दिन में दो बार भोलेनाथ देते हैं इस मंदिर में दर्शन, समुद्र स्वंय करता है शिवजी का अभिषेक

punjabkesari.in Sunday, Jul 16, 2023 - 02:02 PM (IST)

भारत में कई सारे शिव मंदिर हैं । लेकिन इनमें से कुछ ऐसे हैं जहां पर कुछ अजीबो-गरीब हरकतें होती हैं, जिसका जवाब साइंस के पास भी नहीं हैं। इन्हीं में से एक है  स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर । मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव पूरे दिन में दो बार दर्शन देते हैं, और इस दौरान ये मंदिर पुरी तरह से समुद्र में डूब जाता है। श्याद आपको इस मंदिर के बारे में पता ना हो, जो चलिए सावन के पावन मौके पर हम आपको बताते हैं इसके बारे में,....

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कहां है स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर

स्तम्भेश्वर महादेव का मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किलोमीटर दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में है। ये मंदिर 150 साल पुराना जो चारों तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है। अकसर यहां पर हर रोज आपको भक्तों का बहुत बड़ा जमावाड़ा देखने को मिलेगा। ये मंदिर की अनोखी महिमा को देखने के लिए आपको यहां पर सुबह से रात तक रुकना पड़ेगा। यहां पर एक बार सुबह तो एक बार शाम को समुद्र स्वंय शिवजी का अभिषेक करते हैं। मंदिर उस समय पूरी तरह से समुद्र के पानी में डूब जाता है। 

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मंदिर के पीछे की कहानी है बेहद दिलचस्प

शिवपुराण के अनुसार, ताड़कासुर नाम के एक असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न कर दिया था, इसके बदले में शिव जी ने उन्हें मानचाहा वारदान मांगने को कहा। असुर ने मांग की शिव पुत्र के अलावा और कोई उसे मार ना सके और पुत्र की आयु भी 6 दिन की ही होनी चाहिए। शिव जी ने उन्हें वरदान दे दिए, जिसके बाद ताड़कासुर ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। ये सब देवताओं और ऋषि मुनियों ने शिव जी को ताड़कासुर का वध करने का अनुरोध किया। उनकी प्रार्थना सुनने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया। असुर का वध कार्तिकेय ने कर तो दिया, लेकिन शिव भक्त की जानकारी मिलने के बाद उन्हें बेहद दुख पहुंचा।

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इसलिए हुआ मंदिर का निर्माण

कार्तिकेय को बेहद दुख हुआ तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित  करने का मौका दिया। भगवान ने उन्हें सुझाव दिया की जहां पर उन्होंने असुर का वध किया , वहां पर शिवलिंग की स्थापना करें। इसी मंदिर को बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

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क्यों डूब जाता है स्तंभेश्वर मंदिर पानी में

इसका पीछे का कारण प्राकृतिक है। दरअसल, पूरे दिन में पानी का स्तर बढ़ जाता है तो मंदिर इसमें डूब जाता है क्योंकि ये पानी के अंदर बना है, वहीं पानी का स्तर कम होने पर मंदिर वापस से दिखने लगता है।

कैसे पहुंचे स्तंभेश्वर मंदिर 

कवि कंबोई गांव वडोदरा से 78 किलोमीटर दूर है।  आप ट्रेन और बस से वडोदरा पहुंच सकते हैं। वहीं वडोदरा स्तम्भेश्वर महादेव से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है तो आप प्राइवेट टैक्सी भी कर सकते हैं।

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Content Editor

Charanjeet Kaur

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