इस मंदिर में साल में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग, आज तक कोई सुलझा नहीं पाया ये रहस्य

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 07:26 PM (IST)

नारी डेस्क:  पवित्र श्रावण मास की शुरुआत के साथ उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में पौराणिक तिलेश्वर महादेव मंदिर पर शिव भक्तों का सैलाब पहुंचने लगा है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर काशी- प्रयाग के मध्य भदोही जिले के तिलंगा में स्थित तिलेश्वर महादेव मंदिर का अपना ऐतिहासिक व पौराणिक महामात्य है। बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित अछ्वुत शिवलिंग साल में तीन बार रंग बदलता है। 
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प्रमुख ज्योतिषाचार्य एवं इतिहास विद पंडित आलोक शास्त्री ने बताया कि वैसे तो पूर्वांचल में ऐसे कई धार्मिक मंदिर व धरोहर हैं जिनका इतिहास पौराणिक होने के साथ ही लोगों के आस्था का केंद्र भी हैं। इन्हीं प्राचीन व पौराणिक मंदिरों व तीर्थ स्थलों में शुमार जिले के गोपीगंज क्षेत्र के तिलंगा में स्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित छ्वुत शिवलिंग साल में तीन बार अपने स्वरूप बदलने के कारण प्राचीन काल से ही सनातनियों की आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पवित्र श्रावण मास में तो तो इस मंदिर का माहात्म्य काफी बढ़ जाता है। 
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भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त सैकड़ों किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा कर जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। गंगा के तट पर स्थित मंदिर का यह शिवलिंग अपने रहस्यमयी स्वरूप के लिए जाना जाता है। पांडवकालीन शिवलिंग वर्ष की तीन ऋतुओं में तीन बार अपना स्वरूप बदलने के लिए प्रसिद्ध है। इस पर भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास है। मान्यता है कि पांडवों ने इसे अपने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था। मंदिर के पुजारी महादेव गोसाई ने शिवलिंग के रहस्य के बारे में बताया कि यह शिवलिंग सावन के महीने में चप्पड़ (ऊपरी परत) छोड़ता है, लेकिन वह आज तक किसी के हाथ नहीं लग सका है। उन्होंने बताया कि सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। 


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vasudha

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