14 या 15 कब मनाई जाएगी Makar Sankranti, जानिए त्योहार की तिथि और शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Wednesday, Jan 04, 2023 - 02:01 PM (IST)
नए साल में सबसे पहले मनाया जाने वाला त्योहार है लोहड़ी और मकर संक्रांति। वैसे पूरे भारत में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती है लेकिन इन सभी संक्रांतियों के बीच सबसे ज्यादा महत्व मकर संक्रांति का होता है। इसे पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा का भी खास महत्व होता है। पंरतु इस साल मक्रर संक्रांति किस दिन मनाई जाएगी, आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
किस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति
हिंदू पंचागों के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी को रात 8.57 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाएंगे । वहीं ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति का त्योहार उदयातिथि में मनाया जाएगा। उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है।
संक्रांति का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने की भी खास परंपरा है। मकर संक्राति के दिन मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिया था और इसी दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे। इसी दिन भीष्म पितामह को भी मोक्ष मिला था इसलिए यह त्योहार बहुत ही खास माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से ही भारत में किसान अपनी फसल काटना शुरु करते हैं।
पौराणिक कथा
मान्यताओं के अनुसार, एक बार राजा सगर ने अश्वमेद्य यज्ञ किया और अपने घोड़े को विश्व विजय के लिए छोड़ दिया। इंद्र देव ने छल करके अश्व को कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। जिसके बाद कपिल मुनि पर घोड़े चोरी करने का झूठा राजा सगर के पुत्रों ने लगाया था। इस बात से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने क्रोधित होकर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दिया और वह सब जलकर भस्म हो गए थे। जब इस बात का राजा सगर को पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि से माफी भी मांगी। उनके माफी मांगने पर कपिल मुनि ने उन्हें एक उपाय बताया कि आपको मां गंगा को कैसे भी करके पृथ्वी पर लाना होगा। जिसके बाद राजा सगर के पोते अंशुमान और उनके बाद राजा भगीरथ ने कड़ी तपस्या की। दोनों की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा प्रकट हुई। उन्होंने मां गंगा से कपिल मुनि के आश्रण तक आने का अनुरोध किया जिसके बाद मां गंगा ने सागर पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन राजा के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष मिला था उस दिन मकर संक्रांति का दिन था।