फेफड़े तक नहीं पहुंच पाएगा कोरोना, 15 सेकंड में वायरस को खत्म कर देगा आयोडीन

punjabkesari.in Tuesday, Oct 06, 2020 - 10:04 AM (IST)

दुनियाभर में जहां वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन की खोज में लगे हैं वहीं आए नई दवाएं, टेस्ट किट लॉन्च हो रही है। इसी बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आयोडीन कुछ सेकंड में ही कोरोना का खात्मा कर सकता है, जिससे मरीज गंभीर स्टेज तक पहुंचने से बच सकते हैं।

15 सेकंड में कोरोना का खात्मा करेगा आयोडीन

यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट स्कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, आयोडीन से नाक और मुंह की सफाई करने से कोरोना वहीं, मर जाता है और फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाता। रिसर्च का कहना है कि 0.5% कंसंट्रेशन वाले आयोडीन सॉल्यूशन से कोरोना 15 सेकंड में ही खत्म हो जाता है।

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कैसे वायरस को खत्म करेगा आयोडीन?

ज्यादातर वैज्ञानिक क्लीनिकल ट्रायल में नाक और मुंह की सफाई पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि ज्यादातर वायरस नाक या मुंह द्वारा ही शरीर में प्रवेश करते हैं। दरअसल, नाक में कोरोना का संक्रमण फैलाने वाले ACE2 रिसेप्टर्स होते हैं। ऐसे में आयोडीन के 3 एंटीसेप्टिक सॉल्यूशंस (PVP-I) बनाए गए, जिनकी मात्रा 0.5%, 1.25% और 2.5% तक है। रिसर्च में सामने आया कि 0.5% वाले सॉल्यूशन 15 सेकंड में ही वायरस को खत्म कर दिया।

गंभीर स्थिति से होगा बचाव

वैज्ञानिकों ने सॉल्यूशन में 70% एथेनॉल डालकर कोरोना वायरस के साथ रखा। इसमें देखा गया कि इससे वायरस पर 15-30 बाद असर शुरू हुआ। जबकि वायरस को आयोडीन के साथ रखते ही वह 15 सेकंड में मर गया। ऐसे में कोरोना को रोकने के लिए वैज्ञानिक आयोडीन को कारगार मान रहे हैं। उनका कहना है कि इससे मरीज को शुरूआती स्टेज पर ही ठीक किया जा सकता है। ऐसे मरीज की स्थिति खराब होने से बच सकती है।

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एयरोसॉल और ड्रॉपलेट्स कंट्रोल किए जा सकेंगे

डॉक्टर्स द्वारा मरीजों को आयोडीन सॉल्यूशन से सफाई का तरीका बताया जाएगा, ताकि वह इसका सही इस्तेमाल कर सके और कोई नुकसान ना हो। इससे मुंह या नाक से निकलने वाले कोरोना के एयरोसॉल या ड्रॉपलेट्स भी कम हो जाएंगे, जिससे संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक इंफैक्शन फैलने का खतरा कम होगा।

घर में ना करें इस्तेमाल

भले ही आयोडीन कोरोना को खत्म कर सकता है लेकिन वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर इसे घर में ना इस्तेमाल करने की हिदायत दी है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये उपाय सिर्फ डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए। हालांकि यह फेफड़ों में जाने वाले वायरल लोड को कम करने में काफी कारगार है।

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Content Writer

Anjali Rajput

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