इस मंदिर में देवी मां को भी आते हैं पीरियड्स, यहां प्रसाद में भक्तों को मिलता है खून से सना कपड़ा

punjabkesari.in Sunday, Apr 06, 2025 - 05:54 PM (IST)

मासिक धर्म एक स्त्री की पहचान है, पर फिर में हमारे समाज में मासिक चक्र के दौरान किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की मनाही होती है। पर क्या आप जानते हैं कि एक मंदिर में माता को बाकी महिलाओं की तरह की मासिक धर्म आते हैं। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है और योनी भाग के यहां होने से माता यहां रजस्वला भी होती हैं। तीन दिन इस मंदिर में मर्दों की एंट्री भी बैन हो जाती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

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हम बात कर रहे हैं कामाख्या मंदिर की जो  भारत के असम राज्य के गुवाहाटी शहर के पास नीलांचल पर्वत  पर स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है और देवी सती केयोनि अंग (गर्भाशय) के गिरने का स्थान माना जाता है। यह मंदिर  मां कामाख्या देवी को समर्पित है, जो मां दुर्गा  का एक शक्तिशाली रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर महिला शक्ति, प्रजनन शक्ति (Fertility), और रजस्वला अवस्था (Menstruation) को पवित्र मानता है। यहां किसी देवी की मूर्ति नहीं है, बल्किएक योनि के आकार की पवित्र शिला है, जिसे लाल कपड़ें से ढंका गया है और उससे पानी बहता रहता है, यह देवी की रजस्वला अवस्था  का प्रतीक है।
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यहां हर साल जून के महीने में चार दिनों तक अम्बुबाची मेला चलता है। मान्यता है कि इन दिनों देवी को कामाख्या रजस्वला (menstruating) होती हैं। इस दौरान मंदिर के द्वार बंद रहते हैं – कोई पूजा, दर्शन, या धार्मिक कार्य नहीं होते।तीसरे दिन देवी का शुद्धिकरण होता है और चौथे दिन मंदिर फिर से खुलता है। इस अवधि के दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां पहुंचते हैं।

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 मंदिर में एक कुंड बना है जो कि हमेशा फूलों से ढ़का रहता है। इस कुंड से हमेशा ही पानी निकलता रहता है। यहां स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। माना जाता है कि पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है।  दूसरे शक्तिपीठों की अपेक्षा कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां कामाख्या को तीन दिन का रजस्वला (Periods) होता है, तो सफेद रंग का कपडा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है. तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से भीगा होता है।
 


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vasudha

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