कब है राधा अष्टमी? इस दिन राधी रानी की पूजा करने से भगवान कृष्ण होंगे खुश

punjabkesari.in Wednesday, Aug 20, 2025 - 10:05 AM (IST)

नारी डेस्क: जन्माष्टमी के बाद अब सभी को इंतजार है  राधा अष्टमी का।  राधाष्टमी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि राधाष्टमी के दिन ही राधा रानी का प्राकट्य हुआ था। इस शुभ अवसर पर राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष उपासना की जाती है। चलिए जानते हैं इस पावन पर्व की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में । 

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राधाष्टमी की तिथि

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि 30 अगस्त रात 10.46 बजे लगेगी और 31 अगस्त को देर रात 12.57 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के चलते 31 अगस्त को राधाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। मध्याह्न पूजा समय – सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक है इसकी कुछ अवधि 2 घंटे 33 मिनट है। ब्रह्म मुहूर्त  सुबह 4:29 बजे से 5:14 बजे तक का है। विजय मुहूर्त – दोपहर 2:29 बजे से 3:20 बजे तक का है। निशिता मुहूर्त – रात 11:59 बजे से रात 12:44 बजे तक का हे। 


राधा रानी को प्रसन्न करने के उपाय 

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्वच्छ स्नान करें,  संभव हो तो गंगा जल से। अधिकांश भक्त दोपहर तक व्रत रखते हैं; कुछ निर्जल (जल-रहित) व्रत भी करते हैं, और कुछ फलाहारी व्रत अपनाते हैं। इस दिन व्रत का उद्देश्य मानसिक शुद्धि, भक्ति भावना, और राधारानी की कृपा प्राप्त करना है। पूजा के लिए राधा-कृष्ण की मूर्ति या चित्र प्रतिष्ठित स्थल पर स्थापित करें। उस स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर उसी पर मूर्ति या चित्र रखें।पंचामृत के साथ राधा-कृष्ण का अभिषेक करें (दूध, घी, दही, शहद, शक्कर/गुड़ मिश्रण) के साथ 

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माता का करें शृंगार

राधा रानी का शृंगार फूल, नए वस्त्र, श्रृंगार, और सुगंधित अगरबत्ती या धूप का उपयोग करें। भोग (प्रसाद) अर्पण करें-  मिठाइयां (जैसे पेड़ा), मक्खन-मिश्री, पंचामृत आदि। इस दिन भजन, कीर्तन, आरती और राधा-कृष्ण के स्तोत्रों का पाठ करें। मंगल आरती, कीर्तन, स्तुति और भक्तिमय गान करें खासतौर पर मध्याह्न में, जब राधा रानी के जन्म का समय माना जाता है। पूजा के पश्चात् छप्पन भोग (56 भोग) बनाकर बांटना उत्तम होता है । 
 


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vasudha

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