International Yoga Day 2021: बॉडी को डिटॉक्स करता है सूर्य नमस्कार, जानें इसे करने का सही तरीका और फ

punjabkesari.in Monday, Jun 21, 2021 - 11:01 AM (IST)

योग केवल शारीरिक और मानसिक परेशानियों को ही दूर नहीं करता ब्लकि इसे रोजाना अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपको जीवन में एक अलग ही आनंद महसूस होगा। कोरोना काल के चलते योगा को पहले से औऱ ज्यादा तवज्जों मिली हैं। डाॅक्टर और विशेषज्ञों से लेकर हर कोई इसका फैन हैं।  शरीर को हेल्दी बनाए रखने के अलावा योग कई तरह की बीमारियों से हमें मुक्त रखता हैं। योग के इन्हीं फायदों को लोगों के सामने रखने के लिए हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। ऐसे तो योगा की बहुत सारी क्रियाएं हैं लेकिन आज हम आपकों सूर्य नमस्कार के फायदों के बारे में बताएंगे, तो आईए जानते हैं इसे रोजाना करने से हमारे शरीर को कैसे लाभ मिलता है। 

सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार एक ऐसा योग है जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तो स्वस्थ रखता है कि इसके साथ ही यह आपके शरीर को डिटॉक्स भी करता है। लेकिन सूर्य नमस्कार को करने का सही तरीका बहुत कम लोग जानते हैं। बतां दें कि सूर्य नमस्कार 12 योगासनों से मिलकर बना होता है। आईए जानते हैं इसकी क्रियाएं- 


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1. प्रणाम आसन: सबसे पहले प्रणाम आसन है इसके लिए दोनों पंजे जोड़कर अपने आसन मैट के किनारे पर खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को कंधे के समान्तर उठाएं और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। दोनों हथेलियों के पृष्ठभाग एक दूसरे से चिपकाए रहें और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।

2. हस्तउत्तनासन- इसके लिए पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं।

3. पादहस्तासन- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते जाएं और हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए।

4. अश्व संचालनासन- इस आसन में अपनी हथेलियों को ज़मीन पर रखें, सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं और बाएं पैर को घुटने की तरफ से मोड़ते हुए ऊपर रखें. गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं और कुछ देर इसी स्थिती में रहें.

5. दंडासन- अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों और पैरों को सीधी लाइन में रखें और पुश-अप की पोजीशन में आ जाएं।

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6. अष्टांग नमस्कार- अब सांस लेते हुए अपनी हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को जमीन से मिलाएं। इस अवस्था में रहें और सांस को रोकें।

7. भुजंगासन - अब हथेलियों को जमीन पर रखते हुए पेट को जमीन से मिलाएं और सिर को पीछे आसमान की ओर जितना हो सके झुकाएं।

8. अधोमुख शवासन- इसे लोग पर्वतासन भी कहते हैं। इसके अभ्यास के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें।

9. अश्व संचालनासन- धीरे-धीरे सांस लें और सीधा पैर पीछे की ओर फैलाएं। सीधे पैर का घुटना जमीन से मिलना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़े और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें। सिर को आसमान की ओर रखें।

10.हस्तपाद आसन- इस आसन में बाहर की तरफ सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ नीचे की ओर झुकें. अपने दोनों हाथों को कानों के पास से घुमाते हुए ज़मीन को छूएं।

11. हस्तउत्तनासन- पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आप आधे चांद का आकार बनाएंगी। इस आसन को अर्धचंद्रासन भी कहा जाता है।

12. प्रणामासन- सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों को पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें। अब हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं।


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- जानिए सूर्य नमस्कार के फायदे?

-वजन कम करता है।
-पाचन और भूख की क्रिया में सुधार लाता है।
-शरीर को लचीला और स्वस्थ बनाता है।
-कब्ज को दूर करता है।
-शरीर को डिटाॅक्स करता है।
-शारीरिक और मानसिक मजबूती बढ़ाता है।
-मसल्स को टोन करता है।
-हड्डियों को मजबूत करता है।
--स्ट्रेस दूर होता है।
जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या रहती है यह उनके लिए काफी लाभकारी होता है।
 

किन लोगों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए- 
-गर्भवती महिलाएं 
-उच्च रक्ताचाप के मरीजों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
-महिलाएं पीरियड के दौरान सूर्य नमस्कार ना करें।


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Content Writer

Anu Malhotra

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