26/11 हमले को हुए 17 साल,  इन शहीदों ने अपनी जान देकर बचाया था मुंबई में

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 11:55 AM (IST)

नारी डेस्क: 26 नवंबर 2008 भारत के इतिहास का वह काला दिन, जब मुंबई आतंकियों के खून-खराबे का मैदान बन गई थी। इस रात ने अनगिनत निर्दोष लोगों की जानें लीं, लेकिन इसी रात भारत ने ऐसे बहादुर वीरों को भी देखा, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी। इन शहीदों में सबसे प्रमुख नाम हैं तूकाराम ओंबले, हेमंत करकरे,  विजय सालस्कर, अशोक काम्टे और कई अन्य जिन्होंने बिना पीछे हटे आतंकियों का सामना किया। नीचे जानिए इन नायकों की कहानी। 

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तूकाराम ओंबले के आखिरी शब्द “मैं संभाल लूंगा उन्हें” 

मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर जब आतंकियों की कार रोकी गई, तो सबसे आगे थे बहादुर अफसर तूकाराम ओंबले। उन्होंने निहत्थे होते हुए भी हथियारबंद आतंकी को पकड़ा और अपनी जान देकर उसे जिंदा पकड़वाया। उनकी बहादुरी की वजह से एक बड़ा सच दुनिया के सामने आया।

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हेमंत करकरे ATS चीफ, जिन्होंने डर को कभी जगह नहीं दी

ATS प्रमुख हेमंत करकरे अपने बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर आतंकियों का पीछा करते हुए ऑपरेशन में उतरे। उनका नेतृत्व और साहस आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणा है। करकरे ने आखिरी सांस तक आतंकियों को रोकने की कोशिश जारी रखी।

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अशोक काम्टे - कर्तव्य की राह में अडिग

अतुलनीय साहस का परिचय देते हुए अशोक काम्टे अपने पूरे जोश के साथ आतंकियों को रोकने निकल पड़े। वे रणनीति और कार्रवाई दोनों में अग्रणी रहे और अपनी टीम को लगातार मोटिवेट करते रहे।

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विजय सालस्कर- मुंबई पुलिस का  शेर

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर अपनी तेज़ी और साहस के लिए जाने जाते थे। उन्होंने खतरे को देखते हुए भी खुद को आगे रखा और आखिरी क्षण तक आतंकियों का सामना करते रहे।


होटल स्टाफ, रेल्वे कर्मचारी और अन्य अनगिनत अनसुने हीरो

26/11 सिर्फ पुलिस का युद्ध नहीं था इसमें होटल कर्मचारियों, फायर ब्रिगेड टीम, डॉक्टरों और आम लोगों ने भी अपनी जान दांव पर लगा दी। कईयों ने दूसरों को बचाने के लिए खुद की बलि दी। इन शहीदों की कुर्बानी ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत के सैनिक, पुलिस और आम नागरिक किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटते। ये कहानियाँ सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि हर भारतीय के गर्व की निशानी हैं।


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vasudha

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