शिशु और गर्भवती महिला को अधिक होता है Hepatitis B का जोखिम!
punjabkesari.in Sunday, Jul 28, 2024 - 10:12 AM (IST)
नारी डेस्क: दुनियाभर में आज World Hepatitis Day मनाया जा रहा है। ये लिवर से जुड़ा एक ऐसा रोग है,जो वायरल इन्फेक्शन की वजह से होती है। इसको अगर नजरअंदाज किया जाए तो ये लिवर पूरी तरह से डैमेज हो सकता है। इस रोग में लीवर में सूजन आ जाती है। दरअसल हेपाटाइटिस 5 तरह के होते हैं- ए, बी, सी, डी और ई। लेकिन आपको बता दें इन सब वायरस में से हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बनता है, जिसकी वजह से लोग लीवर सिरोसिस और कैंसर रोगी बन रहे हैं...
क्या होता है हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी एक संक्रमक बीमारी है, जिसकी वजह से लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। हेपेटाइटिस बी को एचआईवी से भी ज्यादा घातक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका बैक्टीरिया बॉडी के बाहर कम से कम 7 दिन तक जिंदा रहकर किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। हेपेटाइटिस के बाकी सभी वायरस में सबसे खतरनाक वायरस बी माना जाता है।
कैसे होते हैं हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से या संक्रमित सुई इस्तेमाल करने से बनता है। इसके अलावा बचपन में संक्रमित टूथब्रश, इंजेक्शन, टैटू या बॉडी पियरसिंग के लिए इस्तेमाल की गई दूषित सुई से भी हो सकता है। इस बात की संभावना बनी रहती है कि प्रेग्नेंट महिला से उसके होने वाले बच्चे में भी हेपेटाइटिस बी पहुंच जाए।
हेपेटाइटिस के लक्षण
बुखार, थकावट और पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते है। इसके अलावा इस बीमारी में भूख कम लगना, अचानक वजन का घटना, पेट दर्द या सूजन, स्किन एलर्जी, यूरिन का रंग गहरा हो जाना, मतली और उल्टी आना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस बी होने से खतरा
- प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को हेपेटाइटिस बी होने से समय से पहले बच्चे का जन्म होने का खतरा बना रहता है।
- प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस- बी होने से नवजात कम वजन के साथ पैदा हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस बी होने से डायबिटीज होने का खतरा भी बना रहता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस- बी होने से ज्यादा रक्त स्त्राव का खतरा भी बना रहता है।
जन्म लेने वाले बच्चे को ऐसे बचाएं हेपेटाइटिस से
- प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां अगर हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं तो बीमारी का वायरस उसके होने वाले बच्चे तक भी पहुंच सकता है। ऐसे में संक्रमित प्रेग्नेंट महिला को नवजात के जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
- जन्म से एक महीने बाद बच्चे को दोबारा टीका लगवाएं। इसके बाद दो महीने का होने पर और एक साल का होने पर टीका लगवाना चाहिए।
- बच्चे के एक साल का होने पर इसका ब्लड टेस्ट करवाएं ताकि बैक्टीरिया की स्थिति पता चल सके। बच्चे के 5 साल का होने पर डॉक्टर बच्चे को टीके की बूस्टर खुराक दिलवाने की सलाह देते हैं।