मां बनने की राह में इन महिलाओं को होती है मुश्किल, जानें क्या हैं मुख्य कारण!

punjabkesari.in Tuesday, Dec 17, 2024 - 02:27 PM (IST)

 नारी डेस्क: आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण कई महिलाएं कंसीव (गर्भवती होने) करने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। इन समस्याओं के कारण महिलाओं को मां बनने में परेशानी होती है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कौन सी गलतियां महिलाएं कर रही हैं, जिनकी वजह से उन्हें गर्भधारण में समस्याएं आ रही हैं।

 पीसीओएस (PCOS) और उसके कारण 

पीसीओएस, यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठ बन जाती हैं, जिससे गर्भधारण में समस्या होती है। यह स्थिति खासतौर पर खराब खानपान और जीवनशैली की वजह से होती है। पीसीओएस से हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है, जिससे महिलाओं के पीरियड्स में भी दिक्कतें आ सकती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, पीसीओएस दुनियाभर की 116 मिलियन महिलाओं को प्रभावित करता है। इस बीमारी के कारण महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड, और ओव्यूलेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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ओव्यूलेशन से संबंधित समस्याएं 

यदि अंडाशय नियमित रूप से अंडे नहीं छोड़ते हैं, तो यह कंसीव करने में मुश्किल पैदा कर सकता है। यह समस्या हार्मोनल असंतुलन, तनाव, कम या अधिक वजन, मोटापा और थायरॉइड जैसी स्थितियों के कारण हो सकती है। ओव्यूलेशन की समस्या के कारण महिलाएं गर्भधारण में परेशानी महसूस करती हैं।

पीसीओएस के लक्षण 

पीसीओएस के लक्षण अक्सर चेहरे पर दिखाई देने लगते हैं। जैसे कि चेहरे पर मुंहासे, खासकर ठुड्डी और गर्दन के आस-पास, क्योंकि पीसीओएस से महिलाओं में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का स्तर बढ़ जाता है। इससे त्वचा पर अत्यधिक सीबम (तेल) का उत्पादन होता है, जिससे मुंहासे होते हैं।

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पीसीओएस का इलाज कैसे करें 

अगर किसी महिला को पीसीओएस की समस्या है, तो सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए वजन को नियंत्रित करना, व्यायाम करना और संतुलित आहार का सेवन करना आवश्यक है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं को ज्यादा फल और सब्जियां खानी चाहिए। इसके अलावा, पीसीओएस का इलाज करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है।

पीसीओडी से जुड़ी समस्याएं 

पीसीओडी की वजह से ओवरी में सिस्ट बनने के कारण गर्भधारण में समस्या होती है। इसके अलावा, शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, जिससे मोटापे की समस्या पैदा हो सकती है। बढ़ता हुआ वजन स्लीप एपनिया (नींद में रुकावट) का कारण बन सकता है, खासकर उन महिलाओं में जिनमें पीसीओएस है।

इसके अलावा, हार्मोनल असंतुलन के कारण अनचाहे बालों का बढ़ना और मानसिक स्वास्थ्य पर असर (जैसे एंग्जाइटी और डिप्रेशन) हो सकता है। इस कारण महिलाओं में मानसिक दबाव बढ़ सकता है।

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गर्भवती होने में परेशानी का सामना करने वाली महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी जीवनशैली में सुधार करें और संतुलित आहार और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। साथ ही, यदि किसी महिला को पीसीओएस या पीसीओडी जैसी समस्याएं हैं, तो विशेषज्ञ से सलाह लेकर इलाज कराना जरूरी है।

 नोट: यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, और किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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