लेबर पेन से अब मिलेगा छुटकारा, मां की कोख के बिना मशीन पैदा करेगी हाई क्वालिटी बच्चे
punjabkesari.in Thursday, Dec 15, 2022 - 12:47 PM (IST)
डिलीवरी का समय हर मां के लिए बेहद मुश्किल भरा होता है। प्रसव पीड़ा इतनी तेज से होती है कि महिलाएं तड़प जाती हैं। इस दर्द की अन्य किसी दर्द से तुलना ही नहीं की जा सकती। माना जाता है की, एक इंसान के शरीर में केवल 45 डेल यूनिट तक दर्द सहने की ताकत होती है, लेकिन एक मां को बच्चे को जन्म देते समय 57 डेल यूनिट तक दर्द का अनुभव हो सकता है। सही शब्दों में बताएं तो बच्चे को जन्म देते समय एकसाथ करीब 200 हड्डिया टूटने के बराबर दर्द होता है।
मशीन के जरिए पैदा होंगे बच्चे
सही कारण है कि नॉर्मल डिलीवरी के झंझटों को दरकिनार करते हुए माएं सी-सेक्शन के ऑप्शन को खुले दिल से अपनाने लगी हैं क्योंकि इस दौरान किसी दर्द का अनुभव नहीं करना पड़ता है। इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुन उन महिलाओं को राहत मिलेगी जो प्रेगनेंसी के नाम से भी डरती हैं। कुछ समय तक बच्चे को कोख में पालने का चक्कर ही खत्म हो जाएगा, अब मशीन के जरिए बच्चों को पैदा किया जाएगा।
आर्टिफिशियल कोख बनाने वाली पहली कंपनी
दरअसल हाल ही में एक्टोलाइफ नाम की कंपनी ने दावा किया है कि वह आर्टिफिशियल कोख से बच्चे पैदा करेंगे।इसमें महिलाओं को गर्भवती होने की जरुरत नहीं पड़ेगी, न ही डिलिवरी के समय होने वाले दर्द को बर्दाश्त करना होगा। इतना ही नहीं दावा तो यह भी है कि किस तरह का बच्चा आपको चाहिए, वो बदलाव कर सकते हैं सिर्फ उसके जीन्स में बदलाव करके।
पुश बटन तकनीक से पैदा होंगे बच्चे
इस तकनीक का पूरा नाम है आर्टिफिशियल गर्भाशय फैसिलिटी, दावा है कि ये दुनिया की पहली आर्टिफिशियल कोख की तरह काम करेगा। एक्टोलाइफ नामक इस सुविधा से हर साल 30,000 तक बच्चे ‘उत्पादन’ करने का भी दावा किया गया है। इसे लेकर येमेनी मॉलिक्यूलर बायोटेक्नोलॉजिस्ट हशम अल-घाइली द्वारा एक एनीमेशन वीडियो जारी किया है किस तरह भविष्य में बच्चे पुश बटन तकनीक से पैदा होंगे।
बच्चे में कर सकते हैं बदलाव
इस वीडियो में बताया गया कि, एक्टोलाइफ बांझ दंपतियों को एक बच्चे को गर्भ धारण करने और अपनी संतान के सच्चे माता-पिता बनने की अनुमति देता है। साथ ही यह उन महिलाओं के लिए समाधान के समान है जिनका गर्भाशय कैंसर या अन्य जटिलताओं के कारण सर्जरी के माध्यम से हटा दिया गया है। इस सुविधा में 75 प्रयोगशालाएं हैं. इस प्रयोगशाला में 400 पॉड्स कृत्रिम गर्भाशय को विकसित करने में सक्षम हैं। बताया जा रहा है कि,पॉड्स को मां के गर्भाशय के अंदर की स्थितियों के समान और इसमें पल रहे बच्चे के अनुकूल डिजाइन किया गया है।
बच्चे के अंगों को किया जाएगा मॉनिटर
ग्रोथ पोड के भीतर बच्चे के वाइटल साइन- यानी उसकी स्किन, धड़कन, टेंपरेटर, हर्टबीट, ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर, ब्रीथिंग रेट, दिल, दिमाग, किडनी, लिवर और शरीर के बाकी अंगों को रियल टाइम मॉनिटर करने के लिए सेंसर लगाए गए हैं। इसके अलावा मां-बाप को बच्चों का रियल अनुभव कराने के लिए एक ऐप तैयार की गई है, जिसमें वह हर चीज लाइव देख सकते हैं कि बच्चे की ग्रोथ कैसी हो रही है.
वीडियो में किए गए कई दावे
इसके साथ ही ग्रोथ पॉड्स में सेंसर भी होगा जो बच्चे के महत्वपूर्ण संकेतों जैसे दिल की धड़कन, रक्तचाप, सांस लेने की दर और ऑक्सीजन संतृप्ति की निगरानी करेगा। वीडियो में दावा किया गया है कि ऐसा गर्भ किसी भी संभावित अनुवांशिक असामान्यताओं की निगरानी भी कर सकता है। इन पॉड्स में हर दिन हर हफ्ते के हिसाब से और विकास के हिसाब से पोषक तत्व डाले जाएंगे. ऐसे जेनेटिक बदलाव किए जा सकेंगे कि आपको अपना मनमाफिक बच्चा मिले।
मां के पेट जैसा होता है आर्टिफिशियल यूट्रस
कंपनी का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए बच्चा इन्फेक्शन फ्री पैदा होता है। ऐसे में महिला अपनी लाइफस्टाइल फॉलो करते हुए मां बन सकेगी. इसमें किसी को किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। कहा जा रहा है कि एक्टोलाइफ के पास हाई इक्विपमेंट वाली 75 लैब है। हर पॉड्स को बिल्कुल उसी तरह डिजाइन किया गया है, जैसा कि मां के पेट में यूट्रस (गर्भाशय) होता है। इन पोड्स को आर्टिफिशियल यूट्रस इसीलिए कहा गया है क्योंकि यह बिल्कुल मां के पेट जैसा अनुभव बच्चों को कराता है।