आतंकियों के किए की सजा मिली इन मासूमोंं को, मां से बिछड़े इन बच्चों को देख पसीज जाएगा  दिल

punjabkesari.in Monday, Apr 28, 2025 - 11:11 AM (IST)

नारी डेस्क:  पहलगाम आतंकी हमले के बाद जहां पूरा देश आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ मासूमों को बिना कसूर के ही सजा मिल गई। यह वो हैं जिन्हें दो देशाें की लड़ाई के चलते अपनी मां से अलग होना पड़ा, इन मासूमों को तो यह भी नहीं पता  कि जंग क्या होती है वह तो अब तक अपनी मां आंचल के नीचे एक सुरक्षित माहौल में जी रहे थे, जरा सोचिए जिन मांओ ने 2 मिनट के लिए भी अपने बच्चे को खुद से दूर नहीं किया होगा वह यह जिंदगी उनके बीना कैसे गुजारेगी।  भारत-पाकिस्तान सीमा से इस तरह की कई कहानियां सामने आई है जहां बच्चों और मां को बिछड़ना पड़ा। 

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दरअसल अल्पकालिक वीजा धारकों के लिए समय सीमा समाप्त होने के बाद पिछले तीन दिनों में कुल 537 पाकिस्तानी नागरिक अटारी सीमा के माध्यम से भारत छोड़ चुके हैं। वहीं 850 भारतीय नागरिक भारत लौट आए हैं। भारत सरकार ने शुक्रवार को 27 अप्रैल से तत्काल प्रभाव से, दीर्घकालिक, राजनयिक और आधिकारिक वीज़ा को छोड़कर, पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी श्रेणियों के वीज़ा रद्द कर दिए।पाकिस्तानी पासपोर्ट धारकों के पास सीमा पार करने के लिए 29 अप्रैल तक का समय है। यही बात भारतीय पासपोर्ट धारकों पर भी लागू होती है।

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11 वर्षीय जैनब और 8 वर्षीय ज़ेनिश भी कूटनीतिक विवाद में फंस गए हैं, जो अपने देश तो लौट रहे हैं लेकिन मां के बीना। आजतक की खबर के मुताबिक यह दोनों बच्चे अपनी मां  के साथ नानी से मिलने दिल्ली आई थीं। उनकी मां के पास भारतीय पासपोर्ट है। जबकि बच्चियों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट और वो वहां के नागरिक हैं, ऐसे में चाहकर भी उनकी मां उनके साथ नहीं जा सकती। विदाई के वक्त ज़ैनब की आंखों में आंसू थे। उसने कहा- 'मां के बिना लौट रही हूं, दिल टूट गया है। मैं मां के बिना नहीं रह सकती।'

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इस बच्ची ने भी पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा- जिन आतंकियों ने निर्दोष लोगों को मारा है, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इतनी कड़ी सजा दी जाए कि वो जिंदगीभर याद रखें और जो हम जैसे आम लोग हैं,इनके परिवारों को एक-दूसरे के पास भेज दिया जाए । पाकिस्तान लौटने के लिए अटारी बॉर्डर पहुंची एक बेबस मां ने भी अपना दुख सांझा किया। उसने बताया कि उसके बच्चे उसका इंतजार कर रही है लेकिन वह उनके पास नहीं जा पा रही है। 

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महिला ने बताया- मैं पाकिस्तान के कराची में परिवार सहित रहती हूं।30 दिन पहले मैं जोधपुर में पीहर आई थी। पहलगाम की घटना के बाद सरकारी आदेश पर तीन घंटे में सामान पैक कर पाकिस्तान लौटने के लिए 900 किमी दूर अटारी बोर्डर पहुंची थी। मेरे पास अभी भारतीय नागरिकता ही है और पाकिस्तानी नागरिकता नहीं मिली है। इसलिए सीमा सुरक्षा बल ने मुझे रोक दिया और सीमा पार नहीं जाने दिया। पति व दो-दो साल के दोनों बच्चे मुझे लेने सीमा पर आए थे। बच्चे मुझसे पूछ रहे थे कि अम्मी कब आओगी? मैं कोई जवाब नहीं दे पाई। अब मैं बच्चों को कैसे समझाऊं, क्या जवाब दूं? 

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वहीं एक और पाकिस्तानी मोहम्मद इरफान ने बताया कि उनका परिवार पिछले महीने कराची से भारत आया था, लेकिन अब हालात ऐसे बन गए हैं कि बच्चों को लेकर उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे बुरी तरह टूट चुके हैं। आतंकियों ने हमारी ज़िंदगी उथल-पुथल कर दी है। हम प्रधानमंत्री मोदी से अपील करते हैं कि इस मुश्किल घड़ी में हमारी मदद करें। इरफान की पत्नी शरमीन पिछले 18 सालों से पाकिस्तान में रह रही थीं, लेकिन भारतीय नागरिकता के कारण अब उन्हें पाकिस्तान लौटने की अनुमति नहीं मिल रही। इरफान कहते हैं कि हम फंस गए हैं, ना इधर के रहे ना उधर के। बच्चों को मां से जुदा करना किसी सजा से कम नहीं।
 


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vasudha

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