सेमीफाइनल में भिड़ेंगी बाॅक्सर लवलीना, बोलीं- ''ब्रॉन्‍ज मेडल नहीं, मेरा लक्ष्य गोल्‍ड मेडल है''

punjabkesari.in Friday, Jul 30, 2021 - 04:31 PM (IST)

भारत की महिला वेट लिफ्टर मीराबाई चानू के बाद टोक्यो ओलंपिक में देश का दूसरा पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन अब सेमिफाइनल मैच के लिए एक दम तैयार है। आपकों बतां दें कि लवलीना ने पूर्व विश्व चैंपियन नियेन चिन चेन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली है इस तरह लवलीना ने भारत के लिये इन खेलों में दूसरा पदक भी पक्का कर दिया।

बतां दें कि असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज का सामना अब मौजूदा विश्व चैंपियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा। 

PunjabKesari

चार बार हारने का बदला लूंगी 
सैमीफाइनल में पहुंचने के बाद लवलीना ने टोक्‍यो से वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मैं उससे (नियेन चिन चेन) चार बार हार चुकी थी। खुद को साबित करना चाहती थी। मुझे लगा यही मौका है, अब मैं चार बार हारने का बदला लूंगी।

जिसने लवलनी को चार बार हराया उसे ही मात देकर सैमीफाइनल में पहुंची
किस रणनीति के साथ रिंग में उतरी थीं, इस पर उन्होंने कहा कोई रणनीति नहीं थी बल्कि रिंग के अंदर की परिस्थितियों के हिसाब से खेली, क्योंकि चीनी ताइपे की मुक्केबाज से वह पहले चार बार हार चुकी थीं।  इसलिये मैंने सोचा कि रिंग में ही देखूंगी और वहीं परिस्थितियों के हिसाब से खेलूंगी। मैं खुलकर खेल रही थी।

PunjabKesari

मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना, मेरा लक्ष्य गोल्‍ड मेडल है
वहीं इस दौरान लवलीना ने कहा कि पहली बात तो मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं। मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना। खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है। मेरा लक्ष्य गोल्‍ड मेडल है। मेडल तो एक ही होता है। उसके लिये ही तैयारी करनी है। सेमीफाइनल की रणनीति बनानी है।

इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी?
इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी इस सवाल पर लवलीना ने कहा कि मैं पहले ऐसी नहीं थी। डर डर कर खेलती थी। कुछ टूर्नामेंट में खेलकर धीरे धीरे डर खत्म हुआ। रिंग में उतरने से पहले भी डरती थी। लेकिन फिर खुद पर विश्वास करने लगी, लोग कुछ भी कहें, अब फर्क नहीं पड़ता, जिससे निडर होकर खेलने लगी। वह खुद में सुधार के लिये 'स्ट्रेंथ कंडिशनिंग' को भी अहम मानती हैं। 

PunjabKesari

क्वार्टरफाइनल में कितना दबाव था इस पर उन्होंने कहा कि कोई दबाव नहीं लिया, हालांकि दबाव था। पूरा भारत प्रार्थना कर रहा है, मुझे अपना शत प्रतिशत देना है। 

मैरी दीदी प्रेरणास्रोत हैं
जीवन में किसे प्रेरणा मानती हैं इस पर उन्होंने कहा कि छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम (2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता) प्रेरणा है। उन्होने कहा कि मैरीकॉम प्रेरणास्रोत हैं। मैरी दीदी का ही नाम सुना था। उनकी परेशानियां भी देखी हैं, उनके बारे में सुना था, उनके साथ ट्रेनिंग करते हैं, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। खुशी होती है कि हम उनके साथ खेलते हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Recommended News

Related News

static