IAS हरी चंदना ने चलाई कचरे को रीयूज करने की मुहिम, झुग्गी महिलाओं को भी दिया रोजगार

punjabkesari.in Thursday, Mar 18, 2021 - 03:37 PM (IST)

भारत में जगह-जगह पर कचरा देखने को मिलता है लेकिन उसे डंपिंग या री-यूज करने के साधन बहुत कम है। मगर, हैदराबाद की रहने वाली IAS ऑफिसर हरी चंदना दसरी कचरे का इस्तेमाल करके लाखों रुपए कमा रही हैं। इसकी के साथ वो प्रदूषण कम करने में भी काफी योगदान दे रही हैं।

कौन है हरी चंदना?

2010 बैच की IAS ऑफिसर हरी चंदना हैदराबाद के सेरिलिंगाम्पल्ली, GHMC (ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम) की जरनल कमिश्नर है। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एनवायरनमेंटल इकोनॉमिक्स एंड ग्लोबल पॉलिसी की डिग्री ली है। इससे पहले वह वर्ल्ड बैंक और बीपी शेल में भी काम कर चुकी हैं। चूंकि वह लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहती थी इसलिए उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी।

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महिलाओं को दिया रोजगार

कचरे का इस्तेमाल करके उन्होंने ना सिर्फ महिलाओं को रोजगार दिया है बल्कि प्रदूषण कम करने में भी काफी योगादान दे रही हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हरी चंदना कचरे को रीसाइक्लिंग करने का आंदोलन चला रही हैं। उन्होंने एक सेल्फ-हेल्प ग्रुप बनाया जिसमें 695 महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया है। इसमें से 195 महिलाएं कपड़े के बैग्स बनाकर बाजार में बेचती हैं जबकि झुग्गियों से आने वाली 400 महिलाएं जूट बैग्स बनाती हैं।

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कचरे से अविष्कार

चंदना का कहना है कि जवाहरनगर में जब मैंने कूड़े का ढेर पहली बार देखा तो मुझे अहसास हुआ कि अगर इस वेस्ट को शुरूआत में ही रीयाइकल कर लिया जाए तो प्रदूषण, ट्रांसपोर्टेशन की समस्या खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि प्लास्टिक को रीसाइकल करके फर्नीचर, रूफिंग शीट्स, इंटीरियर जैसी कई चीजें बनाई जा सकती है। इस काम के जरिए दिहाड़ी मजदूर करने वाली महिलाएं 12 हजार तक कमा लेती हैं।

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लोगों को करवा रही प्लास्टिक नेगेटिव से रूबरू

कूड़े से सामान बनाने वाली महिलाएं तीन कटलरी बैंक्स का संचालन भी करती है, जहां कटलरी को बाजार से कम कीमतों में बेचा जाता है। चंदना इस मुहिम के जरिए प्लास्टिक को कम करने के साथ महिलाओं को एक प्लेटफार्म भी देना चाहती हैं। फिलहाल ये महिलाएं MA नगर, मियापुर स्लम और स्टालिन नगर में लोगों को प्लास्टिक के नेगेटिव इफेक्ट के बारे में जागरूक कर रही हैं।

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सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन पर काम करना मकसद

स्टूडेंट्स GHMC आधिकारियों को पुराने कपड़े डोनेट करते हैं, जिन्हें सेल्फ-हेल्प ग्रुप की महिलाएं बैग या दूसरी चीजें बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। इसके बाद चंदना का मकसद झुग्गियों की पेंटिंग, सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन, कम्युनिटी रेफ्रीजिरेटर पर काम करना है।

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वाकई, चंदना की यह पहल प्रदूषण कम करने में एक शानदार कदम है। अगर हर कोई उनकी तरह सोचना शुरू कर दे तो देश की तस्वीर बदल सकती है।


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Content Writer

Anjali Rajput

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