इस्लाम में महिलाओं के लिए क्यों हराम हैं इत्र लगाना!
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 07:18 PM (IST)

नारी डेस्क : इस्लाम धर्म में महिलाओं के लिए कई नियम बनाए गए हैं ताकि समाज में शालीनता और नैतिकता बनी रहे। इनमें से एक अहम नियम महिलाओं द्वारा इत्र (खुशबू) लगाने को लेकर भी है।
महिलाओं को इत्र लगाना कब मना है?
इस्लाम में महिलाओं को तब इत्र लगाने से मना किया गया है जब वे घर से बाहर निकलें और उन जगहों पर जाएं जहां गैर-महरम (जो पुरुष उनके निकटतम रिश्तेदार नहीं हैं) मौजूद हों। इसका कारण यह है कि इत्र की खुशबू पुरुषों की इच्छाओं को भड़का सकती है और अनचाहे आकर्षण पैदा कर सकती है। इससे समाज में गलत कामों और नैतिक भ्रष्टाचार का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, मस्जिद में भी महिलाओं को इत्र नहीं लगाना चाहिए। मस्जिद जाते समय इत्र धो लेना चाहिए ताकि मस्जिद की शुद्धता बनी रहे।
महिलाओं को इत्र लगाना कब जायज है?
महिलाओं को इत्र लगाना तब जायज होता है जब वे अपने घर में हों या परिवार के सदस्यों के साथ मौजूद हों। केवल अपने पति के लिए इत्र लगाना सही माना गया है। इसके अलावा, महिलाएं हल्की खुशबू वाले डियोडोरेंट या साबुन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, बशर्ते कि उसकी खुशबू पुरुषों की इंद्रियों को उत्तेजित न करे। महिलाओं को सिर्फ उन जगहों पर ही इत्र लगाना चाहिए जहां गैर-महरम पुरुष मौजूद न हों।
इस्लाम में महिलाओं को इत्र लगाने पर रोक क्यों है?
इच्छाओं को भड़काना: इत्र की खुशबू से पुरुषों की इच्छाएं बढ़ सकती हैं, जिससे गलत सोच और व्यवहार को प्रोत्साहन मिल सकता है।
शालीनता का पालन: इस्लाम महिलाओं से चाहता है कि वे शालीन और संयमित रहें, और ऐसे काम न करें जो अनावश्यक ध्यान आकर्षित करें।
सामाजिक नैतिकता की रक्षा: इत्र लगाकर जब महिलाएं गैर-महरम पुरुषों के बीच जाती हैं, तो यह समाज की नैतिकता के खिलाफ माना जाता है।
व्यभिचार की रोकथाम: इत्र लगाकर पुरुषों के बीच जाने को व्यभिचार की ओर बढ़ने वाला एक कारण माना जाता है, क्योंकि यह गलत इच्छाओं को जन्म देता है।
घर और परिवार में महिलाओं के लिए इत्र लगाना पूरी तरह से सही माना गया है। लेकिन बाहर, जब वे गैर-महरम पुरुषों के बीच हों, तो इत्र लगाना मना है। इस्लाम का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, समाज की शालीनता और नैतिकता बनाए रखना है, इसलिए महिलाओं के लिए इत्र लगाने के ये नियम बनाए गए हैं।