता है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण

शरीर में थाॅयराइड ग्रंथि, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी की वजह से महिलाएं इसकी चपेट में आ जाती है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, कमजोर इम्यून सिस्टम, मेटाबाॅलिज्म में परिवर्तन, नींद में कमी, तनाव, परिवार या जीवनसाथी का सपोर्ट न मिलना, अकेलेपन का अहसास, करियर को लेकर चिंता भी महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण

. नींद न आना
. बच्चे और पति से दूर रहना
. एक ही पल खुश और एक ही पल उदास होना
. भूख ना लगना
. हमेशा निराश और उदास रहना
. परिवार में दिलचस्पी महसूस न होना
. चिड़चिड़ापन और बेचैनी
. हमेशा थकावट महसूस होना
. छोटी-छोटी बातें भूल जाना
. बात-बात पर रोना

PunjabKesari

इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे निकलें बाहर 

1. बच्चे का ख्याल रखने के साथ खुद के लिए भी समय निकालें।
2. अपनी नींद पूरी करने की कोशिश करें। जब बच्चा सोए तो उसके साथ आप भी झपकी ले लें।
3. परिवार व पति के साथ समय बिताएं। पार्टनर के साथ दूरी न बनाएं बल्कि उन्हें भी जिम्मेदारियों का अहसास करवाएं।
4. प्रेगनेंसी के बाद शरीर में कमजोरी आ जाती है। ऐसे में इसे पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंकुरित अनाज, दूध, दही, पनीर आदि खाएं। 
5. मेंटली व फिजिकली फिट रहने के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम व योग करें। आप चाहे तो मॉर्निंग वॉक भी कर सकती हैं।
6. सुबह की गुनगुनी धूप में समय जरूर बिताएं। इससे स्ट्रेस भी दूर होगा और शरीर को विटामिन डी भी मिलेगा।
7. थकावट से चिड़चिड़ापन, मानसिक परेशानी और शारीरिक कमजोरी आने लगती है इसलिए अपने आराम पर भी ध्यान दें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static