नई मांएं ना करें ब्रेस्ट फीडिंग से जुडे़ इन Myths पर विश्वास, जानिए इसकी सच्चाई

punjabkesari.in Wednesday, Jan 13, 2021 - 01:53 PM (IST)

नवजात शिशु के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार माना जाता है। इससे शिशु का बीमारियों से बचाव होने के साथ बेहतर विकास होने में मदद मिलती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार जन्म से करीब 2 साल तक बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। भले ही शिशु 6 महीने बाद अन्य चीजें खाने लगता है। मगर सेहतमंद रहने के लिए दूध उसे मां का ही पीना चाहिए। मगर बात ब्रेस्ट फीडिंग की करें तो बहुत सी महिलाएं इससे जुड़े मिथ में विश्वास करके शिशु को फार्मुला मिल्क पिलाने लगती है। मगर असल में, ये सही ना होकर बच्चे के विकास में बाधा डालने का काम करते हैं। तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए 4 ऐसे मिथ और उनकी सच्चाई बताते हैं, जिनपर भरोसा ना करने में ही भलाई है। 

1. मिथ- मां के दूध से बच्चे का सही से पेट नहीं भरता

कई महिलाओं का मानना है कि ब्रेस्ट फीडिंग से शिशु का पूरी तरह से पेट नहीं भरता है। ऐसे में वे उसे फॉर्मूला मिल्क पिलाने लगती है। 

सच्चाई 

मगर बात इसके पीछे की सच्चाई की करें तो असल में, मां का दूध हल्का होता है। ऐसे में नवजात उसे जल्दी ही पचा लेता है। इसलिए उसे हर 1 घंटे में भूख लग जाती है। वहीं फॉर्मूला दूध भारी होने से शिशु उसे पचाने में 2-3 घंटे का समय लेता है। ऐसे में उसे जल्दी भूख नहीं लगती है। इसलिए शिशु के सही विकास हो बीमारियों से बचाव के लिए मां का दूध ही पिलाना चाहिए। 

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2. मिथ- मां को ज़ुकाम होने पर बच्चे को दूध ना पिलाना

अक्सर लोगों को मानना है कि मां को सर्दी, जुकाम होने पर उसे शिशु को दूध नहीं पिलाना चाहिए। नहीं तो इससे बच्चे को भी सर्दी हो सकती है। 

सच्चाई

मगर यह बात पूरी तरह से गलत है। असल में, मां के दूध में मौजूद एंटी-बॉडीज बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करती है। इसलिए इससे शिशु का सर्दी में चपेट में आने का कोई खतरा नहीं होता है। साथ ही हम बात कोरोना वायरस की करें तो WHO के मुताबिक  इससे पीड़ित महिलाएं अपने शिशु को बिना डरे ब्रेस्ट फीडिंग दे सकती है। फिर ऐसे में बच्चे को जुकाम, खांसी होने का कोई डर नहीं है। हां, मां का बच्चे को बार-बार छुना, उसे प्यार करने से उसके अंदर के बैक्टीरिया नवजात में जा सकते हैं। 

3. मिथ- ब्रेस्ट फीडिंग से फिगर खराब होगा

डिलीवरी से पहले और बाद में महिला के शरीर में बदलाव आना आम बात है। खासतौर पर वजन बढ़ जाने के कारण फिगर का खराब होना। ऐसे में बहुत सी महिलाएं इसके पीछे का कारण ब्रेस्ट फीडिंग समझती है। साथ ही बच्चे को दूध पिलाना बंद करती है। 

सच्चाई

मगर ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है। असल में, ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से महिलाओं को वजन कम करने व फिगर मेंटेन करने में मदद मिलती है। इसलिए हर मां को अपने नवजात को दूध जरूर पिलाना चाहिए। 

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4. मिथ- मां के कुछ खट्टा खाने से बच्चा दूध पलटता है

यह बात आपने अक्सर अपने बड़ों से सुनी होगी कि ब्रेस्ट फीडिंग करवाने वाली मां को खट्टा नहीं खाना चाहिए। नहीं तो नवजात के दूध पलटने का खतरा रहता है। असल में, शिशु फटा हुआ दूध निकलता है। इसलिए महिलाएं ऐसा सोचने लगती है। 

सच्चाई

असल में, इस धारणा का कोई मतलब नहीं है। दरअसल, दूध ठीक से ना पचने के कारण बच्चा उसे पटल यानी उल्टी कर देता है। ऐसे में दूध चाहे मां का हो या फॉर्मूला मिल्क। ऐसे में इसका मां के खट्टा खाने से कोई संबंध नहीं है। 


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neetu

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