Baby Care: क्यों आती है नवजात शिशु को ज्यादा छींक? ऐसे करें इलाज

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 01:04 PM (IST)

नवजात शिशु बेहद ही कोमल व सेंसटिव होते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को इनकी देखभाल करते समय खास ध्यान देने की जरूरत होती है। अक्सर कई नवजात को छींकने की समस्या हो जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार, छींक आने एक सामान्‍य प्रक्र‍िया होती है, इसे प्रोटेक्‍ट‍िव र‍िफ्लक्‍स यानि कीटाणुओं से बचाव की प्रक्रिया का रूप कहा जाता है। यह प्रक्रिया हमारी नर्वस स‍िस्‍टम द्वारा कंट्रोल में रहती हैं। मगर बार-बार छींक आना क‍िसी एलर्जी या बीमारी की ओर इशारा करती है। ऐसे में श‍िशु को इसतरह बार-बार छींक आने पर पेरेंट्स को अलर्ट होने की जरूरत होती है।

चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको नवजात शिशु को बार-बार छींक आने से सामान्य कारण व इससे जुड़ी अन्य बातें बताते हैं..

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नवजात श‍िशु का छींकना कब होता है सामान्‍य?

. जन्‍म के शुरूआती समय में कई श‍िशुओं की लार ज्‍यादा बनती है, जिसे बच्चे न‍िगल जाते हैं। ऐसे में वायु मार्ग में लार जम जाने से उन्हें छींक आने की समस्या हो सकती हैं।
. शिशु के नाक में धूल-मिट्टी जाने पर वह छींक सकता हैं।
. गले में बलगम जमा होने पर च‍िपच‍िपाहट और गाढ़ेपन के कारण शिशु को छींक आने की परेशानी हो सकती है।
. बच्चे की नाक बंद होने पर या स्‍तनपान करते समय नाक पर दबाव पड़ने से वह छींक सकता है।
. कई बार हवा में सूखापन बढ़ने लगता है। इसके कारण बलगम सूखने की परेशानी होने से नवजात को छींक सकता है।
. बच्चों के आसपास ज्यादा खुशबू वाली चीजें होने पर भी वे बार-बार छींक सकते हैं।

डॉक्‍टर से संपर्क करने का सही समय

. लगातार 2-3 दिन से शिशु का छींकना और इसके साथ बच्चे को कमजोर महसूस होने पर उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
. कई शिशु बार-बार छींकने से दूध पीना बंद कर देते हैं। ऐसे में बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें।
.  छींकने के साथ शिशु को बुखार होने की समस्या होने पर तुंरत डॉक्टर की सलाह लें।
. अगर छींक-छींक कर शिशु की नाक ज्‍यादा लाल हो जाएं।
. कई बार छींकते हुए शिशु को सही से सांस ना आने की परेशानी होती हैं। ऐसे में उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।

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श‍िशु को ज्‍यादा छींक आने पर करें ये काम

. बार-बार बच्चे को छींक आने से उसके रेस्‍प‍िरेटरी स‍िस्‍टम (सांस लेने में) में इंफेक्‍शन हो सकती है। इससे बचने के लिए शिशु को गर्म कपड़े पहनाकर बंद कमरे में ही रखें। इस बात का ध्यान रखें कि शिशु के कमरे में हवा बिल्कुल भी ना आ पाएं।
. बच्चे को बाहर व हवा वाली जगह पर ले जाने की गलती ना करें। जितना हो सके उसे कमर तापमान वाले कमरे में ही करें।
. बच्चे को बेड या झूले में लिटाने की जगह पर उसे गोद में ही रखें। इसके साथ ही शिशु को गोद में लेने से पहले अपने हाथ अच्छे से साफ व गर्म कर लें। ताकि आपके गंदे व ठंडे हाथों से शिशु को इंफेक्शन और सर्दी होने की परेशानी ना हो पाएं।
. बच्चे को गोद में लेकर उसकी पीठ की हल्के हाथों से मसाज करें। इससे उसके हल्का व अच्छा महसूस होगा। ऐसे में उसे सुकूनभरी नींद आने में मदद मिलेगी।
. नवजात शिशु बेहद ही कोमल होते हैं। ऐसे में उसे बिना डॉक्टर की सलाह को कोई स‍िरप या दवा देने की गलती ना करें।
. वैपराइजर से भले ही शिशु को आराम मिल सकता हैं। मगर इसका इस्तेमाल करने से पहले भी एक बार डॉक्टर से जरूर पूछे।
. इसके अलावा अगर शिशु को नेजल ड्रॉप देने से पहले भी एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।
. अक्सर नाक गंदी होने पर शिशु को छींक आने की समस्या हो सकता हैं। इसके लिए आप बच्चे की साफ-सफाई का ध्यान रखें। शिशु की नाक साफ करने के लिए तौलिए या कॉटन के कपड़े को गुनगुने पानी में डुबोकर ही इस्तेमाल करें।

अगर ये कुछ तरीके अपनाकर भी बच्चे को छींक आना बंद ना हो तो बिना देरी किए उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। ताकि नवजात शिशु को जल्द से जल्द आराम मिल सके।


pc: istock


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neetu

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