मकर संक्रांति पर भगवान राम ने उड़ाई थी पहली पतंग, सीधा पहुंच गई थी इंद्रलोक
punjabkesari.in Friday, Jan 13, 2023 - 05:10 PM (IST)
लोहड़ी के बाद सभी को मकर संक्रांति का बेसर्बी से इंतजार रहता है। भले ही इस पर्व को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, लेकिन इसे खुशी का त्योहार कहना गलत नहीं होगा। इस दिन दान, पूजा, जाप स्नान आदि चीजों का बहुत महत्व होता है। यह पर्व सिर्फ दान-पुण्य के लिए नहीं बल्कि पतंग उड़ाने की परंपरा के लिए भी जाना जाता है।
इस त्यौहार पर लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जमकर पतंगबाजी करते हैं, तभी का इसका अगल ही उत्साह देखने को मिलता है। लेकिन ये बात बेहद कम लोग जानते होंगे कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का संबंध प्रभु श्री राम से है। धार्मिक मान्यता अनुसार मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के परंपरा की शुरुआत भगवान राम ने की थी। माना जाता है कि इस दिन पतंग को हवा में उड़ाकर छोड़ देने से सारे क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
तमिल के तन्दनान रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू की थी। बताया जाता है कि जो पतंग भगवान राम ने उड़ाई थी, वह सीधे स्वर्ग लोक पहुंच गई थी। स्वर्ग लोक में पतंग इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को मिली। उनको पतंग काफी पसंद आई और उसको अपने पास रख लिया। उधर भगवान राम ने हनुमानजी को पतंग लाने के लिए भेजा। जब हनुमानजी ने जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने के लिए कहा, तब उन्होंने भगवान राम के दर्शन की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि दर्शन के बाद ही वह पतंग वापस करेंगी।
उनकी इच्छा जानने के बाद भगवान राम ने कहा कि वह मेरे दर्शन चित्रकूट में कर सकती है। हनुमानजी ने स्वर्ग लोक में जयंत की पत्नी को भगवान राम का आदेश दिया, जिसके बाद उन्होंने पतंग वापस कर दी।मान्यता है इस दिन से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस पावन पर्व परपवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है।
मकर संक्रांति के पावन दिन खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन किया जाता है। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। बता दें कि दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। इसे आंध्र प्रदेश में पेद्दा पांडुगा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, मध्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में माघ मेला, पश्चिम में मकर संक्रांति और अन्य नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।