रावण ना करता गलती तो भारत में कभी ना बनता विरुपक्ष मंदिर , आज जानते हैं पूरी कहानी
punjabkesari.in Tuesday, Apr 11, 2023 - 03:29 PM (IST)
भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक देश हैं। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो कई हजारों साल पुराने हैं जो आज किसी अद्भुत से कम नहीं है। प्राचीनकाल में वास्तु और खगोल विज्ञान को ध्यान में रखकर मंदिर बनाए जाते थे। वैसे तो यहां रहस्यमय मंदिर हैं आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो कई अनसुनी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इतना ही नहीं इसकी खूबसूरती आज भी लोगों को आकर्षित करती है।
रावण से जुड़ी है इस मंदिर की कहानी
हम बात कर रहे हैं विरुपाक्ष मंदिर की जो कर्नाटक के हम्पी में मौजूद है। विरुपाक्ष मंदिर हम्पी में तीर्थयात्रा का मुख्य केंद्र है, और सदियों से इसे सबसे पवित्र अभयारण्य माना जाता रहा है। यह मंदिर भगवान विरुपक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है, विरुपक्ष भगवान शिव का ही एक रूप है। भगवान शिव का यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है। इस प्राचीन मंदिर की कहानी रावण से जुड़ी हुई है जो परम शिवभक्त था।
यहां जमीन पर रखी गई थी शिवलिंग
पौराणिक कथाओं की मानें तो हम्पी ही वो शहर है, जिसे रामायण काल में किष्किंधा कहा जाता था। रावण जब शिव जी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तो यहां रुका हुआ था और उसने इसी जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था और उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था, तब से शिवलिंग इसी जगह मौजूद है। यहां के दीवारों पर बने चित्र इस बात के गवाह हैं।
दीवारों पर बने हुए हैं रावण के चित्र
दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहे हैं और भगवान शिव इंकार कर देते हैं। यहां अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नृसिंह की 6.7 मीटर ऊंची मूर्ति भी है। । इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। करीब 500 साल पहले इस मंदिर का गोपुरम बनाया गया है, जो 50 मीटर ऊंचा है।
तैरने वाले पत्थरों से किया गया मंदिर का निर्माण
द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ ये मंदिर भक्तों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण तैरने वाले पत्थरों से किया गया था। द्रविड़ स्थापत्य शैली में ये मंदिर ईंट तथा चूने से बना है। इस मंदिर के पास मौजूद छोटे-छोटे मंदिर भी द्रविड़ स्थापत्य शैली के हैं। हेम कूट पहाड़ी की तलहटी पर श्री विरुपाक्ष मंदिर यूनेस्को की घोषित राष्ट्रीय धरोहरों में भी शामिल है।