Vande Bharat Mission: मिलिए पायलट Laxmi Joshi से, जो विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को लाई वापिस
punjabkesari.in Saturday, Jan 22, 2022 - 05:40 PM (IST)
लक्ष्मी जोशी हर उस युवा लड़की के लिए एक प्रेरणा है जो एक हवाई जहाज उड़ाने का सपना देखती है। पायलट लक्ष्मी जोशी सिर्फ 8 साल की थी जब वह पहली बार एक हवाई जहाज में बैठी थी और तभी से उन्होंने पायलट बनने का सपना देख लिया था। बड़े होने के बाद उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह उन कई पायलटों में शामिल थीं, जिन्होंने 'वंदे भारत मिशन' के लिए स्वेच्छा से काम किया था, जो मई 2020 में कोरोनवायरस महामारी के कारण लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए शुरू हुआ था।
कोरोना महामारी के दौरान विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को लाई वापिस
हाल ही में लक्ष्मी ने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे से अपने अनुभव और पायलट बनने के अपने बचपन के सपने को पूरा करने के बारे में बात की। लक्ष्मी ने बताया कि उन्होंने पायलट बनने के लिए ट्रेनिंग ली और कैसे उसने विदेशों में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए महामारी के चरम के दौरान एक महीने में 3 उड़ानें भरीं। उन्होंने कहा, 'जब मेरे माता-पिता को इस मिशन के बारे में पता चला तो वह चिंतित थे, लेकिन जब मैंने समझाया कि मिशन कितना महत्वपूर्ण है, तो वह सहमत हो गए।" बचाव अभियान के तहत उनकी पहली उड़ान चीन के शंघाई के लिए थी। उन्होंने कहा, 'हमारा उद्देश्य वहां फंसे सभी भारतीयों को वापिस लाना था। हम सभी ने उड़ान के दौरान खतरनाक सूट पहने थे, मैंने भी ऐसे सूट पहनकर उड़ान भरी थी।"
पिता ने कर्ज लेकर करवाई ट्रेनिंग
आगे उन्होंने कहा कि उनके पिता ने कर्ज लिया, ताकि वह पायलट बनने के लिए ट्रेनिंग ले सकें। उन्होंने अपनी लक्ष्मी से कहा कि "जाओ, बेटा, आकाश की सीमा से उंची उड़ो" उनके पिता, उनके सबसे बड़े चीयरलीडर्स में से एक होने के नाते उनकी पूरी यात्रा में उनका साथ दिया। जब रिश्तेदार पूछते, 'अब उसका घर कैसे बसेगा?' वह जवाब देते थे, 'मेरी बेटी उड़ने के लिए पैदा हुई है।'
2 साल की कड़ी मेहनत के बाद मिला लाइसेंस
वह बताती हैं कि 2 साल की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद उन्हें पायलट बनने का लाइसेंस मिला। उन्होंने कहा, "मेरे सपनों को पंख मिल गए थे, मैं उत्साहित थी! इसके तुरंत बाद मुझे एयर इंडिया, राष्ट्रीय वाहक के साथ नौकरी मिल गई।" लक्ष्मी के अलावा, वह सिर्फ यात्रा के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहती थी। इसलिए, जब कोरोनोवायरस महामारी शुरू हुई, और वंदे भारत मिशन शुरू हुआ तो उसने स्वेच्छा से फंसे भारतीयों को बचाने के लिए विदेश जाने के लिए उड़ान भरी।
जब फ्लाइट भारत में उतरी तो यात्रियों ने क्रू को स्टैंडिंग ओवेशन दिया। उन्होंने कहा "एक छोटी लड़की मेरे पास आई और बोली, 'मैं तुम्हारे जैसा बनना चाहती हूं!' और मैंने उसे वही बताया कहा जो पापा ने मुझसे कहा था, 'आसमान की सीमा नहीं है!'"