करवाचौथ का व्रत 2025: तारीख, महत्व और शुभ उपाय
punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 04:13 PM (IST)
नारी डेस्क : करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। साथ ही, इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और खुशियां बनी रहती हैं। इस वर्ष 2025 में करवाचौथ पर कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं इसकी सही तारीख और महत्व।
करवाचौथ का महत्व
करवाचौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में रखा जाता है। इसे निर्जला व्रत माना जाता है, यानी इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा दर्शन तक कुछ भी खाया-पीया नहीं जाता। यह व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे कठोर व्रत माना जाता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। साथ ही, गौरी माता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और प्रेम बढ़ता है।

करवाचौथ 2025 की सही तारीख
व्रत आरंभ: 9 अक्टूबर 2025, रात 10:55 बजे से
व्रत समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, शाम 7:39 बजे तक
उदय तिथि अनुसार: व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा।
इस वर्ष सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही, चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान होंगे, जिससे गौरी गणेश की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

करवाचौथ का व्रत करते समय ध्यान रखें ये बातें
सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें।
इस दिन किसी से वाद-विवाद न करें और न ही किसी के बारे में नकारात्मक विचार लाएं।
सफेद, काले और नीले रंग के वस्त्र न पहनें।
इस दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए।
व्रत कथा का पाठ करें और शाम को दोबारा मां गौरी की पूजा करें।
रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण करें।

करवाचौथ पर दान करने योग्य चीजें
इस दिन सुहागिन महिलाओं को केसर, सिंदूर, लाल चुनरी, इत्र आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक संबंधों में सुख, शांति और मधुरता बनी रहती है। करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना तक सीमित नहीं है, बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और सौभाग्य बढ़ाने का एक शुभ अवसर भी है। सही दिन, शुभ समय और नियमों का पालन करके किया गया व्रत शारीरिक और मानसिक दोनों ही दृष्टियों से लाभकारी माना जाता है। साथ ही, इस दिन किए गए दान और पूजा से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

