कर्नाटक सरकार की पहलः 10,000 से ज्यादा गर्भवती की कर चुकी हैं मेंटल हेल्थ जांच
punjabkesari.in Thursday, Feb 24, 2022 - 03:28 PM (IST)
मां बनना हर महिला के लिए किसी वरदान से कम नहीं लेकिन इस दौरान महिलाओं को कई शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक बदलाव का सामना करना पड़ता है। बहुत-सी महिलाएं को डिलीवरी के बाद डिप्रेशन, चिंता का शिकार हो जाती हैं, जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद) भी कहा जाता है। इसके कारण ना सिर्फ औरतें अपने परिवार व शिशु से दूर होती चली जाती हैं बल्कि उनमें कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
अब तक हुई 10 हजार से अधिक महिलाओं की जांच
महिलाओं को ऐसी परेशानियों का सामना ना करने पड़े, इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक अहम पहल शुरु की है। दरअसल, राज्य सरकार ने पिछले 8 महीनों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए 10,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं/नई माताओं की जांच की है। इस संख्या में अन्य समस्याओं के अलावा अवसाद, चिंता, मनोविकृति और आत्महत्या के विचारों के लिए प्रसव पूर्व 8,183 और प्रसव के बाद की 2,334 जांच शामिल हैं।
2016 में शुरू किया था प्रोग्राम
जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम 2016 में शुरू किया गया था। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग अप्रैल 2021 में शुरू हुई जब कोविड महामारी की दूसरी लहर शुरू हो गई थी। इस कार्यक्रम का मकसद मांओं के मेंटल हेल्थ इशूज का सही समय पर डिटेक्शन, काउंसलिंग और ट्रीटमेंट करना है।
महिलाओं की सेहत सबसे ज्यादा जरूरी
कार्यक्रम में मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नर्सों सहित लगभग 140 कर्मचारी शामिल हैं। लगभग 42,000 मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा कार्यकर्ताओं) को पहली प्रतिक्रिया के रूप में कार्य करने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के स्पष्ट संकेतों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के मानसिक स्वास्थ्य के उप निदेशक डॉ रजनी पार्थसारथी ने कहा, "प्रेगनेंसी के बाद की अवधि के दौरान, महिलाओं में बहुत सारे शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। उनमें से लगभग 7% से 20% के पास प्रसवोत्तर अवसाद में जाने की संभावना है। यही वजह है कि हम सभी गर्भवती महिलाओं की जांच करना चाहते हैं।"