कहीं विजय पर्व तो कहीं कहते बंदी छोड़ दिवस, हर धर्म से दिवाली का गहरा संबंध
punjabkesari.in Wednesday, Nov 03, 2021 - 03:04 PM (IST)
दिवाली हिंदू धर्म का विशेष त्योहार माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम अपनी पत्नि सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भोग कर वापस आए हैं। इसके साथ ही इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन द्वारा धरती पर प्रकट हुई थीं। मगर क्या आप जानते हैं कि दिवाली सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोगों के लिए बेहद खास है। जी हां, इस दिन कई ऐतिहासिक घटाएं घटी थी। ऐसे में सिक्ख, जैन, आर्य आदि समाज व धर्म के लोग भी दिवाली को धूमधाम से मनाते हैं।
चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में दीपावली से जुड़ी 10 प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं का बारे में बताते हैं...
लक्ष्मी अवतरण
पौराणिक कथाओं अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन धन की देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन द्वारा धरती पर प्रकट हुई थीं। ऐसे में देवी मां का स्वागत करने के लिए लोग घरों में दीए जलाते हैं।
भगवन विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना
शास्त्रों अनुसार इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से की कैद से माता लक्ष्मी को मुक्ति दिलाई थीं।
भगवान राम का आयोध्या आगमन
धार्मिक ग्रंथ रामायण अनुसार इस दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापिस लौटे थे। उस समय उनके आने की खुशी व स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीएं जलाककर पूरी अयोध्या को रौशन किया था।
नरकासुर वध
कहा जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करके उसकी कैद से 16000 स्त्रियों को छुटवाया था। ऐसे में इस खास पर्व की खुशी में लोग 2 दिनों तक दिवाली का त्योहार मनाते हैं। साथ ही इस दिन को विजय पर्व भी कहा जाने लगा।
पांडवो की वनवास से वापसी
धार्मिक ग्रंथ महाभारत अनुसार कौरव और पांडव के बीच होने वाले चौसर के खेल में पांडवों को हार का सामना करना पड़ा था। उस समय उन्हें 12 वर्ष का अज्ञात वास में जाना पड़ा था। कहा जाता है कि पांडव अपना 12 साल का वनवास समाप्त कर इसी दिन अपनी नगरी में वापस लौटे थे। तब उनके आने की खुशी में दीप जलाकर नगरवासियों ने उनका स्वागत किया था।
विक्रमादित्य का राजतिलक
कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य का राजतिलक भी इसी शुभ दिन हुआ था। ऐसे में दीपावली त्योहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।
आर्य समाज की स्थापना
माना जाता है कि स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन हुई थी। इसलिए दीपावली का त्योहार इन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
भगवान महावीर जी को मोक्ष प्राप्ति
इस दिन को जैन धर्म के लोग भगवान महावीर जी के मोक्षदिवस के रूप में मनाते हैं। कहा जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान महावीर जी ने मोक्ष प्राप्त किया था।
हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास
सिक्ख धर्म के लोग भी दिवाली को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। कहा जाता है कि इस शुभ दिन को सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में पहली बार मनाया था। तब सभी श्रद्धालु गुरु जी का आशीर्वाद लेने के लिए खासतौर पर आए हैं। इसके साथ अमृतसर के हरिमंदिर साहिब यानि गोल्डन टेंपल का शिलान्यास भी दीपावली के दिन ही हुआ था।
बंदी छोड़ दिवस
इन सबके साथ सिक्ख धर्म के लोग दिवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं। कहा जाता है कि सिक्खों के छठवें गुरु हरगोबिन्द जी ग्वालियर के किले से 52 राजाओं के साथ मुक्त होकर वापस लौटे थे। ऐसे में उनके आने की खुशी में लोगों ने दीपक की रोशनी करके उनका स्वागत किया था।